Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कहा-नजरिया बदले समाज, सांवले रंग से जुड़ा था मामला
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Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कहा-नजरिया बदले समाज, सांवले रंग से जुड़ा था मामला

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है, पति ने पत्नी के सांवले रंग के कारण उससे तलाक की अर्जी लगाई थी, जिसे खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी की है. 

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का अहम फैसला

Chhattisgarh News: भले ही हम आधुनिकता के दौर में तेजी से आगे बढ़ते जा रहे हैं. लेकिन आज भी हमारे समाज में रंगों को लेकर भेदभाव देखने को मिल ही जाता है. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने ऐसे ही एक मामले में बड़ी टिप्पणी की है. दरअसल, एक पति अपनी पत्नी को सांवले रंग की वजह से तलाक देना चाहता था. लेकिन हाईकोर्ट ने पति की अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि केवल सांवले रंग की वजह से पति अपनी पत्नी को तलाक नहीं दे सकता है. इसके अलावा हाईकोर्ट ने समाज को भी मानसिकता बदलने की बात कही है. 

समाज को नजरिया बदलना होगा 

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि किसी भी पति को पत्नी से सिर्फ इसलिए अलग होने की छूट नहीं दी जा सकती कि उसका रंग सांवला है. हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि समाज को अपना नजरिया बदलना होगा. भेदभाव मिटाने के लिए समाज में हर घर में बदलाव की जरुरत है. इसके अलावा हाईकोर्ट ने फेयरनेस क्रीम इंडस्ट्री की भी आलोचना की है. 

भेदभाव खत्म करने की जरुरत 

दरअसल, मामला छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार का है. यहां के एक शख्स ने बलौदा बाजार जिले की फैमिली कोर्ट में पत्नी के सांवले रंग के कारण उससे अलग होने की अर्जी लगाई थी. जिसे जिला कोर्ट ने खारिज कर दिया तो वह हाईकोर्ट पहुंच गया. हाईकोर्ट में जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस दीपक कुमार तिवारी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई में पति की अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि 'सांवली के मुकाबले गोरी त्वचा को प्राथमिकता देने की समाज की मानसिकता को बढ़ावा देने के लिए पति को प्रोत्साहन नहीं दिया जा सकता. समाज में रंग के आधार पर महिलाओं के साथ भेदभाव खत्म करने की जरूरत है. कोर्ट ने इस बात पर चिंता जताई कि सांवली महिलाओं को गोरी महिलाओं के मुकाबले कमतर आंका जाता है.' 

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हर घर से हो बदलाव 

कोर्ट ने कहा त्वचा को गोरा करने वाले अधिकांश सौंदर्य प्रसाधन महिलाओं को लक्षित करते हैं. वे सांवली महिलाओं को कम आत्मविश्वासी व असुरक्षित के रूप में चित्रित करते हैं, जो तब तक जीवन में सफलता हासिल करने में असमर्थ है, जब तक कोई उसे फेयरनेस क्रीम का इस्तेमाल करने का सुझाव नहीं देता. इसलिए हर घर में अब बदलाव की जरुरत है. रंग का भेदभाव दूर करने की जरुरत हैं. 

पति उड़ाता था मजाक 

बताया जा रहा है कि तलाक की अर्जी के पीछे पति की दलील थी कि पत्नी बिना कोई कारण बताए ही उसका घर छोड़कर चली गई थी. कई प्रयासों के बावजूद वह वापस नहीं आई, जिसके बाद उसने तलाक की अर्जी लगाई थी. वहीं दूसरी तरफ मामले में पत्नी ने बताया कि पति उसके सांवले रंग को लेकर उसका मजाक उड़ाता था और उसके लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करता था. ऐसे में उसके अत्याचारों से त्रस्त होकर वह अलग रहने लगी थी. ऐसे में हाईकोर्ट ने पूरे मामले में पति की अर्जी को खारिज कर दिया है. 

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