हाल ही में मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने नारा दिया था कि जात पात की करो विदाई, हम सब हिंदू भाई भाई. लेकिन ये नारा बुंदेलखंड में ही दम तोड़ता नजर आ रहा है.
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Damoh Dalit Dulha: हाल ही में मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने नारा दिया था कि जात पात की करो विदाई, हम सब हिंदू भाई भाई. लेकिन ये नारा बुंदेलखंड में ही दम तोड़ता नजर आ रहा है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि, दमोह जिले से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है. जहां एक दलित दूल्हे को घोड़ी पर बैठाना घोड़ी वाले को महंगा पड़ गया, गांव के कुछ दबंगो ने घोड़ी और बग्गी मालिक की जमकर धुनाई कर डाली.
जानिए पूरा मामला
दरअसल, दमोह की जबलपुर नाका पुलिस चौकी के तहत आने वाले चोरई गांव में एक दलित समाज के लड़के की शादी थी, बारात में दूल्हे को घोड़ा बग्गी पर बैठाना था. लिहाजा परिजनों ने दमोह से बग्गी का इंतज़ाम किया और दमोह से घोड़ा बग्गी चोरई गांव पहुंची. ये सब गांव में सामंतवादी सोच रखने वाले लोगों को नागवार गुजरी. इस बार इन लोगों ने दूल्हे या उनके परिवार के लोगों से कुछ नहीं कहा, बल्कि जो लोग बग्गी लेकर आये थे, मतलब बग्गी मालिक था उसे बुलाकर कहा गया कि वो दलित समाज के दूल्हे को घोड़ी बग्गी पर न बैठाए.
बग्गी मालिक की धुनाई
बग्गी मालिक ने इस बात को दूल्हे और उसके परिवार को बताया. लेकिन गांव के ही कुछ जिम्मेदार लोगों ने बीच मे आकर इस बात की गारंटी ली कि कहीं कुछ नहीं होगा. हुआ भी वही बारात पूरे शानोशौकत से निकली लोग नाचते गाते बारात में शामिल हुए. लेकिन बारात के बाद घोड़ा बग्गी मालिक और कर्मचारियों की शामत आ गई. बारात के बाद घोडा बग्गी लेकर उसका मालिक दमोह वापस लौट रहा था. तभी गांव के बाहर कुछ लोगों ने उसे रोका और उसकी जमकर धुनाई कर डाली.
पुलिस में की शिकायत
जब वजह पूंछी गई तो मारपीट करने वाले लोगों ने साफ कहा कि मना करने के बाद भी नीची जाति के दूल्हे को घोड़ा बग्गी पर कैसे बैठाया. जैसे तैसे जान बचाकर बग्गी मालिक और उसके दो साथी भागे और देर रात ही जबलपुर नाका पुलिस चौकी पहुंचे. जहां तीनों की चोटें देखकर पुलिस उनके इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंची.
पुलिस ने दर्ज किया मामला
इस मामले में पुलिस ने तीन लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर जांच शुरू की है. वहीं, आरोपियों की तलाश की जा रही है. बहरहाल कुछ सालों पहले तक बून्देलखण्ड मे ऐसे मामले आम बात थे, जब दलित या कथित तौर पर कही जाने वाली छोटी जाति के लोगो को घोड़ी पर बैठने की इजाजत नही थी. लेकिन वक्त के साथ ऐसे मामले सामने आने बंद हो गए लेकिन एक बार फिर बून्देलखण्ड में इस तरह के मामलों का सामने आना चिंता का विषय जरूर है.
रिपोर्ट- महेंद्र दुबे, दमोह
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