भोपालः शहर की पहली महिला कुली बनीं लक्ष्मी, पति की मौत के बाद बिल्ला नंबर-13 बना पहचान
लक्ष्मी रोज नाइट ड्यूटी करने भोपाल स्टेशन आती हैं. शाम 6 बजे से ड्यूटी शुरू होती है जो देर रात तक चलती है. लक्ष्मी कहती हैं कि कुलीगिरी करना उनकी मजबूरी है, क्योंकि वह अपने बच्चे को अच्छी परवरिश देना चाहती हैं.
भोपालः जब हौसले बुलंद होते हैं तो बड़ी से बड़ी मुश्किल आसान लगने लगती है. हालात हावी होने की कोशिश करते हैं, तो वो औरत ही है जो बिना डरे डटकर उसका सामना करती है. हम आपका तार्रुफ आज ऐसी महिला से कराने जा रहे हैं जिसने मजबूरियों से हार नहीं मानी. परिवार को पालने और बच्चे को अच्छा भविष्य देने की जद्दोजहद में मुश्किल हालातों से ही लड़ पड़ी. ये महिला जिंदगी बोझ न लगे इसलिए दूसरों का बोझा उठाती हैं. महिला का नाम लक्ष्मी है जो भोपाल की पहली महिला कुली है.
पति की अचानक मौत के बाद लक्ष्मी के सामने और कोई चारा नहीं था. सर से छत जा चुकी थी. बच्चा सरकारी स्कूल में पढ़ रहा था, लेकिन उसकी फीस देने तक के लिए पैसा नहीं था. कभी बड़े अरमानों से पति के घर पहुंची लक्ष्मी को सामने सिवाय अंधेरे के और कुछ नहीं दिख रहा था. पति राकेश कुली था, तो उसके दोस्तों ने लक्ष्मी को रेलवे अफसरों से बात करने की सलाह दी. रेलवे के अफसरों ने नियमों का हवाला दिया और लक्ष्मी को मिला बिल्ला नंबर 13. ये बिल्ला नंबर 13 भोपाल स्टेशन पर लक्ष्मी की पहचान है.
लक्ष्मी भोपाल की पहली महिला कुली हैं. लक्ष्मी रोज नाइट ड्यूटी करने भोपाल स्टेशन आती हैं. शाम 6 बजे से ड्यूटी शुरू होती है जो देर रात तक चलती है. लक्ष्मी कहती हैं कि कुलीगिरी करना उनकी मजबूरी है, क्योंकि वह अपने बच्चे को अच्छी परवरिश देना चाहती हैं. सबकी तरह उसने भी बच्चे को अच्छे स्कूल में भेजने, बड़ा आदमी बनाने का सपना देखा है. ये अरमान वह पूरा करना चाहती हैं, लेकिन बिना सरकारी मदद के ये मुमकिन नहीं लग पा रहा. लक्ष्मी का कहना है कि सिर्फ कुलीगिरी से ये सपना पूरा नहीं हो सकता.
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लक्ष्मी का बेटा चौथी क्लास में है. बेटे का कहना है कि वो बड़ा होकर जज बनना चाहता है. उसने तय कर लिया है कि न तो वो बड़ा होकर खुद ये काम करेगा और ना ही अपनी मां को ये काम करने देगा. अपनी तुतलाती जुबान में छोटा सा बच्चा मां की मजबूरियां अच्छे से समझाता है. लक्ष्मी के साथियों का कहना है कि लक्ष्मी औरत है तो जाहिर है कि लोग औरत से सामान उठवाने से परहेज करते हैं. साथियों की मदद से लक्ष्मी दिन के करीब 100 से 200 रुपए कमा लेती है. कभी-कभी जब पैसा कम आता है, साथी मदद कर देते हैं.
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वहीं कई पैसेंजर्स महिला कुली को देखकर खुश हो जाते हैं. कुछ महिला पैसेंजर्स से जब हमने बात की तो उन्होंने कहा कि महिला अगर कुली बनती है तो महिला यात्रियों के लिए अच्छा है कि वो स्टेशन पर सामान सुरक्षित महसूस करेंगी. ऐसी कई महिलाएं हैं जिन्होंने पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर काम किया है. मजबूरी में सही, लेकिन लक्ष्मी जिस काम को कर रही हैं. उसके लिए जज्बे के साथ साथ हौसला भी चाहिए. ये बात जरूर है कि सरकार अगर मदद करे तो लक्ष्मी इससे बेहतर ज़िंदगी बसर कर सकेगी.