Extortion Case: करोड़ों की उगाही के आरोप के बाद बरी हुआ जासूस, महाराष्ट्र सरकार के IAS अफसर से जुड़ा है मामला, जानें सबकुछ
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Extortion Case: करोड़ों की उगाही के आरोप के बाद बरी हुआ जासूस, महाराष्ट्र सरकार के IAS अफसर से जुड़ा है मामला, जानें सबकुछ

Court Order: अदालत ने कहा कि अभियोजन मामले में पर्याप्त संदेह है और इसका लाभ आरोपी व्यक्तियों को दिया जाना है. पुलिस के अनुसार दंपति ने मोपलवार के फोन कॉल की रिकॉर्डिंग का इस्तेमाल कर उसे बदनाम करने की कथित तौर पर धमकी दी थी.

Extortion Case: करोड़ों की उगाही के आरोप के बाद बरी हुआ जासूस, महाराष्ट्र सरकार के IAS अफसर से जुड़ा है मामला, जानें सबकुछ

Maharashtra: मुंबई की एक विशेष अदालत ने एक निजी जासूस और उसकी पत्नी को 2017 के एक मामले में बरी कर दिया है, जो अब रिटायर आईएएस अधिकारी राधेश्याम मोपलवार से कथित रूप से जबरन वसूली की कोशिश करने के आरोप में अभियोजन पक्ष के मामले में पर्याप्त संदेह की ओर इशारा करते हैं. दोनों सतीश मांगले और उनकी पत्नी श्रद्धा के अलावा महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत विशेष अदालत के न्यायाधीश एएम पाटिल ने अतुल तांबे को भी बरी कर दिया, जिस पर दंपति की कथित रूप से सहायता करने का आरोप लगाया गया था.

हुए बरी
अदालत ने कहा कि अभियोजन मामले में पर्याप्त संदेह है और इसका लाभ आरोपी व्यक्तियों को दिया जाना है. पुलिस के अनुसार दंपति ने मोपलवार के फोन कॉल की रिकॉर्डिंग का इस्तेमाल कर उसे बदनाम करने की कथित तौर पर धमकी दी थी और ऑडियो क्लिप को लोगों की जानकारी से दूर रखने और नौकरशाह के खिलाफ भ्रष्टाचार के अपने आरोपों को वापस लेने के लिए उससे 7 करोड़ रुपये की मांग की थी.

मांगे पैसे
अभियोजन पक्ष ने दावा किया था कि जबरन वसूली के लिए तीन बैठकें हुई थीं. मुंबई के एक पांच सितारा होटल में हुई तीसरी मुलाकात में मोपलवार ने मंगले के साथ आधे घंटे की बातचीत का वीडियो बनाया, जिसमें जासूसी कैमरों का इस्तेमाल किया गया था. इसी मुलाकात में आरोपी ने धमकी दी और पैसे की मांग की. इसके बाद मोपलवार ने ठाणे पुलिस के जबरन वसूली रोधी प्रकोष्ठ (एईसी) से संपर्क किया और शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद एईसी ने जाल बिछाया और जबरन वसूली की राशि के भुगतान के रूप में 1 करोड़ रुपये लेते हुए जोड़े को गिरफ्तार कर लिया.

कॉल डेटा रिकॉर्ड
अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मुखबिर (मोपलवार) के वहां मौजूद होने को लेकर पहली मुलाकात को लेकर संदेह पैदा किया गया था. कॉल डेटा रिकॉर्ड (सीडीआर) से पता चला कि वह मौके पर मौजूद नहीं था. अदालत ने कहा कि कोर्ट के सामने पेश की गई दूसरी मुलाकात के सीसीटीवी फुटेज में कोई चर्चा/बातचीत नहीं दिखी, तो यह संदेह में है. न्यायाधीश ने आगे उल्लेख किया कि बातचीत को रिकॉर्ड करने के लिए मुखबिर के जरिए इस्तेमाल किया जाने वाला स्पाई कैमरा इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य है और इसे एक विशेष तरीके से जब्त और प्रस्तुत किया जाना था. लेकिन यह ठीक से नहीं किया गया था, इसलिए इसे द्वितीयक साक्ष्य के रूप में नहीं माना जा सकता.

संदेह का लाभ
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के मामले में संदेह पर विचार करना होगा और उन संदेहों का लाभ आरोपी को दिया जाना चाहिए. मोपलवार उस समय महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एमएसआरडीसी) के प्रबंध निदेशक थे. निजी जासूस मंगले मोपलवार के संपर्क में आया था जब मोपलवार ने अपने तलाक के संबंध में उससे मदद मांगी थी. इसके बाद मंगले ने कथित तौर पर आईएएस अधिकारी की फोन कॉल रिकॉर्डिंग तक पहुंच बना ली.

धन उगाहने की कोशिश
यह आरोप लगाया गया कि मंगले ने फिर मोपलवार से धन उगाहने की कोशिश की और समाचार चैनलों के साथ कुछ ऑडियो क्लिप साझा किए जो बाद में प्रसारित किए गए. उन क्लिपों में मोपलवार को कथित तौर पर जमीन के लिए सौदा तय करते हुए सुना गया था. आईएएस अधिकारी को तब रिश्वतखोरी के आरोप में छुट्टी पर भेज दिया गया था. अब सेवानिवृत्त मोपलवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के जरिए वॉर रूम (इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स) का महानिदेशक बनाया गया है.

कई बार मिला एक्सटेंशन
साल 2018 में मोपलवार रिटायर हो चुके थे लेकिन इसके बाद मोपलवार को विस्तार दिया गया और उन्होंने एमएसआरडीसी के एमडी का पद संभाला. मोपलवार को उनके रिटायरमेंट के बाद कई बार एक्सटेंशन मिले हैं. इनमें एमएसआरडीसी का पद संभालना, कोविड-19 प्रलेखन टीम को लीड करना भी शामिल है. वहीं सूत्रों का कहना है कि सियासी गलियारे में ऐसी चर्चाएं हैं कि एक बार फिर से उन्हें विस्तार मिल सकता है. दूसरी तरफ इस मामले को लेकर विपक्ष भी महाराष्ट्र सरकार पर हमलावर रुख अख्तियार कर सकता है.

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