कभी इस महल में चलती थी विधानसभा, नक्काशियों पर आज भी है सोने की पॉलिश
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कभी इस महल में चलती थी विधानसभा, नक्काशियों पर आज भी है सोने की पॉलिश

भोपाल के राजधानी घोषित होने के बाद ग्वालियर का रुतबा कम ना हो इसलिए ग्वालियर को आबकारी, परिवहन,भू अभिलेख के प्रदेश स्तरीय दफ्तर दिए गए.

ग्वालियर अंचल के तमाम बड़े नेताओं ने देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से मिलकर ग्वालियर को ही मध्य प्रदेश की राजधानी बनाए रखने की मांग की.

ग्वालियर: 15 अगस्त 1947 को देश आजाद होने के बाद से ही रियासतें खत्म होना शुरू हो गई थीं. 28 मई 1948 को एक नए राज्य ने जन्म लिया और नाम था 'मध्य भारत'. इस मध्य भारत में ग्वालियर और इंदौर रियासतों के अलावा 25 रियासतों का विलय किया गया था. उस वक्त मध्य भारत की राजधानी ग्वालियर को बनाया गया था और ग्वालियर के शासक जीवाजी राव सिंधिया को राज प्रमुख का दर्जा दिया गया. बाद में मध्य भारत के सीएम के लिए चुनाव हुए तो गोपी कृष्ण विजयवर्गीय पहले सीएम चुने गए. सीएम की शपथ दिलाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ग्वालियर आए थे. 

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इसका गवाह है शहर के बीचोंबीच स्थित भव्य मोती महल. जहां मध्य भारत की राजधानी में लगने वाली विधानसभा यही से चलती थी. मोती महल के बीच एक दरबार हॉल है, जहां विधानसभा लगती थी. पूरे महल में बेहतरीन नक्काशी की गई है. इसकी दीवारें अपनी कहानी खुद बयां करती हैं. इस परिसर में 3 हजार से अधिक कमरे हैं. इस महल का निर्माण पूना के पेशवा पैलेस की तर्ज पर 1825 में कराया गया था. इसमें आज भी नक्काशी पर सोने की परत चढ़ी हुई है. 

बाद में राज्य गठन आयोग द्वारा एक नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश का गठन किया गया. जिसके बाद ग्वालियर अंचल के तमाम बड़े नेताओं ने देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से मिलकर ग्वालियर को ही मध्य प्रदेश की राजधानी बनाए रखने की मांग की. लेकिन, भोपाल को राजधानी घोषित कर दिया गया. 

भोपाल के राजधानी घोषित होने के बाद ग्वालियर का रुतबा कम ना हो इसलिए ग्वालियर को आबकारी, परिवहन,भू अभिलेख के प्रदेश स्तरीय दफ्तर दिए गए. इसके अलावा नारकोटिक्स डिपार्टमेंट का केंद्रीय दफ्तर ग्वालियर में खोला गया. इसके साथ ही मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ का ऑडिट भवन भी ग्वालियर को दिया गया. आज भी मोती महल से आधा सैकड़ा से अधिक विभाग संचालित किए जाते हैं. मोती महल की शान आज भी बरकरार है. अपने गौरवशाली इतिहास की गाथा कहते नजर आता हैं.

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