ऑनलाइन बीमा पोर्टल पर एक ही नाम के 4 गांव, किसानों का फसल बीमा कराना हुआ मुश्किल
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ऑनलाइन बीमा पोर्टल पर एक ही नाम के 4 गांव, किसानों का फसल बीमा कराना हुआ मुश्किल

एक नाम के दो-दो गांव होने का खामियाजा डोंगरगढ़ विधानसभा क्षेत्र के किसानों को भुगतना पड़ रहा है. ऑनलाइन बीमा पोर्टल में एक गांव खोलने पर दूसरा गांव खुलता है. जिसके चलते यहां के किसान फसल बीमा से वंचित हो रहे हैं.

ऑनलाइन बीमा पोर्टल पर एक ही नाम के 4 गांव, किसानों का फसल बीमा कराना हुआ मुश्किल

किशोर शिल्लेदार/राजनांदगांव: एक नाम के दो-दो गांव होने का खामियाजा डोंगरगढ़ विधानसभा क्षेत्र के किसानों को भुगतना पड़ रहा है. ऑनलाइन बीमा पोर्टल में एक गांव खोलने पर दूसरा गांव खुलता है. जिसके चलते यहां के किसान फसल बीमा से वंचित हो रहे हैं. इस समस्या को लेकर किसानों ने भारतीय जनता पार्टी के साथ कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपकर व्यवस्था सुधारने की मांग की है.

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दरअसल राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत 4 ऐसे गांव हैं, जिनके नाम के चार अन्य गांव भी मौजूद है. इन 4 गांव के किसानों को इन दिनों फसल बीमा कराने में समस्या सामने आ रही है और फसल का बीमा नहीं हो पा रहा है. एक ही नाम के दो-दो गांव होने के चलते ऑनलाइन बीमा पोर्टल पर यह समस्या उत्पन्न हो रही है. जिसे देखते हुए बड़ी संख्या में इन चारों गांव के किसानों ने आज भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष मधुसूदन यादव और भाजपा जिलाध्यक्ष रमेश पटेल के नेतृत्व में कलेक्टर के नाम एक ज्ञापन सौंपा है.

बीमा से वंचित हुए
अपने ज्ञापन में किसानों ने कहा है कि एक गांव का फसल बीमा पोर्टल खोलने पर उसी नाम के दूसरे गांव का फसल बीमा पोर्टल खुलता है, जिसके चलते गांव के कृषक खरीफ फसल बीमा से वंचित हो गए. ज्ञापन सौंपने के दौरान जिला भाजपा अध्यक्ष रमेश पटेल और किसान प्यारे दास साहू ने कहा कि उसी नाम का दूसरा गांव होने के चलते दिक्कत हो रही है.

जल्द समाधान की बात
डोंगरगढ़ विधानसभा क्षेत्र के 4 गांव में इस तरह की समस्या आ रही है. जिसमें ठाकुर टोला, कातलवाही, खुर्सीपार और पीपरखार शामिल है. इन सभी नाम के अन्य गांव भी है. जिसके चलते यह समस्या उत्पन्न हो रही है. अपने ज्ञापन के माध्यम से किसानों ने कहा कि वर्तमान में खरीफ फसल बीमा कराने की अवधि 15 दिसंबर तक है. ऐसे में वे इस बीमा से भी वंचित हो जाएंगे. कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपते हुए किसानों ने जल्द से जल्द इस समस्या के समाधान की मांग की है.

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