Dhamtari Mata Nirai Mata: चैत्र नवरात्रि के मौके पर आज हम आपको धमतरी से करीब 70 किलोमीटर दूर मोहेरा पंचायत के घने जंगलों के बीच स्थित मां निरई माता के दरबार के बारे में बताएंगे.
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सुभाष साहब/धमतरी: भले ही धमतरी के दिगर जगहों में माओवादियों के खौफ का साया मंडराता हो,हालांकि मगरलोड इलाके के बीहड़ में साल भर माता की भक्ति का सैलाब उमड़ पड़ता है . मां निरई माता के चमत्कार का ही प्रभाव है कि दूर-दूर से यहां लोग अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए खिचे चले आते हैं. माना जाता है कि नवरात्र में यहां ज्योतखुद ब खुद जल उठती है. खास बात ये है कि माता का दरबार साल में एक बार चैत्र नवरात्र में एक दिन के लिए ही खोला जाता है.
ऐसी है मान्यता?
बता दें कि धमतरी से करीब 70 किमी दूर मोहेरा पंचायत के घने जंगलों के बीच मौजूद मां निरई माता के दरबार में चारों ओर जय माता दी का जयकारा गूंजता रहता है. मगरलोड इलाके के इस बीहड़ में माता के दर्शन करने आते हैं.बीच उनके रास्ते न तो फासले की मुश्किलात रोक पाती है और ना ही नक्सली संगीनो का खौफ.बताया जाता है कि सैकड़ों साल पहले बीहड़ पहाड़ में मां निरई माता का मंदिर स्थापना की गई और वहीं पुजारी बैगा की सेवा से प्रसन्न होकर माता अपने भक्त बैगा को ममता का दुलार देती थीं. उसे नहलाती और खाना भी खिलाती थीं, लेकिन बैगा के पत्नी शक पर माता क्रोधित हो उठी. जिसके बाद किसी भी महिला को नहीं देखने अपनी इच्छा जाहिर की.यही वजह है कि इस मंदिर में महिलाओं का आने-जाने में मनाही है.. चैत्र नवरात्र के पहले रविवार को ही माता के दर्शन करने का रिवाज है.
भक्ति और शक्ति का अद्भुत नजारा
मां निरई माता का यह दरबार भक्तों की आस्था का केन्द्र बन गया और आज यहां मौजूद मन्दिर शक्ति की भक्ति का गवाही दे रहा है.भक्तों का मानना है कि चैत्र नवरात्र में यहां खुद ब खुद ज्योत जल उठती है. इसके अलावा और कई चमत्कार दिखाई पडते हैं और इस खास मौके पर हजारों की तदाद में बकरों की बलि चढ़ती है. मान्यता है कि बकरों की बलि देने से माता प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. बहरहाल, भक्ति और शक्ति का यह अद्भुत नजारा ये बयां करता है कि आस्था के सामने खौफ कोई मायने नहीं रखता.मोहेरा गांव के पहाड़ में मौजूद माता के मन्दिर मे लोग इसी यकीन पर चले आते हैं.