Alderman Case: सवाल इस बात का था कि दिल्ली सरकार नगर निगम में एल्डरमैन के लिए जिन नामों की सिफारिश करती है क्या एलजी उनको मानने के लिए बाध्य हैं?
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LG Vs AAP: सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) एमसीडी में ‘एल्डरमैन’ नामित करने के लिए सरकार की सलाह मानने को बाध्य नहीं हैं. यानी उनके पास सरकार की सहायता और सलाह के बिना एमसीडी में 'एल्डरमैन' नियुक्त करने का अधिकार है. इससे दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार को झटका लगा है क्योंकि चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने दिल्ली सरकार की यह दलील खारिज कर दी कि इस बारे में एलजी, मंत्री परिषद की सलाह मानने को बाध्य हैं. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद नगर निगम के लिए जनवरी 2023 में एलजी ने जो नाम तय किए थे, वो ही मान्य रहेंगे.
दिल्ली सरकार की दलील
पिछले साल दिल्ली सरकार ने एलजी के उस गजट नोटिफिकेशन को चुनौती दी थी जिसके तहत एलजी ने मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर नहीं बल्कि अपने विवेक से एमसीडी में 10 मनोनीत सदस्यों (एल्डरमैन) की नियुक्ति की थी. अपनी याचिका में दिल्ली सरकार ने कहा था, "1991 में अनुच्छेद 239एए के प्रभावी होने के बाद यह पहली बार है कि उपराज्यपाल ने निर्वाचित सरकार को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए ऐसी नियुक्ति की है, जिससे एक अनिर्वाचित कार्यालय को वह शक्ति प्राप्त हो गई है जो विधिवत निर्वाचित सरकार की होती है."
हालांकि पिछले साल 17 मई को शीर्ष अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि उपराज्यपाल को एमसीडी में ‘एल्डरमैन’ नामित करने का अधिकार देने का मतलब होगा कि वह निर्वाचित नगर निकाय को अस्थिर कर सकते हैं.
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कोर्ट ने क्या कहा
अब करीब 15 महीने बाद कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा है कि उपराज्यपाल सरकार की सलाह के बिना एमसीडी में एल्डरमैन की नियुक्ति कर सकते हैं. 1993 के एक्ट में उपराज्यपाल को यह अधिकार मिला हुआ है. फैसला सुनाते हुए जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि संसद द्वारा बनाए गए दिल्ली नगर निगम अधिनियम के तहत एलजी को अपने विवेक से काम करना चाहिए.
शीर्ष अदालत ने कहा, "अधिनियम की धारा 3(3)(बी) (जैसा कि समय-समय पर संशोधित किया गया है) स्पष्ट रूप से उपराज्यपाल को निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति का अधिकार देती है... प्रयोग की जाने वाली शक्ति उपराज्यपाल की वैधानिक शक्ति है, न कि राज्य की कार्यकारी शक्ति. इस वजह से दिल्ली के एलजी अपने विवेक के मुताबिक कार्य कर सकते हैं."
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MCD की संरचना
गौरतलब है कि एमसीडी में 250 निर्वाचित और 10 नामित सदस्य हैं. दिसंबर 2022 में ‘आप’ ने नगर निगम चुनाव में 134 वार्ड में जीत के साथ एमसीडी पर बीजेपी के 15 साल के शासन को समाप्त कर दिया था. भाजपा ने 104 सीट जीती थीं जबकि कांग्रेस नौ सीट के साथ तीसरे स्थान पर रही थी.
(इनपुट: एजेंसियों के साथ)