ISRO New Satellite: दुनिया में महाशक्ति बनने की कोशिश कर रहा भारत जल्द ही एक पावरफुल मौसम सैटेलाइट लॉन्च करने जा रहा है. यह सैटेलाइट जमीन से समुद्र तक भारत की निगरानी क्षमता को काफी बढ़ा देगा.
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India New Weather Satellite: अंतरिक्ष जगत की दुनिया में भारत का लोहा मनवा रहा इसरो नए साल में भी कई बड़े काम करने जा रहा है. वह नए मौसम उपग्रह INSAT-3DS को कक्षा में स्थापित करेगा. इसकी लॉन्चिंग का काम 17 फरवरी को शाम 5.30 बजे होगा. इस सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा.
GSLV का 16वां मिशन होगा लॉन्च
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अनुसार, GSLV का यह 16वां मिशन होगा. इस मिशन में GSLV का लक्ष्य INSAT-3DS को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित करना है. लॉन्चिंग के बाद सैटेलाइट को धीरे-धीरे उसकी कक्षा में पहुंचाया जाएगा, जिसके बाद ही यह सुनिश्चित हो सकेगा कि वह सैटेलाइट अपनी कक्षा में सही स्थापित हो गया है या नहीं.
आपदा राहत की मिलेगी अडवांस चेतावनी
इसरो के मुताबिक, INSAT-3DS भारत का तीसरी पीढ़ी का मौसम विज्ञान उपग्रह है. इस सैटेलाइट प्रोजेक्ट की पूरी फंडिंग पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की ओर से की गई है. इस सैटेलाइट को मौसम की भविष्यवाणी और संभावित आपदा की चेतावनी देने के लिए डिजाइन किया गया है. इस उपग्रह के जरिए जमीन और महासागर की सतहों की निगरानी भी की जा सकेगी. इसरो वैज्ञानिकों का कहना है कि जल्द लॉन्च होने वाला यह उपग्रह वर्तमान में अंतरिक्ष में मौजूद INSAT-3D और INSAT-3DR सैटेलाइटों के साथ मौसम संबंधी सेवाओं को भी बढ़ाएगा.
ये विभाग यूज कर सकेंगे डेटा
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), राष्ट्रीय मध्यम-सीमा मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ), भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम), राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) और भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस) जैसे विभिन्न विभाग आते हैं. यह सैटेलाइट इन विभागों समेत विभिन्न एजेंसियां और संस्थानों को मौसम का बेहतर पूर्वानुमान लगाने में मदद करेगा.
वक्त रहते शुरू हो सकेंगे बचाव कार्य
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि मिशन के प्राथमिक उद्देश्य पृथ्वी की सतह की निगरानी करना, समुद्रों के ऊपर मौसम का अवलोकन करना, डेटा इकट्ठा करना और बचाव सेवाएं प्रदान करना है. इससे देश को आपदा की स्थिति में पहले से ही पूर्वानुमान लगाने में मदद मिल जाएगी. साथ ही वह वक्त रहते व्यवस्थाएं करके बचाव कार्य शुरू कर सकेगा.
(एजेंसी IANS)