तिरुवनंतपुरम: केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने किसी भी कंप्यूटर सिस्टम में रखे डेटा को अंतरावरोधन (इंटरसेप्शन), निगरानी (मॉनिटरिंग) और विरूपण (डीक्रिप्शन) करने का अधिकार 10 एजेंसियों को देने के केंद्र के फैसले की आलोचना करते हुए शनिवार को कहा कि यह आदेश व्यक्ति की स्वतंत्रता और निजता के अधिकार पर ‘हमला’ है.


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विजयन ने कहा कि यह इसलिए भी ज्यादा ‘परेशान’ करने वाला है क्योंकि इसके दायरे में मीडिया, विधायिका के सदस्यों, यहां तक कि न्यायपालिका तक को रखा गया है. मुख्यमंत्री ने फेसबुक पर जारी एक पोस्ट में कहा, ‘केंद्र सरकार देश को अघोषित आपातकाल की ओर ले जा रही है.’ उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय की अधिसूचना उच्चतम न्यायालय के फैसले की भावना के विपरीत है जिसने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार बताया है.


विजयन ने कहा, ‘केंद्र सरकार ने दलील दी है कि अधिसूचना आईटी अधिनियम 2000 के तहत जारी की गई है.’ उन्होंने दावा किया,‘इस दलील में कोई तर्क नहीं है, क्योंकि आईटी अधिनियम 2000 की धारा 66ए को उच्चतम न्यायालय असंवैधानिक घोषित कर खारिज कर चुका है. यह धारा आपत्तिजनक सामग्री को ऑनलाइन साझा करने पर दंडित करने के संबंध में है.’


उन्होंने आरोप लगाया कि यह आदेश आरएसएस और भाजपा से असहमति रखने वाले नागरिकों को लोकतांत्रिक अधिकार नहीं देने की कोशिश है. यह प्रेस की आजादी पर भी अंकुश लगाता है.


गुरुवार देर रात जारी किया आदेश
यह आदेश गुरुवार देर रात गृह मंत्रालय के ‘साइबर और सूचना’ प्रभाग की ओर से जारी किया गया. इसे गृह सचिव राजीव गाबा ने जारी किया है.अधिकारियों ने बताया कि 10 केंद्रीय जांच एवं जासूसी एजेंसियों को सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत कंप्यूटर का अंतरावरोधन और विश्लेषण करने के अधिकार दिए गए हैं.


इन 10 एजेंसियों में खुफिया ब्यूरो (आईबी), नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) समेत अन्य शामिल हैं.