क्या राहुल के दौरे से बदलेंगे छत्तीसगढ़ के सियासी मायने, दाऊ और बाबा में नजदीकी या दूरियां ?
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क्या राहुल के दौरे से बदलेंगे छत्तीसगढ़ के सियासी मायने, दाऊ और बाबा में नजदीकी या दूरियां ?

लंबे समय के बाद रायपुर आ रहे राहुल गांधी इस दौरान राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना की शुरुआत करेंगे. उनके इस दौरे पर सबकी नजरें हैं. 

क्या राहुल के दौरे से बदलेंगे छत्तीसगढ़ के सियासी मायने, दाऊ और बाबा में नजदीकी या दूरियां ?

अर्पित पांडेय/रायपुरः कांग्रेस नेता राहुल गांधी लंबे समय बाद छत्तीसगढ़ के दौरे पर आ रहे हैं, अपने नेता के स्वागत के लिए कांग्रेसी उत्साहित हैं. राजधानी रायपुर में दौरे को लेकर तैयारियां पूरी हो चुकी है. खास बात यह है कि राहुल गांधी इस दौरान छत्तीसगढ़ में तीन महत्वपूर्ण योजनाओं का शुभारंभ करेंगे. लेकिन राहुल के दौरे के कई सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं. क्योंकि पिछले कुछ महीने पहले छत्तीसगढ़ में सियासी उठपठक भी खूब हुई थी. इस नजरिए से राहुल गांधी का छत्तीसगढ़ दौरा अहम माना जा रहा है. 

दरअसल, लंबे समय के बाद रायपुर आ रहे राहुल गांधी इस दौरान राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना की शुरुआत करेंगे. राजीव युवा मितान क्लबों को पहली किश्त जारी करेंगे, साथ ही रायपुर में सेवाग्राम और छत्तीसगढ़ अमर जवान ज्योति की स्थापना के लिए भूमिपूजन भी करने वाले हैं. राहुल गांधी भूमिहीन मजदूरों के साथ लंच करेंगे. ऐसे में भले ही यह सिसायी दौरा न हो, लेकिन इस दौरान तीन चेहरों पर सबकी नजरें रहेगी, राहुल गांधी, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और मंत्री टीएस सिंहदेव. 

छवि बिगाड़ने की हो रही कोशिशः सिंहदेव 
राहुल गांधी के दौरे से पहले ही एक जमीन विवाद को लेकर टीएस सिंहदेव ने बड़ा बयान दिया था, उनका कहना था कि राहुल गांधी के दौरे को लेकर उनकी छवि बिगाड़ने और उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है. हालांकि उन्होंने स्पष्ट तौर पर किसी का नाम नहीं लिया था, लेकिन उनके इस बयान के कई मायने निकाले गए. 

क्या सिंहदेव और CM भूपेश के बीच अब सब ठीक है?
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद ही भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे. लेकिन पार्टी आलाकमान ने भूपेश बघेल पर भरोसा जताया. सरकार के दो साल पूरे होने के बाद से प्रदेश में ढाई-ढाई साल के सीएम पद की चर्चा शुरू हो गई. राजनीतिक हलकों में चर्चा यहां तक चली कि कांग्रेस छत्तीसगढ़ में सीएम बदल सकती है. हालांकि ऐसा कुछ नहीं हुआ, लेकिन सीएम पद को लेकर शक्ति प्रदर्शन जरूर हुआ. मामला छत्तीसगढ़ से कांग्रेस आलाकमान तक पहुंच गया. बाद में मामला शांत हुआ और भूपेश बघेल ही मुख्यमंत्री रहे. ऐसे में सबके मन में यह सवाल है कि क्या दोनों नेताओं के बीच सबकुछ ठीक हो गया है, यह राहुल के दौरे में स्पष्ट हो सकता है. 

बताया जा रहा है कि राहुल गांधी प्रदेश कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ संवाद भी करेंगे. राष्ट्रीय राजनीति में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कद तेजी से बढ़ा है, लेकिन टीएस सिंहदेव भी छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के स्थापित नेता है. ऐसे में राजनीतिक जानकारों का कहना है कि 2021 में सीएम भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच जो तकरार देखने को मिली थी, वह भले ही शांत नजर आ रही हो, लेकिन यह विवाद प्रदेश की सियासत में देखने को मिलता रहता है.

