दशहरा: रावण के पुतले बनाने के लिए पूरे छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध इस गांव की पांच पीढ़ियों की दिलचस्प कहानी, पढ़िए
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दशहरा: रावण के पुतले बनाने के लिए पूरे छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध इस गांव की पांच पीढ़ियों की दिलचस्प कहानी, पढ़िए

पांच दशक पहले गाँव की रामलीला मंडली में रावण का किरदार निभाने में इतना रम गए कि रावण का पुतला बनाना सीख लिया. अब ये काम उनकी पांचवी पीढ़ी कर रही है. 

यहां के लोग रावण की वजह से लाखों की कमाई कर लेते है.

अमृत सतलानी/दुर्ग: बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा कई मायनों में खास पर्व है. इसे हमारी धार्मिक भावनाओं से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के कुथरेल गांव में ये उनकी रोज़ी रोटी कमाने का अहम जऱिया है. यहां के लोग रावण की वजह से लाखों की कमाई कर लेते है. इस गांव में लोग रावण की वजह से लाखो रुपए की कमाई कर रहे हैं. 

चौथी पीढ़ी भी कर रही यही काम
दुर्ग जिले का कुथरेल गाँव महज साढ़े चार हजार की आबादी वाला गांव है. यहां की कुछ घरों की अब चौथी पीढ़ी रावण, मेघनाथ, कुंभकरण के पुतले बना रहे हैं. गाँव मे रावण के भीमकाय पुतले बनाने की शुरुआत यहां के एक बुजुर्ग बिसोहाराम साहू ने की थी. पेशे से वो बढ़ई थे और गाँव की रामलीला मंडली में रावण का किरदार निभाते थे. वो अपने किरदार में इतने रम गए कि उन्होंने दशहरे के लिए रावण का पुतला बनाना सीखा और धीरे-धीरे उनके बनाए पुतलों की मांग बढ़ती गई. तब उनके ही परिवार के लोमन सिंह साहू ने भी ये काम सीखा और इस तरह उनके परिवार में ये परंपरा आगे बढ़ती रही. अब उनके परिवार के बच्चे भी रावण का पुतला बनाना  सीख गए हैं. 

पूरे प्रदेश में जाते हैं रावण के पुतले
साहू परिवार के बनाए रावण के पुतले दुर्ग के अलावा राजधानी रायपुर,बिलासपुर, सहित करीब 10 जिलों में जाते हैं. अकेले उनके पास ही इस बार 25 समितियों ने रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले तैयार करने का आर्डर दिया है. लेकिन कोविड प्रोटोकॉल की वजह से इस बार रावण का कद कम कर दिया गया है. जहां कभी 70 फिट के रावण के पुतले बनते थे, वहां केवल 50 फिट का पुतला बनाया जा रहा है. वे भिलाई-दुर्ग सहित रायपुर के बीरगांव और आसपास के कई जिलों और गांवों की समितियों के लिए भी पुतले तैयार कर रहे हैं.

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महिलाएं भी देती हैं साथ
रावण के पुतले बनाने के इस पूरे काम मे साहू परिवार की महिलाएं भी साथ मे बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती है. इस काम मे घर की महिलाएं पुरुष कारीगरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हैं. एक पुतले की कीमत करीब 25 हजार रुपए तक होती है. आपको बता दे कि रावण के शरीर को तैयार करने बांस, पुरानी बोरी पुट्टा और कागज का इस्तेमाल किया जाता है,लेकिन मुखौटा बनाने में काफी मेहनत लगती है. इसके लिए पहले मिट्टी का एक खाँचा तैयार किया जाता है, जिसपर कागज को सजाया और लगाया जाता है. रावण के पुतले को बनाने में करीब 2 महिने का समय लगता है. इन 60 दिनों में पूरी शिद्दत और राम भक्ति के साथ रावण के ये विशाल काय पुतले तैयार किए जाते है.

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