CG: नक्‍सल‍ियों के बैकफुट में जाने का असर, सामने आ रहे खूबसूरत वाटरफॉल
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CG: नक्‍सल‍ियों के बैकफुट में जाने का असर, सामने आ रहे खूबसूरत वाटरफॉल

Hidden waterfall: जैसे-जैसे नक्सली बैकफुट पर जा रहे हैंं, वैसे-वैसे नक्सल इलाकों से खूबसूरत वाटरफॉल सामने आ रहे हैंं. ऐसा ही वाटरफॉल छत्‍तीसगढ़ के कोंडागांव ज‍िले में सामने आया है ज‍िसकी खूबसूरती काफी मन मोहने वाली है. 

कोंडागांव ज‍िले में खूबसूरत वाटरफॉल.

चंपेश जोशी/कोंडागांव: छत्‍तीसगढ़ में कोंडागांव जिले को प्रकृति द्वारा अपार प्राकृतिक संसाधनों का वरदान दिया गया है जो अब तक लोगों की पहुंच से दूर होने एवं इसके संबंध में जानकारी के अभाव के कारण अब तक अज्ञात रहा था. इसका बड़ा कारण नक्सलवाद रहा है. 

ज‍िले की सुंदरता आ रही सामने 
अब जब नक्सली बैकफुट पर जा रहे हैं तो जिले की सुन्दरता भी सामने आने लगा है. जिले में होनहेड़ वाटरफॉल जैसे और भी दर्जनोंं झरनों की खोज नक्सलि‍यों के बैकफुट पर जाने के बाद देखने को मिल रहा है जिसे अब जिला प्रशासन द्धारा नई पहचान दिलाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा ईको पर्यटन सर्किट का निर्माण करने के साथ पर्यटन केन्द्रों को विकसित कर स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण के माध्यम से पर्यटन क्षेत्र की जिम्मेदारियां प्रदान कर रही है. 

कैंप‍िंंग के सामने सामने आया वाटरफॉल  
इन्हीं में से एक स्थानीय आदिवासी पर्यटन समिति होनहेड़ पर्यटन समिति के द्वारा जिला प्रशासन के सहयोग से जलप्रपात के निकट साहसिक खेलों एवं पर्यटन की संभावनाओं को नई उंचाईयों तक पहुंचाने के लिए होनहेड़ जलप्रपात में कैंपिंग का आयोजन किया जा रहा है. इसमें पर्यटकों के लिए जंगल कैंपिंग, ट्रेकिंग, बोनफायर, स्थानीय व्यंजनों के भोजन, देवगुड़ी भ्रमण, स्थानीय जनजातीय कथाओं का वर्णन आदि गतिविधियों को शामिल किया गया है जिसमें स्थानीय युवाओं द्वारा इस कैंपिंग में आये लोगों को जंगल यात्रा के साथ स्थानीय जड़ीबूटियों एवं वनस्पतियों की जानकारी भी प्रदान की जायेगी. ट्रेक‍िंग के दौरान ऐसी कई जगह सामने आ रही हैं जो काफी खूबसूरत हैं और अभी तक ज‍िनके बारे में क‍िसी को ज्‍यादा पता भी नहीं है.  

कोंडागांव ज‍िले में हैं काफी पर्यटन स्‍थल 

बता दें क‍ि कोंडागांव जिले में काफी पर्यटन स्थल हैं. कोपाबेड़ा स्थित शिव मंदिर, आराध्य मां दंतेश्‍वरी – बडे़डोंगर, केशकाल की सुरम्य घाटी, स्वरूपा माता महालक्ष्मी शक्ति पीठ छत्तीसगढ़ टाटामारी,  भोंगापाल, बंडापाल, मिसरी तथा बड़गरी ग्रामों के मध्य बौद्धकालीन ऐतिहासिक टीले हैं. 

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