Chattisgarh News: छत्तीसगढ़ के कांकेर लोकसभा सीट से सांसद रहे सोहन पोटाई (MP Sohan Potai) के निधन की वजह से उनके लोकसभा क्षेत्र में शोक की लहर फैल गई है. पोटाई लंबे समय से कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे और आज अपने निवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन पर राजनेताओं ने गहरा दु:ख जताकर श्रद्धांजलि दी है.
Trending Photos
प्रशांत मिश्रा/कांकेर: कांकेर लोकसभा (Kanker Lok Sabha) क्षेत्र के पूर्व सांसद और सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष सोहन पोटाई (Sohan Potai)के निधन (Death) से उनके लोकसभा क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है. उनके निधन के बाद उनके आवास पर समर्थकों का तांता लगना शुरू हो गया. पोटाई लंबे समय से कैंसर (Cancer) की बीमारी से जूझ रहे थे. जिसके चलते उन्होंने कांकेर स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली. छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल सहित कई नेताओं ने श्रद्धांजलि दी है.
सीएम ने दी श्रद्धांजलि
छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने पूर्व सांसद के निधन पर श्रद्धांजलि दी. उन्होने ट्विट करते हुए कहा कि सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष, कांकेर लोकसभा से पूर्व सांसद सोहन पोटाई जी के निधन का समाचार दुखद है. उनका जाना एक अपूरणीय राजनीतिक और सामाजिक क्षति है. उनके सामाजिक योगदान को सदैव याद रखा जाएगा. ईश्वर उनके परिवारजनों एवं चाहने वालों को संबल दें.
रमन सिंह ने दी श्रद्धांजलि
पूर्व सांसद के निधन के बाद छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह ने अपने ट्विटर हैंडल से उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि 4 बार कांकेर से सांसद रहे भाजपा के कर्मठ नेता श्री सोहन पोटाई जी के निधन समाचार से मन व्यथित है. मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि दिवंगत आत्मा को श्रीचरणों में स्थान और शोकाकुल परिजनों को इस कठिन समय में धैर्य और संबल प्रदान करें.
राजनीतिक कैरियर
सोहन पोटाई साल 1998 में कांग्रेस के दिग्गज नेता को हराकर राजनीति की सुर्खियों में आए थे. इसके बाद उन्होंने 1999 , 2004 में और 2009 में कांकेर सीट से जीत हासिल करके अपनी एक अलग पहचान बनाई थी. लेकिन साल 2014 के चुनाव में भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया और पार्टी से निष्कासित कर दिया था. इसके बाद वो आदिवासी समाज की राजनीति में सक्रिय हो गए और अपनी आगे की राजनीति आदिवासी समाज के लिए करने लगे थे.
कैंसर से थे पीड़ित
पूर्व सांसद और सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष सोहन पोटाई लंबे समय से कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे. वो इस समय 64 साल साल के थे. इनकी मौत के बाद पूरे क्षेत्र में माहौल गमगीन हो गया है. इन्होंने राजनीति की शुरूआत पोस्टमास्टर की नौकरी को छोड़कर की थी. ये हमेशा से आदिवासी समाज के हितों को लेकर मुखर रहते थे. कहा जाता है कि आरएसएस में भी एक समय इनकी सक्रिय भागीदारी रही थी.