सिंहदेव के पोस्टर उतारने का मामला भी आया सामने
राहुल गांधी के दौरे से पहले एक वीडियो भी सामने आया है. इसमें राहुल गांधी के स्वागत में लगे सिंहदेव वाले पोस्टर उतार दिए गए हैं. इनमें राहुल के अलावा केवल मंत्री टीएस सिंहदेव की फोटो थी. हालांकि इसके पीछे तर्क दिया गया कि राहुल गांधी का यह सरकारी दौरा है इसलिए पोस्टर में अन्य नेताओं की फोटो होना भी जरूरी है. लेकिन इस मामले में राजनीति भी हो रही है.

कई बार टल चुका है राहुल गांधी का दौरा 
राहुल गांधी का पहले भी कई बार छत्तीसगढ़ का दौरा प्रस्तावित हो चुका है. लेकिन प्रदेश में जारी सियासी उठपठक और अन्य कई कारणों से दौरा टलता रहा. अब वह ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री पद को लेकर हुए विवाद के बाद वो पहली बार छत्तीसगढ़ आ रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस के विधायक और वरिष्ठ नेताओं को यह उत्सुकता है कि अपने छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान राहुल गांधी इस मामले का भी खुलासा करेंगे.

दिल्ली में विधायकों ने डाला था डेरा 
दाऊ यानि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और बाबा यानि टीएस सिहदेव में मुख्यमंत्री पद को लेकर ही विवाद हुआ था. सीएम बघेल और सिंहदेव के समर्थक विधायकों ने दिल्ली में डेरा जमाया था. खुद सीएम बघेल और सिंहदेव ने भी दिल्ली में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात की थी. बाद में भूपेश बघेल ने दिल्ली में बयान दिया था कि राहुल गांधी छत्तीसगढ़ आ रहे हैं, जिसके बाद सारे मंत्री, नेता, विधायक और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वापस छत्तीसगढ़ आ गए थे. लेकिन राहुल गांधी नहीं आए. इसके बाद जहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सर्मथक खुश नजर आए थे. तो टीएस सिंहदेव ने भी बड़ा बयान दिया था. 

मुझे चुप रहने की सलाह दी गई हैः सिंहदेव 
वहीं दिल्ली से वापस आने के बाद टीएस सिंहदेव से जब छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री बदलाव को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा था कि उनके शुभचिंतकों ने उन्हें चुप रहने की सलाह दी है. उसके बाद से ही सिंहदेव चुप थे. खास बात यह है उसके बाद भूपेश बघेल और सिंहदेव कई बार साथ-साथ नजर भी आए दोनों नेताओं ने एक दूसरे की तारीफ भी की थी. लेकिन राहुल गांधी के दौरे के बाद छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल का सीएम पद का फॉर्मूला चर्चा में है.

राहुल के सामने भी चुनौती 
भले ही छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच विवाद कुछ भी हो, लेकिन छत्तीसगढ़ वो राज्य है जहां 2014 के बाद कांग्रेस ने बीजेपी को सबसे बड़ी मात दी थी. 2018 में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में दो तिहाई से भी ज्यादा बहुमत से सरकार बनाई थी. उसके बाद अन्य राज्यों में हुए चुनावों में भी कांग्रेस का प्रदर्शन औसत रहा है. ऐसे में कांग्रेस अपनी छत्तीसगढ़ सरकार का मॉडल पूरे देश में पेश कर रही है. बघेल और बाबा के विवाद को शांत करवाकर कांग्रेस ने यह मैसेज देने की कोशिश की है कि छत्तीसगढ़ में सबकुछ ठीक है और प्रदेश में सरकार अच्छा काम कर रही है. ऐसे में राजनीति जानकारों का मानना है कि राहुल गांधी के सामने भी छत्तीसगढ़ में यह प्रदर्शन बनाए रखने की चुनौती है. 

2023 के विधानसभा चुनाव को लेकर दिया जा सकता है मैसेज 
छत्तीसगढ़ में 2023 में विधानसभा चुनाव होना है. राहुल गांधी तीन महत्वपूर्ण योजनाओं की शुरुआत करेंगे. जो कांग्रेस की महत्वकाक्षी योजनाएं मानी जा रही है. ऐसे में राहुल गांधी इन योजनाओं के जरिए भी 2023 के विधानसभा चुनाव के नजरिए से अहम मैसेज देने की कोशिश करेंगे. जबकि राहुल गांधी पार्टी में एकता का संदेश भी दे सकते हैं. ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि राहुल गांधी के दौरे में क्या अहम होता है.

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