ग्रामीणों ने मानसून को दी मात! जुगाड़ से बनाया ऐसा पुल, पूरे राज्य में हो रही चर्चा
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ग्रामीणों ने मानसून को दी मात! जुगाड़ से बनाया ऐसा पुल, पूरे राज्य में हो रही चर्चा

सुकमा में नदी पार करने के लिए ग्रामीणों ने जुगाड़ का पुल बनाया है. 150 मीटर का ये पुल लकड़ी व तार के सहारे तैयार किया गया है. ये पुल जिला मुख्यालय से करीब 35 किमी की दूरी पर स्थित नागलगुड़ा गांव में बना है.

ग्रामीणों ने मानसून को दी मात! जुगाड़ से बनाया ऐसा पुल, पूरे राज्य में हो रही चर्चा

रंजीत बारठ/सुकमा: छत्तीसगढ़ में मानसून अपने पूरे सबाब में है. कई जिलों में हालात बिगड़ने लगे है. ऐसे में सुकमा जिले के ग्रामीणों का जुगाड़ू पुल चर्चा में है, जिसके जरिए ग्रामीण नदी को पार करते हैं. ये पुलिस सुकमा जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर नागलगुड़ा गांव में बना है. इसे बनाने के लिए लकड़ी व तार का उपयोग किया गया है.

प्रशासन को आइना ग्रामीणों का पुल
नागलगुड़ा गांव में मलगेर नदी पर सालों से चली आ रही मांग के बाद भी कोई पुल नहीं बन पाया है. ऐसे में ग्रामीण गांव बाहर जाने या गांव में आने के लिए काफी परेशान रहते हैं. खासकर बारिश के दिनों में ये समस्या बढ़ जाती है, जब नदी नाले उफान पर रहते हैं. इसी का तोड़ निकलाने के लिए गामीणों ने अपने जुगाड़ से पुल का निर्माण कर लिया, जो आज प्रशासन के लिए एक आइना है.

रोजमर्रा का काम होता था प्रभावित
नागलगुड़ा गांव के लोगों ने बताया कि कई ग्रामीणों के खेत नदी के उस पार हैं. पुल नहीं होने के चलते खेती किसानी प्रभावित होती हैं. साथ ही नदी के उस पार दो पंचायत के करीब आधा दर्जन गांव हैं. जहां पर नागलगुड़ा गांव के ग्रामीणों के रिस्तेदार रहते हैं, लेकिन वो इस पार नहीं आ पाते थे. पुल नहीं होने के चलते नदी के उसपार के ग्रामीणों का रोजमर्रा का काम भी प्रभावित होता था और वो बाजार आदि भी नहीं जा पाते थे.

ग्रामीणों ने खुद निकाला समस्या का समाधान
आखिरकार ग्रामीणों ने खुद ही अपनी समस्या का समाधान करने का सोचा और आवश्यकता ही अविष्कार की जननी कहावत को सच कर दिया. लोगों ने साथ मिलकर लकड़ी व तार के सहारे नदी पर जुगाड़ का पुल तैयार कर लिया हैं, जिसका उपयोग करके ग्रामीण नदी पार करने के लिए करते हैं. इसी पुल के जरिए वो सफ्ताहिक बाजार भी जाते हैं. इसके साथ ही अब उनकी खेती का काम भी इसी पुल के जरिए हो रहा है.

पटरी पर लौटी जिंदगी, लेकिन सवाल बाकी
ग्रामीणों ने अपने प्रयासों से अपने लिए पुल बना लिया. इसके जरिए काफी हद तक उनकी जिंदगी भी पटरी पर लौट आई, लेकिन सवाल ये खड़ा होता है कि आखिरकार शासन-प्रसाशन को इनकी समस्या नजर क्यों नहीं आयी. जुगाड़ का पुल ग्रामीणों ने बना तो लिया हैं, लेकिन यह खतरनाक हैं. पुल पर चलने के दौरान यह बुरी तरह हिलता हैं, जिससे गिरने की आशंका बना रहती है.

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