छत्तीसगढ़ CGPSC में पति-पत्नी ने टॉपर बनकर रचा इतिहास, ऐसी है सफलता की कहानी
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छत्तीसगढ़ CGPSC में पति-पत्नी ने टॉपर बनकर रचा इतिहास, ऐसी है सफलता की कहानी

बीते मंगलवार को छत्तीसगढ़ राज्य सेवा 2019 का रिजल्ट जारी हुआ है. जिसमें बिलासपुर के एक परिवार के बहू और बेटा इस परीक्षा में सफल हुए हैं.

पति-पत्नी बने CGPSC टॉपर

शैलेंद्र सिंह ठाकुर/बिलासपुरः मंगलवार को छत्तीसगढ़ में CGPSC का रिजल्ट घोषित किया गया है. जिसमें छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में पति और पत्नी की जोड़ी ने में पीएससी के टॉप आकर इतिहास रच दिया है. ये दूसरा अवसर होगा कि बिलासपुर में पति-पत्नी ने लोक प्रशासनिक सेवा के परिणाम में अपना टॉप रैंक हासिल किया है. खास बात यह है कि इससे पहले दोनों पति-पत्नी छत्तीसगढ़ में पुलिस अफसर के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे थे. 

एक दूसरे की दम से हासिल की सफलता 
CGPSC के रिजल्ट में श्रृष्टि चंद्राकर और सोनल डेविड ने टॉप रैंक हासिल की है. वर्तमान समय में बिलासपुर शहर में बतौर सीएसपी श्रृष्टि चंद्राकर चकरभाठा में पदस्थ है, तो उनके वहीं पति सोनल डेविड केंद्रीय जेल बिलासपुर में सहायक जेल अधीक्षक के पद पर आसीन है. ये अपनी ड्यूटी पूरी इमानदारी के साथ निर्वाहन करते हुए पढ़ाई के प्रति भी सजग रहें, इन्हें जब जितना भी समय पढाई के लिए मिलता, एक दूसरे के टीचर बनकर तैयारी किया करते थे. जिनकी कड़ी मेहनत और लगन ने राज्य के सर्वोच्च पद के लिए सेलेक्ट किया गया है.  

पत्नी ने दूसरा तो पति ने हासिल की तीसरा स्थान 
दरअसल, बीते मंगलवार को छत्तीसगढ़ राज्य सेवा 2019 का रिजल्ट जारी हुआ है. जिसमें बिलासपुर के एक परिवार के बहू और बेटा इस परीक्षा में सफल हुए हैं. मेरिट में बहूं सृष्टि चंद्राकर को दूसरा और बेटे सोनल डेविड को तीसरा स्थान मिला है. अब यह कपल छत्तीसगढ़ में डिप्टी कलेक्टर बनेंगे. यह संभवत दूसरा मौका होगा जब पति-पत्नी दोनों एक साथ किसी परीक्षा में सफल रहे हैं और मेरिट में टॉप 5 में आए हैं.  इससे पहले CGPSC में बिलासपुर के अनुभव सिंह प्रथम और विभा सिंह ने दूसरा स्थान हासिल किया था. वर्तमान समय में टापर अनुभव सिंह मुंगेली जिले के पथरिया में नगर पालिका में मुख्य नगरपालिका अधिकारी है और सेकेण्ड टापर पत्नी विभा सिंह बिलासपुर नगर निगम के जोन क्रमांक 8 में जोन कमिशनर है. छत्तीसगढ़ में यह पहला अवसर था, जब पति और पत्नी ने बाजी मारी थी, और अब ये दूसरा अवसर है कि फिर पति और पत्नी ने टॉपर का इतिहास रच दिया है. 
 
दोनों पुलिस विभाग में थे 
बता दें कि 2015 में सोनल डेविड सहायक जेल अधीक्षक बने थे. तब से लगातार में CGPSC की परीक्षा दे रहे थे पांच साल पहले 2017 में भी उन्हें सफलता मिली थी, तब उन्हें सहायक अधीक्षक भू-अभिलेख का पद मिला था, लेकिन उनकी जिद डिप्टी कलेक्टर बनने की थी. इसलिए उन्होंने उस पोस्ट पर ज्वाइन नहीं किया और सहायक जेल अधीक्षक के पद पर ही काम करते रहे. वर्तमान नें CSP सृष्टि चंद्राकर के तौर पर काम कर रही है. वे 2016 में DSP बनीं थीं. सृष्टि के ससुर और सोनल डेविड के पिता छत्तीसगढ़ पुलिस में DSP पद से पर रह हैं. कुछ महीने पहले ही नौकरी से रिटायर हुए हैं. अब इस परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद परिवार में बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. 

प्यार में बदली दोनों की दोस्ती 
अब परिवार में उनके बहू-बेटा दोनों डिप्टी कलेक्टर बने हैं. सृष्टि और सोनल ने 2012 में इंजीनियरिंग पूरी की थी. सृष्टि और सोनल की दोस्ती इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान हुई थी. फिर दोस्ती प्यार में बदल गई और दोनों ने घर वालों को मना कर शादी कर ली. दोनों ने बीआईटी दुर्ग से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की थी. जिसके बाद से ही दोनों प्रशासनिक सेवा की तैयारी में लगे हुए थे. उनका मानना है कि शुरुआती सफलता केवल जीवन का एक पड़ाव था मंजिल अब मिली है. क्योंकि अब दोनों पति-पत्नी दोनों डिप्टी कलेक्टर बनने जा रहे हैं. 
 
सपना पूरा हो गया 
इस पर पति सोनल डेविड ने कहा कि आज मेरा सपना पूरा हो गया है, शुरू से मेरी ख्वाहिश डिप्टी कलेक्टर बनने की थी और उसके लिए मैं संकल्पित था. सुनील डेविड ने कहा कि मेरी पत्नी श्रृष्टि मेरे मोरल को हमेशा बढाने का काम किया है और एप्रिशिएट भी करती रही है. इसी तरह हम एक दूसरे के लिए गाइड बनकर पढ़ाई करते रहे है. ये कहना आज सही होगा कि एक पति के सफलता पर उसकी पत्नी का बड़ा सहयोग और योगदान होता है. ठीक उसी तरह आज मेरी पत्नी के सफलता पर एक पति के रूप में मेरा योगदान है. 

सोनल ने कहा कि हम दोनों को ये जरुर यकीन था कि हम सेलेक्ट होंगे, लेकिन ईश्वर की इतनी मेहरबानी होगी, ये आज अहसास हो रहा है. मेरे परिवार की पृष्टभूमि पुलिस विभाग से है, लेकिन मेरी इच्छा शुरू से ही डिप्टी कलेक्टर बनने की ही थी. वही श्रृष्टि ने कहा बेटियां आज के समय में किसी से कम नहीं है, यही वजह है कि टॉप 10 में 7 लड़कियों ने अपना स्थान हासिल किया है. माता-पिता बेटियों के सपोर्ट से बेटियां सफलता की कामयाबी को चूम सकती है, मेरे इस सफलता का पूरा श्रेय मेरी पति और ससुराल समेत मेरे परिवार को जाता है. 

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