गगनयान के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए फ्रांस से मदद ले रही ISRO, अभी रूस में चल रही है ट्रेनिंग
Advertisement
trendingNow1738627

गगनयान के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए फ्रांस से मदद ले रही ISRO, अभी रूस में चल रही है ट्रेनिंग

भारत और फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच गगनयान के अंतरिक्ष यात्रियों को आवश्यक उपकरण मुहैया कराने के लिए अग्रिम चरण की बातचीत हो रही है.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: भारत और फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच गगनयान के अंतरिक्ष यात्रियों को आवश्यक उपकरण मुहैया कराने के लिए अग्रिम चरण की बातचीत हो रही है. अधिकारियों ने बताया कि अगले साल ‘मिशन अल्फा’ के लिए फ्रांस के अंतरिक्ष यात्री थॉमस पेसक्वेट द्वारा इसी तरह के उपकरण का इस्तेमाल होगा.

  1. अंतरिक्ष में साझेदारी को लेकर भारत-फ्रांस में अच्छे संबंध
  2. अंतरिक्ष में अलग तरह के उपकरणों की आवश्यकता
  3. अभी रूस में ट्रेनिंग ले रहे गगनयान के यात्री

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का हिस्सा हैं थॉमस पेसक्वेट
फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसी ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष अध्ययन केंद्र’ (सीएनईएस) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मिशन अल्फा के लिए उपकरण पर काम चल रहा है. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) का हिस्सा फ्रांस के अंतरिक्ष यात्री थॉमस पेसक्वेट अगले साल की शुरुआत में ड्रैगन अंतरिक्ष यान से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) वापस जाएंगे. उपकरण के बारे में विस्तार से बताए बिना सीएनईएस के अधिकारी ने बताया, 'वार्ता अंतिम चरण में हैं. जल्द ही इसकी घोषणा की जाएगी. मिशन अल्फा के लिए उपकरणों पर काम चल रहा है.'

अंतरिक्ष को लेकर भारत-फ्रांस में अच्छा तालमेल
भारत और फ्रांस के बीच अंतरिक्ष के क्षेत्र में अच्छा तालमेल है. दोनों देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां तकरीबन 10,000 करोड़ रुपये के गगनयान मिशन पर तालमेल कर रही हैं. गगनयान मिशन के जरिए 2022 तक अंतरिक्ष में भारतीय को भेजे जाने का लक्ष्य है. पिछले साल फ्लाइट सर्जन ब्रिगिटे गोडार्ड चिकित्सकों और इंजीनियरों को प्रशिक्षण देने के लिए भारत आए थे.

पायलटों की रूस में चल रही ट्रेनिंग
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक अधिकारी ने बताया, 'कोरोना वायरस से पैदा हालात के ठीक होने पर भारतीय अंतरिक्ष सर्जन अगले साल फ्रांस जाएंगे. गगनयान के अंतरिक्ष यात्रियों को उपकरण की आपूर्ति के लिए विशेष तालमेल पर उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की है. गगनयान मिशन के लिए भारतीय वायु सेना के चार पायलटों और संभावित अंतरिक्ष यात्रियों का वर्तमान में रूस में प्रशिक्षण चल रहा है.

27 हजार नामों से चुना गया मिशन अल्फा नाम
सीएनईएस के साथ भागीदारी में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा आयोजित स्पर्धा के बाद पेसक्वेट के नए मिशन के तौर पर अल्फा का नाम चुना गया. इसके लिए 27,000 से ज्यादा प्रविष्टियां आयी थी. पेसक्वेट 2016 और जून 2017 के बीच आईएसएस पर छह महीना रह चुके हैं. वर्तमान में ‘मिशन अल्फा’ के लिए वह प्रशिक्षण ले रहे हैं.

VIDEO

Trending news