छत्तीसगढ़ बना देश का सबसे साफ राज्य, 239 में से 67 पुरस्कार पाकर बनाया दबदबा
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छत्तीसगढ़ बना देश का सबसे साफ राज्य, 239 में से 67 पुरस्कार पाकर बनाया दबदबा

छत्तीसगढ़ के गांवों के 7 हजार 500 से अधिक गौठानों में लगभग 5 हजार स्व सहायता समूहों की 70 हजार महिलाएं विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से पर्यावरण को बेहतर बनाने में जुटी हुई हैं. 

रायपुर की एक तस्वीर.

रजनी ठाकुर/रायपुरः स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 के विजेताओं का ऐलान हो चुका है. इस सर्वेक्षण में छत्तीसगढ़ को देश का सबसे साफ राज्य चुना गया है. नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से सीएम भूपेश बघेल ने यह पुरस्कार ग्रहण किया. बता दें कि लगातार तीसरी साल छत्तीसगढ़ को यह अवार्ड मिला है. स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर को देश का सबसे साफ शहर चुना गया है. वहीं सूरत और विजयवाड़ा को क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान मिला है. 

सीएम भूपेश बघेल ने यह अवार्ड प्रदेश की जनता को समर्पित किया. हर साल भारत सरकार के शहरी एवं आवास मंत्रालय द्वारा स्वच्छता सर्वेक्षण का आयोजन किया जाता है. इसमें विभिन्न मापदंडों पर शहरी स्वच्छता का आकलन किया जाता है. इसमें घरों से कचरा एकत्रीकरण, कचरे का वैज्ञानिक रीति से निपटान, खुले में शौच मुक्त शहर, कचरा मुक्त शहर आदि मापदंडों की जांच की जाती है. नागरिकों के फीडबैक को भी इसमें शामिल किया जाता है. छत्तीसगढ़ के 61 निकाय स्वच्छ घोषित किए गए हैं, जो कि देश में सबसे ज्यादा हैं. 

छत्तीसगढ़ में नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी सिद्धांत के अनुसार, 9000 से अधिक स्वच्छता दीदियों द्वारा घर-घर से 1600 टन गीला और सूखा कचरा एकत्र कर वैज्ञानिक नीति से कचरे का निपटान किया जा रहा है. भारत सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ को देश का प्रथम ओडीएफ प्लस राज्य घोषित किया गया है. इससे पहले साल 2019 और 2020 में भी छत्तीसगढ़ को देश का सबसे साफ राज्य चुना गया था. स्वच्छता के क्षेत्र में राष्ट्रपति द्वारा दिए जाने वाले 239 पुरस्कारों में से 67 पुरस्कार छत्तीसगढ़ से संबंधित हैं.

छत्तीसगढ़ के गांवों के 7 हजार 500 से अधिक गौठानों में लगभग 5 हजार स्व सहायता समूहों की 70 हजार महिलाएं विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से पर्यावरण को बेहतर बनाने में जुटी हुई हैं. सिंगल यूज प्लास्टिक बैन पर जोर दिया. 6-R पॉलिसी यानी रीथिंक, रियूज, रिसाइकिल, रिपेयर, रिड्यूस, रिफ्यूज के आधार पर काम किया. इससे नए अपशिष्ट बनने की मात्रा कम होने लगी. बस्तियों में सामुदायिक और सार्वजानिक शौचालय बनाए.

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