भोपाल में कोरोना Covaxin का ट्रायल डोज लगवाने वाले वालंटियर की मौत, अस्पताल प्रबंधन पर उठे सवाल
खबर यह भी है कि पीपुल्स अस्पताल द्वारा दीपक मरावी के परिजनों को भी ट्रायल में शामिल होने की जानकारी नहीं दी गई थी.
संदीप भम्मरकर/भोपाल: कोरोना कोवैक्सीन (Covaxin of Bharat Biotech) का ट्रायल डोज लगवाने वाले वालंटियर दीपक मरावी (47) की 21 दिसंबर की रात मौत हो गई. इस बात की जानकरी वालंटियर की मौत के 19 दिन बाद सामने आई है. दीपक मरावी को 12 दिसंबर को टीका लगाया गया था. जिसके बाद से उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी. इस दौरान हॉस्पिटल द्वारा उनके स्वास्थ्य की भी जानकारी नहीं ली गई. जबकि गाइडलाइन के मुताबिक ट्रायल में शामिल होने वाले वालंटियर की हेल्थ रिपोर्ट हर दिन लेनी होती है.
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दीपक मरावी की मौत से टीका लगाने वाले पीपुल्स अस्पताल के ट्रायल सिस्टम पर भी सवाल उठने लगे हैं. हालांकि, प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दीपक मरावी की मौत का कारण जहर के कारण हार्ट अटैक आना बताया गया है. उनकी मौत कोवैक्सीन का टीका लगवाने से हुई या किसी अन्य कारण से, इसकी पुष्टि पोस्टमार्टम की फाइनल रिपोर्ट आने के बाद होगी. फिलहाल दीपक के शव को विसरा पुलिस को सौंप दिया गया है.
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परिजनों को भी नहीं दी गई ट्रायल की जानकारी
खबर यह भी है कि पीपुल्स अस्पताल द्वारा दीपक मरावी के परिजनों को भी ट्रायल में शामिल होने की जानकारी नहीं दी गई थी. जानकारी के मुताबिक जिस वक्त दीपक मरावी को टीके का पहला डोज दिया गया था. उस वक्त उन्हें उल्टियां हुई थीं. साथ ही चक्कर आने के अलावा मुंह से झाग भी निकली थी. लेकिन अस्पताल प्रबंधन द्वारा उनकी जांच नहीं की गई.
अस्पताल प्रबंधन ने दिया ये जवाब
पीपुल्स अस्पताल के डीन डॉ.मनीष दीक्षित ने बताया कि 19 तारीख को फोन से दीपक मरावी के स्वास्थ्य की जानकारी ली गई थी. उस दौरान उन्हें कोई दिक्कत नहीं थी. लेकिन 21 दिसंबर को दीपक मरावी के बेटे ने पिता के मौत की जानकारी दी. प्रबंधन का कहना है कि दीपक मरावी की मौत कैसे हुई इस बात की जांच की जाएगी.
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आपको बता दें कि भारत बायोटेक (Bharat Biotech), आईसीएमआर (Indian Council of Medical Research) और एनआईवी (National Institute of Virology) पुणे द्वारा डेवलप स्वदेशी कोरोना वैक्सीन (Covaxin) का 7 जनवरी को फाइनल ट्रायल पूरा हुआ है. देशभर में 26 हजार से ज्यादा लोगों को कोवैक्सीन का ट्रायल टीका लगाया गया है.
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