ला नीना के दौरान तापमान सामान्य से कम रहता है.इस बार ला नीना वर्ष होने के कारण सर्दी जल्दी शुरू हो गई है.मौसम विभाग की मानें तो ये साल पिछले 10 सालों में सबसे ठंडा साल होने वाला है.
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हर साल की तुलना में इस बार कड़ाके की ठंड पड़ने वाली है. ये 120 साल में 40वां 'ला नीना' वर्ष है. इस साल ठिठुरन के साथ-साथ शीतलहर, कोहरा भी छाया रहेगा. 20 दिसंबर से लेकर 20 जनवरी तक मौसम पर 'ला नीना' का असर रहेगा.
बता दें कि ला नीना के दौरान तापमान सामान्य से कम रहता है.इस बार ला नीना वर्ष होने के कारण सर्दी जल्दी शुरू हो गई है.मौसम विभाग की मानें तो ये साल पिछले 10 सालों में सबसे ठंडा साल होने वाला है. IMD पुणे के क्लाइमेट रिसर्च एंड सर्विस हेड डॉ. डीएस पई की मानें तो ला नीना साल 1901 से दर्ज किया जा रहा है. बीते 120 सालों में 2020 से पहले सर्दियों में 39 बारला नीना रहा है. साथ ही उन्होंने बताया कि इस साल फरवरी तक मौसम सामान्य से कम रहेगा.
14 नवंबर से मौसम में वेस्टर्न डिस्टरबेंस का असर भी देखने को मिलेगा. मौसम विभाग के अनुसार दिवाली के बाद पाकिस्तान की ओर से वेस्टर्न डिस्टरबेंस आ सकता है. जिसके कारण पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी के साथ-साथ मैदानी इलाकों में हल्की बारिश के साथ ठंड बढ़ सकती है.
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नवंबर के शुरुआती हफ्तों में रात का तापमान 2 ये 3 डिग्री तक गिरा. 20 दिसंबर के बाद से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरी व पूर्वी राजस्थान, पश्चमी उत्तर प्रदेश और उत्तरी मध्य प्रदेश में ज्यादा ठंड पड़ने की संभावना है.
क्या है 'ला नीना'?
'ला नीना' मानसून का रुख तय करने वाली सामुद्रिक घटना है. जिसमें समुद्री सतह गर्म होती है,काफी देर तक ला नीना की घटना होने से तापमान में असामान्य रूप से गिरावट आ जाती है. इस दौरान यू.एस. में दक्षिण-पूर्व में शीतकालीन तापमान सामान्य से कम होता और उत्तर-पश्चिम में सामान्य से ठंडा होता है.
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