स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) के मुताबिक ऐसे लोग जिनमें कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण के सक्रिय लक्षण हों या जिनके शरीर में कोविड-19 के खिलाफ एंटीबॉडी हो उनके लिए भी दूसरी डोज लगवाने से पहले 4 से 8 हफ्ते का गैप जरूरी है.
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी के शुरुआती दौर से ही इसकी पड़ताल जारी है. लोगों को बचाने के लिए भारत और दुनिया भर में लगातार शोध हो रहे हैं. जिनके नतीजे साइंस जर्नल और अन्य प्लेटफार्म पर प्रकाशित होते रहते हैं. ऐसे में हाल ही में आई कुछ रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) की पहली डोज लेने के बाद भी कुछ लोग कोरोना पॉजिटिव (Covid 19 Positive) हो रहे हैं. मेडिकल एक्सपर्ट्स ने इसे ‘ब्रेकथ्रू केस’ नाम दिया है. हालांकि अपने देश की बात करें तो इस मामले में भारतीय लोग ज्यादा भाग्यशाली हैं क्योंकि भारत में ऐसे मामले एकदम कम हैं.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की स्डटी के मुताबिक भारत में इस तरह के ‘ब्रेकथ्रू केस’ का आंकड़ा सिर्फ 0.05% ही है. वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक अगर वैक्सीन की पहला डोज लगने के बाद कोई संक्रमित हो जाता है तो इसका ये मतलब नहीं है कि वो दूसरी डोज नहीं ले सकता है. ऐसे लोगों को सिर्फ इस बात का ध्यान रखना होगा कि दूसरी डोज का अंतराल संक्रमण से ठीक यानी कोविड निगेटिव होने के बाद कम से कम चार से आठ हफ्ते के बीच होना चाहिए.
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स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक ऐसे लोग जिनमें कोरोना संक्रमण के सक्रिय लक्षण हों या वो लोग जिनके शरीर में कोविड-19 के खिलाफ एंटीबॉडी हो उनके लिए दूसरी डोज लगवाने से पहले 4 से 8 हफ्ते का गैप जरूरी है. वहीं प्लाज्मा ले चुके लोगों के साथ ज्यादा बीमार या फिर दूसरी बीमारियों से ग्रस्त लोगों के लिए भी वैक्सीन की दूसरी डोज लेने में एक महीने से दो महीने का गैप रखा जाना चाहिए.
दरअसल एक्सपर्ट्स का मानना है कि वैक्सीन की कार्यप्रणाली का भी अपना असर होता है. सभी की सुरक्षा लगातार और बेहतर होती रहे इस पर शोध जारी है. वैक्सीन की पहली डोज लेने ते बाद भी अगर कोरोना संक्रमण हो जाए तो इसमें घबराने की जरूरत नहीं है.
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