मोदी सरकार ने लिया एक और बड़ा संकल्प, कहा- 2025 तक टीबी हारेगा, देश जीतेगा
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मोदी सरकार ने लिया एक और बड़ा संकल्प, कहा- 2025 तक टीबी हारेगा, देश जीतेगा

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने इस अभियान की शुरुआत की और कहा कि हर हाल में भारत 2025 तक देश से टीबी (TB)की बीमारी का सफाया करेगा.

.(प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने इस अभियान की शुरुआत की और कहा कि हर हाल में भारत 2025 तक देश से टीबी (TB)की बीमारी का सफाया करेगा. इसके लिए मोदी सरकार ने देश व्यापी अभियान शुरू किया है. भारत में हर साल औसतन 4 लाख से ज्यादा मौत टीबी (TB)की वजह से होती है. देश में 28 लाख से ज्यादा टीबी (TB)के मरीज है. टीबी (TB)हारेगा, देश जीतेगा का नारा. मोदी सरकार का लक्ष्य 2025 तक भारत को टीबी (TB)की बीमारी से मुक्ति दिलाएंगे. केंद्र सरकार इसके लिए 4 गुना अतिरिक्त संसाधन जुटाने जा रही है.

इसके लिए सरकर देश भर में बढ़े पैमाने पर चौतरफा रणनीति के साथ उतर रही है जिसमे इस बीमारी के कारणों को लोगों तक पहुचाना जिससे वो जागरूक हो, दूसरा टीबी (TB)की बीमारी के चपेट में आये लोगो की पहचान कर उनको इलाज दिलाना और तीसरा वर्तमान में जो टीबी (TB)के मरीज देश भर में है उनको उच्चतम स्तर की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार का लक्ष्य है.

सरकार का मानना है कि पल्स पोलियो अभियान की तरह टीबी (TB)को लेकर भी देश भर में एक बड़ा अभियान चलाने की जरूरत है जिससे देश को इस बीमारी से छुटकारा दिलाया जा सके. बीते कुछ साल से देश में लगातार टीबी (TB)के मरीजों की संख्या बढ़ी है जिसने सरकार को चिंता में डाल दिया है. यही वजह है कि सरकार ने टीबी (TB)की बीमारी के खिलाफ व्यापक अभियान शुरू किया है.

ये अभियान सिर्फ टीबी (TB)के मरीजों के इलाज के लिए नही बल्कि देश से टीबी (TB)की बीमारी पूरी तरह खत्म करने के लिए है. मोदी सरकार इसके लिए 2025 तक व्यापक अभियान चलाएगी. साल 2018 में 21 लाख 50 हजार टीबी (TB)के मामले सामने आए जबकि 2017 में ये संख्या 18 लाख थी. एक साल में मरीज़ो की लगभग 17 फीसदी की बढ़ोतरी हुई.

सरकार टीबी (TB)के खिलाफ हारेगा टीबी (TB)जीतेगा भारत अभियान में अब कॉरपोरेट सेक्टर के साथ ही निजी अस्पतालों के साथ भागीदारी करेगी. मकसद एक ही है साल 2025 तक टीबी (TB)से मुक्ति हो. हेल्थ मिनिस्ट्री इसके लिए दूसरे मंत्रालय के साथ समन्वय बनाएगी जिससे पोषण आहार, स्वच्छता अभियान के साथ टीबी (TB)के निदान में मदद मिले. टेस्ट एंड ट्रीट स्ट्रेटजी के तहत साल 2022 तक हम पूरे देश में पहुच बनायेगे ताकि कही भी इस बीमारी की पहले से पहचान हो सके.

अभी अप्रैल 2018 से भारत सरकार टीबी (TB)के मरीजों के लिए निक्षय.पोषण योजना चला रही है जिसके तहत डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम के तहत उनको आहार उपलब्ध कराया जा रहा है. जिसमे 500 रुपये प्रतिमाह इलाज के दौरान दिए जा रहे है. टीबी (TB)की बीमारी से लड़ने के लिये वर्ल्ड बैंक भी 400 मिलियन की मदद उपलब्ध करा रहा है.

2017 में दुनिया में 1 करोड़ टीबी (TB)के मरीज थे जिनमें से 27 फीसदी भारत में थे जबकि दूसरे नम्बर और चीन में 9 फीसदी और इंडोनेशिया में 8 फीसदी थे. यानी भारत सबसे ज्यादा इस. बीमारी का शिकार हो रहा है यही वजह है कि अब केंद्र ने टीबी (TB)की बीमारी को खत्म करने के लिए बड़ी लड़ाई शुरू की है. देश में अनुमानित 28 लाख टीबी (TB)के मरीज है जिसमे 21 लाख 50 हजार मामलों की सूचना 2018 में मिली.

साल 2017 में टीबी (TB)की वजह से दुनिया भर में 13 लाख लोगों की मौत हुई इसमे से 4 लाख मौत भारत में हुई. टीबी (TB)की बीमारी के खिलाफ सरकार बीते कई दशकों से लड़ाई लड़ रही है लेकिन इसमें अभी तक सफलता नही मिली. सबसे पहले साल 1962 में देश भर में केंद सरकार ने राष्ट्रीय टीबी (TB)कार्यक्रम शुरू किया और देश भर में जिला टीबी (TB)केंद्र स्थापित किये गए.

इसके बाद 1993 में W H O ने टीबी (TB)को लेकर वैश्विक आपात स्थिति घोषित की. 1997 में केंद ने डायरेक्टली ऑब्ज़र्वेंबल ट्रीटमेंट शॉर्ट कोर्स dots की शुरुआत की. इसके बाद केंद्र ने 2005 से 11 के बीच पूरे देश में अभियान चलाया. साल 2012 से 17 के बीच राष्ट्रीय रणनीतिक योजना लाई गई जिसमें टीबी (TB)मामलों की अनिवार्य सूचना सुनिश्चित की गई. अब सरकार इस बीमारी का पूर्ण रूप से सफाया सुनिश्चित करना चाहती है लिहाजा टीबी (TB)की बीमारी के खिलाफ बड़ी तैयारी के साथ इस अभियान की शुरुआत हुई है टीबी (TB)हारेगा,देश जीतेगा.

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