Lok Sabha Speaker election: कौन बनेगा लोकसभा स्पीकर? TDP के बयान से कांग्रेस गठबंधन को मिला मौका... चला एक और दांव
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Lok Sabha Speaker election: कौन बनेगा लोकसभा स्पीकर? TDP के बयान से कांग्रेस गठबंधन को मिला मौका... चला एक और दांव

Lok Sabha Speaker Chunav: 18वीं लोकसभा के लिए स्पीकर का चुनाव 26 जून को होने की संभावना है. सरकार गठन के एक सप्ताह बाद भी यह स्पष्ट नहीं है कि एनडीए गठबंधन का उम्मीदवार कौन होगा. 

 

Lok Sabha Speaker election: कौन बनेगा लोकसभा स्पीकर? TDP के बयान से कांग्रेस गठबंधन को मिला मौका... चला एक और दांव

Who will be Lok Sabha Speaker?: प्रधानमंत्री मोदी और उनके मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह के बाद लोकसभा सचिवालय की ओर से बताया गया है कि इस महीने की 26 तारीख को लोकसभा स्पीकर का चुनाव होना है. लेकिन सरकार गठन के एक सप्ताह बाद भी 18वीं लोकसभा के लिए स्पीकर पद को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि एनडीए गठबंधन का उम्मीदवार कौन होगा.

वहीं, विपक्षी INDIA गठबंधन के नेता इस बात पर जोर दे रहे हैं कि लोकसभा स्पीकर का पद एनडीए के लिए किंगमेकर्स साबित हुए जदयू या टीडीपी में से किसी को मिलना चाहिए. इस लोकसभा चुनाव में भाजपा 240 सीटों पर जीत दर्ज कर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभड़ी, लेकिन अकेले दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाई. ऐसे में एनडीए के सहयोगी जदयू और टीडीपी किंगमेकर बनी. टीडीपी ने 16 सीटों पर तो जदयू ने 12 सीटों पर जीत दर्ज की है.

सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी लोकसभा स्पीकर का पद अपने पास रखेगी. वहीं, डिप्टी स्पीकर का पद बीजेपी अपने एनडीए सहयोगी दल को देगी.

एनडीए के सहयोगियों को मिले स्पीकर का पदः टीडीपी

एनडीए में शामिल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने लोकसभा स्पीकर पद के लिए भाजपा का समर्थन किया है. हालांकि, टीडीपी ने सुझाव दिया है कि एनडीए गठबंधन के सहयोगियों से चर्चा के बाद सर्वसम्मति से एक उम्मीदवार का नाम तय करना चाहिए.

टीडीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पट्टाभि राम कोमारेड्डीने कहा, "एनडीए के साथी एक साथ बैठेंगे और तय करेंगे कि स्पीकर के लिए हमारा उम्मीदवार कौन होगा. एक बार आम सहमति बन जाने के बाद हम उस उम्मीदवार को चुनाव में उतारेंगे और टीडीपी सहित सभी सहयोगी पार्टी उस उम्मीदवार का समर्थन करेंगे." 

फिलहाल इस पद के लिए आंध्र प्रदेश भाजपा की नेता दग्गुबाती पुरंदेश्वरी का नाम सबसे आगे है. वहीं, अमलापुरम से टीडीपी सांसद जीएम हरीश बालयोगी को भी इस स्पीकर पद के लिए प्रबल दावेदार माना जा रहा है.

संजय राउत ने टीडीपी को दिया ऑफर

विपक्षी INDIA गठबंधन में शामिल शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद संजय राउत ने रविवार को कहा, "लोकसभा स्पीकर पद का चुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस बार 2014 और 2019 वाली स्थिति नहीं है. वर्तमान की एनडीए सरकार स्थिर नहीं है. कुछ भी हो सकता है. मैंने सुना है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडु ने स्पीकर पद मांगा है. ये उनकी सही मांग है. अगर स्पीकर पद पर एनडीए के सहयोगी पार्टी के सांसद नहीं होंगे तो नरेंद्र मोदी और अमित शाह सबसे पहले टीडीपी के सांसदों को तोडेंगे."

संजय राउत ने आगे कहा कि अगर टीडीपी को यह पद नहीं मिलता है और वह अपना उम्मीदवार खड़ा करते हैं तो हम पूरे INDIA गठबंधन के साथी इस पर बातचीत करेंगे. हम पूरी कोशिश करेंगे कि हमारा पूरा गठबंधन टीडीपी का समर्थन करे.

डिप्टी स्पीकर पद की मांग

INDIA ब्लॉक ने स्पीकर पद के लिए भी अपना उम्मीदवार खड़ा करने का इरादा व्यक्त किया है. लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यदि विपक्षी गठबंधन को डिप्टी स्पीकर का पद मिलता है तो वह अपना उम्मीदवार उतारने से पीछे हट सकता है. संजय राउत ने भी कहा है कि नियमानुसार डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को मिलना चाहिए. 

दरअसल, 17वीं लोकसभा से ही डिप्टी स्पीकर का पद खाली है. ऐसे में विपक्ष को उम्मीद है कि इस बार डिप्टी स्पीकर का भी चुनाव होगा. डिप्टी स्पीकर का पद हमेशा से विपक्षी दलों के पास रहा है. 

लोकसभा स्पीकर की क्या है ताकत?

सदन के कामकाज को सुचारू रूप से चलाने का जिम्मा स्पीकर का होता है. सदस्यों की अयोग्यता पर भी स्पीकर की राय अहम होती है. अगर किसी विधेयक पर बराबर वोट पड़े तो स्पीकर का वोट निर्णायक साबित होता है.

विधान की दसवीं अनुसूची के तहत, स्पीकर को जो शक्तियां मिली हैं वो सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं. 50वें (संशोधन) अधिनियम, 1985 के जरिए संविधान में पेश की गई दसवीं अनुसूची या दलबदल विरोधी कानून, सदन के अध्यक्ष को किसी पार्टी से 'दलबदल' करने वाले विधायकों को अयोग्य घोषित करने की शक्ति देता है. 1992 के एक ऐतिहासिक मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर में निहित शक्ति को बरकरार रखा और कहा कि केवल स्पीकर का अंतिम आदेश ही न्यायिक समीक्षा के अधीन होगा.

दलबदल से सदन का नंबर्स गेम बदल सकता है और सरकार को गिराया जा सकता है. यदि स्पीकर समय पर कार्रवाई करते हैं और ऐसे सदस्यों को अयोग्य घोषित करते हैं, तो नई सरकार के पास बहुमत नहीं हो सकता.

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