2 नवंबर रात 9.30 बजे के बाद त्रयोदशी शुरू हो रही है, इसलिए गुरुवार को भी धनतेरस मनाया जा रहा है. हालांकि गुरुवार को धनतेरस की पूजा करना सही नहीं है, इसके लिए शुक्रवार की शाम 5:59 मिनट उचित मुहूर्त है.
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नई दिल्ली: इस वर्ष मलमास या अधिक मास का असर नवरात्रि से लेकर दीपावली की तिथि पर पड़ा है. त्योहारों के मुहूर्त को लेकर भी लोगों के बीच कन्फ्यूजन है. धनतेरस किस दिन है ये भी लोगों के लिए बड़ा सवाल बना हुआ है. इस बार धनतेरस दो दिन मनाया जाएगा, यानी 12 और 13 नवंबर.12 नवंबर गुरुवार को रात 9.30 बजे तक द्वादशी तिथि है, जिसके कारण धनतेरस 9:30 बजे शुरू होगा,जो अगले दिन यानी 13 नवंबर तक माना जाएगा. हालांकि धनतेरस की पूजा के लिए शुक्रवार शाम 5:59 मिनट का मुहूर्त शुभ है.
क्यों दो दिन है धनतेरस?
धनतेरस कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है.धनतेरस को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है.12 नवंबर रात 9.30 बजे के बाद त्रयोदशी शुरू हो रही है, इसलिए गुरुवार को भी धनतेरस मनाया जा रहा है. हालांकि गुरुवार को धनतेरस की पूजा करना सही नहीं है, इसके लिए शुक्रवार की शाम 5:59 मिनट उचित मुहूर्त है.
सोना-चांदी खरीदना है शुभ
धनतेरस के दिन सोना, चांदी और पीतल की वस्तुएं खरीदना शुभ माना जाता है.चांदी कुबेर की धातु मानी है. इसलिए कहा जाता है कि धनतेरस के दिन चांदी खरीदने से नौ गुना वृद्धि होती है. इससे यश और सम्पदा में भी वृद्धि होती है. इस दिन पीतल खरीदने से सौभाग्य की प्राप्ती होती है.सोना खरीदने से घर से नकारात्मकता और अकाल संकट दूर होते हैं.
झाड़ू भी खरीदें
सोना, चांदी और पीतल के साथ-साथ धनतेरस पर झाड़ू खरीदने खरीदना भी शुभ माना जाता है. दरअसल झाड़ू को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है.इसलिए धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है. साथ ही अगर आप आर्थिक तंगी भी दूर होती है.
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क्यों मनाया जाता है धनतेरस?
दीपावली पर्व की शुरुआत धनतेरस के अवसर पर भगवान गणेश, माता लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा के साथ होती है. पुराणों की मान्यता के अनुसार, जिस समय देवता और असुर समुद्र मंथन कर रहे थे, उसी समय समुद्र मंथन से 14 रत्न निकले थे. इन्हीं में से एक भगवान धनवंतरि धनत्रयोदशी के दिन अपने हाथ में पीतल का अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. यही कारण है कि इस दिन पीतल की वस्तुएं खरीदना बहुत शुभ फलदायी माना जाता है.
धनतेरस पर पूजा की विधि
इस दिन प्रभु श्री गणेश, माता लक्ष्मी, भगवान धनवंतरि और कुबेर जी की पूजा की जाती है. शाम के समय प्रदोष काल में पूजा करना शुभ माना जाता है. जानिए पूजन विधि.
1. पूजा करने से पहले स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें.
2. इसके बाद एक साफ चौकी पर गंगाजल छिड़क कर उस पर पीला या लाल रंग का कपड़ा बिछाएं.
3. इस कपड़े पर प्रभु श्री गणेश, माता लक्ष्मी, मिट्टी का हाथी, भगवान धनवंतरि और भगवान कुबेर जी की मूर्तियां स्थापित करें.
4. सर्वप्रथम गणेश जी का पूजन करें, उन्हें पुष्प और दूर्वा अर्पित करें.
5. इसके बाद हाथ में अक्षत लेकर भगवान धनवंतरि का मनन करें.
6. अब भगवान धनवंतरि को पंचामृत से स्नान कराकर, रोली चंदन से तिलक कर उन्हें पीले रंग के फूल अर्पित करें.
7. फूल अर्पित करने के बाद फल और नैवेद्य अर्पित कर उन पर इत्र छिड़ककर भगवान धनवंतरि के मंत्रों का जाप कर उनके आगे तेल का दीपक जलाएं.
8. इसके बाद धनतेरस की कथा पढ़ें और आरती करें.
9.अब भगवान धनवंतरि को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाकर माता लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा भी करें.
10. पूजा समाप्त करने के बाद घर के मुख्य द्वार के दोनों और तेल का दीपक जरूर जलाएं
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