इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने गुरुवार को कहा कि आर्थिक गतिविधि बढ़ाने के लिए औद्योगिक गतिविधि शुरू करना बेहद जरूरी है. फैक्ट्रियों को चालू करने के आदेश दे दिए गए हैं. प्रशासन पूरी तरह से उद्योगपतियों का साथ देगा.
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इंदौर: मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले शहर इंदौर में पिछले 2 माह से आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ी हुई हैं. कोरोना के चलते सभी औद्योगिक संस्थानों में ताला लटका हुआ है. इंदौर में आर्थिक गतिविधियों को कैसे फिर वापस पटरी पर लाया जाए इसके प्रशासन जोर शोर से लगा हुआ है.
इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने गुरुवार को कहा कि आर्थिक गतिविधि बढ़ाने के लिए औद्योगिक गतिविधि शुरू करना बेहद जरूरी है. फैक्ट्रियों को चालू करने के आदेश दे दिए गए हैं. प्रशासन पूरी तरह से उद्योगपतियों का साथ देगा. किसी भी प्रकार की कोई नोटिसबाजी नहीं की जाएगी. व्यपारियों को सहयोग किया जाएगा.
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दरअसल पहले कलेक्टर मनीष सिंह ने उन फैक्ट्रियों को चलाने की अनुमति दी थी जिनमें मजदूरों के रहने और खाने की व्यवस्था हो. इस नियम का औद्योगिक संगठनों ने विरोध किया था और मांग की थी कि औद्योगिक परिसर में मजदूरों को ठहरना उचित नहीं है. इसके बाद कलेक्टर ने अपना फैसला बदला.
इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह गुरुवार को व्यापारियों से बैठक के बाद कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को मंडी आने आवश्यता नहीं है. गांव से व्यापारी उपज खरीद कर मंडी लाएंगे. मंडी में बोली नहीं लगेगी. इंदौर के किसानों की प्याज की फसल नहीं बिकने के चलते इंदौर प्रशासन ने यह फैसला लिया है.
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