ZEE NEWS से बोले केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद - इरफान हबीब ने हाथापाई की कोशिश की
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ZEE NEWS से बोले केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद - इरफान हबीब ने हाथापाई की कोशिश की

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने ZEE NEWS से कहा कि इतिहासकार इरफान हबीब ने मुझे बोलने से रोका. इतना ही नहीं, उन्होंने मेरे साथ हाथापाई की कोशिश की.

केरल की कन्नूर यूनिवर्सिटी में शनिवार को राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को बोलने से रोका गया.

नई दिल्ली: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने ZEE NEWS से कहा कि इतिहासकार इरफान हबीब ने मुझे बोलने से रोका. इतना ही नहीं, उन्होंने मेरे साथ हाथापाई की कोशिश की. राज्यपाल ने कहा कि  ये बहुत ही असहिष्णु लोग हैं. सभी लोगों को बोलने की आजादी है.

दरअसल, केरल की कन्नूर यूनिवर्सिटी में शनिवार को राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को बोलने से रोका गया. राज्यपाल यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने नागरिकता कानून पर भी अपना पक्ष रखना शुरू किया, लेकिन वहां मौजूद इतिहासकार इरफान हबीब ने उन्होंने रोकने की कोशिश की. इस पर जवाब देते हुए आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि वो उन्हें इस तरह चुप नहीं कराया जा सकता. इस बीच यूनिवर्सिटी के छात्रों ने राज्यपाल को काले झंडे भी दिखाए. 

कौन हैं आरिफ मोहम्मद ख़ान?
केरल के राज्यपाल हैं. राजीव गांधी सरकार में मंत्री रह चुके हैं. शाहबानो केस में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का समर्थन किया था. शाहबानो केस में राजीव गांधी सरकार के फ़ैसले का विरोध किया था. राजीव गांधी सरकार के विरोध में मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया था. ट्रिपल तलाक़ का हर मंच पर खुलकर विरोध किया. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में बदलाव की वकालत करते हैं. 

कौन हैं इरफान हबीब?
इरफान हबीब भारत के मशहूर इतिहासकार हैं. 12 अगस्त 1931 को बड़ौदा में जन्म हुआ था. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से डी फिल की उपाधि ली. ऑक्सफोर्ड से लौटकर AMU में प्रोफेसर बने. आज भी AMU के इतिहास विभाग में सेवाएं दे रहे हैं. 2005 में पद्म भूषण से सम्मानित किए जा चुके हैं. इरफान के पिता मोहम्मद हबीब भी इतिहासकार थे. 

कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने केरल राज्यपाल से बदसलूकी के मामले की निंदा की है. JDU महासचिव केसी त्यागी का कहना है कि राज्यपाल का पद संवैधानिक पद है और सभी दलों के नेताओं को उसकी गरिमा का ध्यान रखना चाहिए.

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BJP नेता मीनाक्षी लेखी ने कहा कि ये वही इतिहासकार हैं जिनको कांग्रेस सरकार ने फ्रीडम ऑफ़ इंडिया के ऊपर किताबें लिखने का काम दिया था और काफी अवॉर्ड से नवाज़ा भी था और मैं चाहती हूं कल्चर मंत्रालय और ऐसी वो सब काग़ज़ों की तहक़ीक़ात करे. 

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