सागर जिले के जरुआखेड़ा कस्बे से तीन किलोमीटर दूर जंगल में ऐसा मंदिर है, जहां मन्नत पूरी होने पर मुर्गा चढ़ाया जाता है, लेकिन मुर्गे की बलि नहीं दी जाती.
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सागरः अब तक आपने इस तरह के मंदिरों के बारे में तो खूब सुना होगा, जहां मन्नत पूरी होने पर मुर्गे की बलि चढ़ाई जाती है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां मन्नत पूरी होने के बाद भगवान को मुर्गा तो चढ़ाया जाता है, पर उसकी बलि नहीं दी जाती, बल्कि मुर्गे का तिलक लगाकर सम्मान किया जाता है. यह मंदिर सागर जिले के जरुआखेड़ा कस्बे में बना हुआ है.
मुर्गे की नहीं चढ़ाई जाती बलि
जरुआखेड़ा के पास घने जंगलों के बीच ठाकुर बाबा का एक प्राचीन मंदिर है. लोग दूर-दूर से यहां दर्शन करने पहुंते हैं, मान्यता है कि अगर इस मंदिर में मांगी हुई मन्नत पूरी हो जाती है, तो यहां ठाकुर बाबा को मुर्गा चढ़ाकर उसे छोड़ दिया जाता है.
तिलक लगाकर किया जाता है मुर्गे का सम्मान
मंदिर के पुजारी सुनील चौबे बताते है मन्नत पूरी होने के बाद मंदिर में मुर्गे का तिलक लगाकर सम्मान किया जाता है यही वजह है कि यहां दर्जनों मुर्गे देखने को मिलते हैं.
मुर्गा चोरी करने पर होता है नुकसान
एक साथ कई मुर्गों के मंदिर परिसर में रहने से कई बार लोग यहां से मुर्गा चोरी करके भी ले गए. लेकिन ऐसा करने के बाद उन्हें परेशानियां हुई. जिसके बाद वे मुर्गा वापस मंदिर में ही छोड़कर चले गए. इस मंदिर में हर साल मेले का आयोजन भी किया जाता है जहां दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
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