MP: मासूम की मौत के 36 घंटे बाद आई कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट, तब जाकर परिजनों को मिला बच्चे का शव
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MP: मासूम की मौत के 36 घंटे बाद आई कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट, तब जाकर परिजनों को मिला बच्चे का शव

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में दिल को झकझोरकर रख देने वाली घटना सामने आई है. जहां दादा ने आरोप लगाया कि 36 घंटे तक कोरोना रिपोर्ट न मिलने की वजह से 1 साल के पोते आनंद के शव को घर नहीं ले जा पाए.

मासूम के शव के लिए तड़पता रहा दादा

कर्ण मिश्रा/ग्वालियर: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में दिल को झकझोरकर रख देने वाली घटना सामने आई है. जहां दादा ने आरोप लगाया कि 36 घंटे तक कोरोना रिपोर्ट न मिलने की वजह से 1 साल के पोते आनंद के शव को घर नहीं ले जा पाए. जन्मदिन के कुछ दिन बाद ही बच्चे ने अस्पताल में दम तोड़ दिया.

मासूम को अस्पतालों में किया रेफर
दरअसल, आनंद को शनिवार रात सबलगढ़ कैलारस और फिर मुरैना अस्पताल लेकर आया गया. लेकिन वहां से उसे ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल रेफर कर दिया गया. जहां कोरोना संदिग्ध मानते हुए मासूम का सैम्पल लेकर उसका इलाज शुरू किया गया, लेकिन आनंद ने रविवार की सुबह अपना दम तोड़ दिया. डॉक्टरों ने बच्चे का शव कोरोना सैम्पल की रिपोर्ट आने के बाद ही सौंपने की बात कही.

दादा ने किया नियमों का सम्मान
माता पिता और दादा ने इस संकटकाल में नियमों का सम्मान किया और मासूम के शव को लेने के लिए इंतजार करते रहे. लेकिन 24 घंटे बीत जाने के बाद भी बच्चे की रिपोर्ट नहीं आई. इस बात से परेशान दादा मोर्चरी के बाहर ही बैठ गया. तब जाकर डॉक्टरों ने उसे रिपोर्ट की जानकारी उपलब्ध कराई.

दादा ने लगाए स्वास्थ्य महकमे पर आरोप
इस मामले में मासूम आनंद के परिजनों ने स्वास्थ्य महकमे पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि मासूम की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में निमोनिया से मौत होने की बात सामने आई है. ऐसे में अगर उसे जल्द इलाज मिल जाता तो मासूम की जान बच जाती.

ग्वालियर कलेक्टर ने दिए ये निर्देश
वहीं इस मामले में ग्वालियर कलेक्टर द्वारा तत्काल एक्शन लिया और कंट्रोल कमांड सेंटर से एक विशेष कंट्रोल रूम गठन करने का निर्देश दिया है जिसके जरिए कोरोना संदिग्ध मरीजों की जांच रिपोर्ट आने के बाद उन्हें मैसेज के जरिए कंट्रोल सेंटर z सूचना उपलब्ध कराई जाएगी. इसके जरिए शव सौंपे जाने के कार्य में तेजी आएगी.

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वहीं इलाज में देरी की बात पर ग्वालियर कलेक्टर द्वारा जिले से लगे हुए अन्य जिलों के कलेक्टरों को एक पत्र भी लिखा जा रहा है जिसमें अति आवश्यक मरीजों को रेफर करने की बात कही गई है. कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह का मानना है कि यदि सही समय पर उसे इलाज मिलता तो तस्वीर बदल भी सकती थी.

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