IAF Chief on future wars: फ्यूचर में किन 'कुरुक्षेत्र' में भिड़ेंगी सेनाएं? वायुसेना चीफ ने बताया
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IAF Chief on future wars: फ्यूचर में किन 'कुरुक्षेत्र' में भिड़ेंगी सेनाएं? वायुसेना चीफ ने बताया

IAF Chief on future Wars: एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी ने आने वाले समय में सेना के भविष्य को लेकर कई बातें की हैं.  

 

IAF Chief on future wars: फ्यूचर में किन 'कुरुक्षेत्र' में भिड़ेंगी सेनाएं? वायुसेना चीफ ने बताया

IAF Chief on future Wars: एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी ने शुक्रवार को कहा कि साइबर, सूचना और अंतरिक्ष डोमेन के साथ नए युद्धक्षेत्र के रूप में उभरने के साथ इन दिनों दुनिया भर में जबरदस्त नई रणनीति शुरू हो चुकी है.  उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना को अपनी रणनीतिक प्राथमिकताओं को रिवाइस करने की जरूरत है और तेजी से विकसित हो रही अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के समय में कार्रवाई करनी होगी. भारतीय वायुसेना प्रमुख ने शुक्रवार को नई दिल्ली में प्रथम युद्ध और एयरोस्पेस रणनीति कार्यक्रम के कैपस्टोन सेमिनार में बोलते हुए ये बातें कही हैं. 

हैं कई तरह की चुनौतियां
उन्होंने कहा कि पारंपरिक भू-राजनीतिक परस्पर क्रिया के साथ जटिल नए आयामों की चुनौतियां दुनिया भर से सामने आ रही हैं. उन्होंने कहा, 'कूटनीति, अर्थव्यवस्था और सूचना निवारक के रूप में उपयोग किए जाने वाले सैन्य उपकरणों के साथ जुड़ाव के लिए प्राथमिक उपकरण बन रहे हैं. हम तेजी से विकसित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था देख रहे हैं जिसे एक जटिल बहुध्रुवीय दुनिया द्वारा चुनौती दी जा रही है जिसमें नियमों या भू-राजनीतिक की पारंपरिक प्रक्रियाओं के लिए बहुत कम या कोई सम्मान नहीं है.' 

इस वजह से शुरू हुआ ये कोर्स 
ANI की खबर के अनुसार, इसके आगे IAF प्रमुख ने बताया कि पहला युद्ध और एयरोस्पेस रणनीति कार्यक्रम (WASP) अधिकारियों के बीच रणनीतिक विचार और समझ पैदा करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था. इस कोर्स का अंतिम उद्देश्य एक ऐसी संस्कृति को विकसित करना है जो पढ़ने को बढ़ावा देती है. विश्लेषण की गहरी समझ, अच्छी तरह से तैयार किए गए दस्तावेजों बनाने की क्षमता. उनके अनुसार, कार्यक्रम स्थापित करने के कारणों में से एक यह तय करना था कि भविष्य के कागजात के बनाने का आर्ट, रणनीति और अकेडमिक रिसर्च की एक अच्छी समझ पर आधारित हों, इसलिए ध्यान इस बात पर था कि कैसे सोचना है, इसके बजाय कि क्या सोचें. इस कार्यक्रम का डिजाइन एक पैरागोगिक मॉडल पर आधारित था, जिसमें योग्य शिक्षकों द्वारा चुने गए चुनिंदा कार्यों, केंद्रित संवादों और लिखित प्रस्तुतियों के बाद चर्चाओं के गहन पढ़ने की आवश्यकता होती है.

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सेमिनार के विषय पर बात 
उन्होंने यह भी कहा कि इस सेमिनार के सब्जेक्ट में सैन्य और वायु शक्ति सिद्धांत रणनीति और राष्ट्रीय भाग और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की कुछ स्थायी अवधारणाओं को समाहित किया गया है. जबकि उनका मानना ​​​​था कि कार्यक्रम का सार 21 वीं सदी के प्रतिमान में भारतीय वायुसेना के हितों के अनुरूप इन अवधारणाओं को संदर्भित करना था. 

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