क्राइम ब्रांच के ASP गोपाल धाकड़ के मुताबिक कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग में बढ़ोतरी हुई थी. जिसकी वजह से इसकी हेराफेरी की जा रही थी. उन्होंने कहा कि इन्हें या तो किसी वीवीआईपी तक पहुंचाने की तैयारी थी या फिर खुले बाज़ार में मुंह मांगी कीमत पर बेचा जाना था.
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भोपाल. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पताल में रेमडेसिविर इंजेक्शन चोरी होने की बात झूठ निकली है. पुलिस की अब तक की जांच में पता चला है कि इंजेक्शन चोरी नहीं हुए थे, बल्कि उनकी हेराफेरी की गई थी. स्टाफ के अन्य अधिकारियों को इस पर शक न हो, इसलिए चोरी की झूठी कहानी गढ़ी गई थी. क्राइम ब्रांच के इन्वेस्टीगेशन में 50 प्रतिशत इंजेक्शन अस्पताल के स्टोर रूम में ही रखे मिले हैं. वहीं, जो इंजेक्शन अभी भी नहीं मिले हैं, उनकी जांच की जा रही है.
क्राइम ब्रांच के ASP गोपाल धाकड़ के मुताबिक कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग में बढ़ोतरी हुई थी. जिसकी वजह से इसकी हेराफेरी की जा रही थी. उन्होंने कहा कि इन्हें या तो किसी वीवीआईपी तक पहुंचाने की तैयारी थी या फिर खुले बाज़ार में मुंह मांगी कीमत पर बेचा जाना था. इसी को छुपाने के लिए इंजेक्शन चोरी की झूठी कहना रची गई थी.
स्टोर रूम में ही मिले 450 इंजेक्शन
क्राइम ब्रांच के ASP गोपाल धाकड़ ने बताया कि अस्पताल के स्टोर रूम से चोरी हुए रेमडेसिविर इंजेक्शन के मामले में यह साफ हुआ है कि इंजेक्शन की हेराफेरी हमीदिया में चल रही थी. उसी को छुपाने के लिए चोरी की कहानी को गढ़ा गया था. चोरी हुए 863 इंजेक्शन में 450 इंजेक्शन हमीदिया के स्टोर रूम में मिले हैं.
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70 प्रतिशत इंजेक्शन का हुआ मिलान
गोपाल धाकड़ ने बताया कि जांच में रेमडेसिविर इंजेक्शन के 70 प्रतिशत स्टॉक का मिलान हो चुका है. जब इंजेक्शन स्टॉक रूम में ही मिल रहे हैं, तो चोरी कहां हुई. फिलहाल चोरी की शिकायत में मनगढ़ंत आंकड़ों के साथ FIR दर्ज करवा दी गई है. अभी जो इंजेक्शन नहीं मिले हैं उनकी जांच के लिए अस्पताल के स्टाफ से पूछताछ की जा रही है.
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