छत्तीसगढ़ चुनाव 2018: भरतपुर-सोनहट में BJP-कांग्रेस में जोरदार टक्कर, किसकी होगी जीत
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छत्तीसगढ़ चुनाव 2018: भरतपुर-सोनहट में BJP-कांग्रेस में जोरदार टक्कर, किसकी होगी जीत

भाजपा ने 2008 में इस सीट पर फूलचंद सिंह और 2013 में चंपा देवी को इस सीट पर प्रत्याशी के रूप में खड़ा किया था. जिन्होंने भाजपा को भारी मतों के अंतर से जीत दिलाई थी.

फोटो साभार- Facebook

कोरियाः छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले की भरतपुर-सोनहट विधानसभा सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है. यहां पर 2008 और 2013 के विधानसभा चुनावों में भी भारतीय जनता पार्टी के ही नेताओं ने जीत दर्ज कराई थी, लेकिन प्रदेश में जनता कांग्रेस और बसपा के गठबंधन के बाद से ही इस क्षेत्र में अलग लहर देखने को मिल रही है. हालांकि अभी तक भरतपुर-सोनहट की सीट भाजपा के पास थी, लेकिन देखना यह है कि आगामी चुनावों में कांग्रेस, भाजपा और जनता कांग्रेस के बीच चल रही जंग में किसकी जीत होती है. बता दें यह सीट एसटी आरक्षित सीट है. भाजपा ने 2008 में इस सीट पर फूलचंद सिंह और 2013 में चंपा देवी को इस सीट पर प्रत्याशी के रूप में खड़ा किया था. जिन्होंने भाजपा को भारी मतों के अंतर से जीत दिलाई थी. 

2008 विधानसभा चुनाव नतीजे
2008 के विधानसभा चुनावों में भाजपा प्रत्याशी फूलचंद सिंह ने कुल 35,443 वोट पाए. जबकि उनकी तुलना में कांग्रेस के गुलाब सिंह को केवल 28,145 वोट ही मिले. 

2013 विधानसभा चुनाव नतीजे
वहीं 2013 के चुनावों में भी भाजपा उम्मीद्वार चंपा देवी को 42,968 वोट मिले तो वहीं गुलाब कमरो को 38,360 वोट ही मिले. जिसके चलते 4,608 वोटों के अंतर के साथ चंपा देवी ने जीत हासिल की.

छत्तीसगढ़ चुनाव नतीजे...
बता दें छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं. राज्य में कुल 11 लोकसभा सीटें और 5 राज्य सभा सीटें हैं. राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से 51 सामान्य, 10 एससी और 29 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं. 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस को लगातार तीसरी बार मात देते हुए सरकार बनाई थी. 2013 में सीएम रमन सिंह की अगुवाई में हुए चुनाव में भाजपा ने कुल 49 सीटों पर जीत दर्ज कराई थी. बता दें छत्तीसगढ़ में इस बार भी कांग्रेस और भाजपा के बीच ही मुकाबला बताया जा रहा है. 2013 में भी कांग्रेस ने कुल 39 सीटों पर जीत पाई थी और 2 सीटों पर अन्य को जीत मिली थी, लेकिन इस बार प्रदेश की राजनीति में हुए जनता कांग्रेस और बसपा के गठबंधन से दोनों ही पार्टियां मुश्किल में नजर आ रही हैं. बता दें रमन सिंह पिछले 15 सालों से राज्य के मुख्यमंत्री हैं.

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