जीवन रक्षक टीका लगने के बाद शिशु की गई जान,बिलासपुर संभाग में एक हफ्ते में तीसरी मौत
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जीवन रक्षक टीका लगने के बाद शिशु की गई जान,बिलासपुर संभाग में एक हफ्ते में तीसरी मौत

Bilaspur News: जीवन रक्षक टीका लगने के बाद डेढ़ माह के शिशु की मौत हो गई. एक ही समय पर पांच टीके लगाए गए थे, जिससे शिशु को सांस लेने में तकलीफ हुई. उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से जिला अस्पताल लाया गया, लेकिन टीका लगने के 24 घंटे के अंदर ही उसकी मौत हो गई. 

Marwahi News

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के मरवाही के सेमरदर्री गांव में जीवन रक्षक टीका लगने के बाद डेढ़ माह के नवजात शिशु की मौत हो गई. मंगलवार को राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत उसे पांच टीके लगाए गए, जिनमें दो टीके पिलाए गए और तीन इंजेक्शन से लगाए गए. इसके बाद शिशु की तबीयत बिगड़ी, सांस लेने में तकलीफ हुई और 24 घंटे के अंदर उसकी मौत हो गई. यह बिलासपुर संभाग में एक सप्ताह में तीसरी मौत है.

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टीकाकरण कार्यक्रम 
गर्भवती माताओं और शिशुओं के जीवन रक्षा के लिए राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जाता है, लेकिन जब यह जीवन रक्षक टीकाकरण जानलेवा होने लगे, तो कार्यक्रम पर सवाल उठना स्वाभाविक है. सेमरदर्री गांव की प्रमिलाबाई ने अपने शिशु को टीकाकरण के लिए आंगनबाड़ी केंद्र ले गई थी. वहां पांच प्रकार के टीके लगाए गए. टीकाकरण के बाद शिशु की तबीयत बिगड़ी और उसे जिला चिकित्सालय रेफर किया गया. जहां उसकी मौत हो गई. परिवार वाले टीकाकरण को मौत का कारण मान रहे हैं.

टीकाकरण कर्मचारी का बयान
टीकाकरण करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि सामान्यतः टीकाकरण के बाद बच्चों को मामूली बुखार आता है, जिसके लिए पेरासिटामोल की गोली दी जाती है. संभवतः बुखार आने पर पेरासिटामोल की गोली नहीं दी गई और सांस फूलने की समस्या भी हो सकती थी. इस स्थिति में शिशु को जिला चिकित्सालय रेफर किया गया था. टीकाकरण से मौत होने की संभावना नहीं है, मौत की वजह की जांच की जाएगी.

टीकाकरण की विश्वसनीयता पर सवाल
बिलासपुर संभाग में एक सप्ताह के भीतर तीन मौतों की श्रृंखला ने राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा कर दिया है. 31 अगस्त को पटैता गांव में बीसीजी टीके के बाद एक शिशु की मौत हुई थी, जिसकी जांच चल रही है. अब एक और मौत ने टीकाकरण की गुणवत्ता पर सवाल खड़ा कर दिया है. विभाग जांच की बात कर रहा है, लेकिन शव परीक्षण के बिना शव परिजनों को सौंप दिया गया, जिससे जांच के नाम पर केवल कागजी खानापूर्ति ही रह जाएगी.

रिपोर्ट: दुर्गेश सिंह बिसेन (पेंड्रा मरवाही)

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