प्रदेश की 7 करोड़ से ज्यादा की आबादी के बीच सिर्फ 1000 हजार डायल 100 की गाड़ियां हैं. यानी 70 हजार लोगों के बीच सिर्फ एक डायल 100 है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था कितनी दुरुस्त है.
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भोपाल/खरगोन: उत्तर प्रदेश की हाथरस में पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए यूपी की योगी सरकार ने सीबीआई जांच के आदेश दे दिए हैं. स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम पीड़िता के परिजनों से बयान लेकर अपनी जांच कर रही है. वहीं अगर बात करें खरगोन के मारुगढ़ मामले में तो 5 दिन बाद पुलिस के हाथ कुछ खास नहीं लगा है. हालांकि अज्ञात आरोपियों को पकड़ने के लिए 10 टीमें लगा दी गई हैं. 15 संदेहियों से पूछताछ की जा रही है. यह सब कवायद सिर्फ एक चूक से करनी पड़ रही है. जी, इसे चूक ही कहना मुनासिब होगा. यहां सारे सवालों के घेरे में पुलिस की कार्यशैली है. उसमें भी डायल 100. अगर डायल 100 समय से पहुंच जाती तो शायद पुलिस के हाथ आरोपियों के गिरेबान तक पहुंच जाते. अब यही डायल 100 शिवराज के गले की फांस बन गई है.
हुआ क्या था?
मारुगढ़ में पीड़िता के भाई और परिजनों ने डायल 100 पर डेढ़ घंटे देरी से पहुंचने का आरोप लगाया है. उनका कहना है उन्होंने वारदात के वक्त ही 100 नंबर पर फोन कर मदद मांगी थी, लेकिन पुलिस को आने में डेढ़ घंटे का समय लग गया.
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कैसे यह काम करती है Dial 100
साल 2015 की बात है. मध्य प्रदेश के 60वें स्थापना दिवस था. प्रदेश में बढ़ते अपराधों और जल्दी शिकायत दर्ज करने के लिए अपनी तीसरी पारी की शुरुआत में शिवराज सरकार ने अपनी महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की थी. 1 नवंबर को सीएम शिवराज ने प्रदेश के 7 जिलों में डायल 100 को हरी झंडी दिखाई थी.
शिवराज ने कहा था- तत्काल घटनास्थल पर पहुंचेगी पुलिस
सीएम शिवराज ने उस वक्त कहा था कि डायल 100 से पुलिस और जनता के बीच विश्वास बढ़ेगा. अपराधियों को भी संदेश जाएगा कि पुलिस सतर्क है और तत्काल घटना स्थल पर पहुंच सकती है.
शुरू हुई थी अभिनव पहल
तत्कालीन पुलिस महानिदेशक सुरेन्द्र सिंह ने कहा था कि डायल 100 योजना चौबीसों घंटे काम करेगी और जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरेगी. उन्होंने डायल 100 योजना को अभिनव पहल बताया था. हालांकि जिस दिन यह सेवा शुरू हुई उस टाटा सफारी के रूप में बनी डायल 100 को भोपाल से धक्का मार शुरू किया गया था. जिस दिन 7 जिलों में सेवा की शुरुआत हुई थी, उसी दिन गाड़ी में तकनीकि खराब सामने आ गई थी. लोगों और पुलिस ने धक्का मारकर गाड़ी को स्टार्ट किया था.
5 मिनट में पहुंचने का दावा
लॉन्च के वक्त कहा गया था कि डायल 100 ग्रामीण इलाकों में 30 मिनट में और शहरी क्षेत्र में महज 5 मिनट में पहुंच जाएगी. यानी अगर कोई गांव से शिकायत करेगा या मदद मांगेगा तो पुलिस उसके पास सिर्फ आधे घंटे में पहुंच जाएगी.
क्या है डायल 100?
सीएम शिवराज ने 632 करोड़ की यह उच्चतम प्राथमिकता वाली योजना थी. इसमें 1000 वाहनों को प्रदेश के सभी जिलों में तैनात हैं. डायल 100 योजना स्मार्ट पुलिसिंग क्रियान्वयन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. डायल-100 योजना में कोई कहीं से भी पुलिस की मदद के लिये 100 नंबर लगायेगा तो उसकी कॉल रिकॉर्ड होगी. पुलिस सहायता फर्स्ट रिस्पांस व्हीकल के जरिये पहुंचती है.
अब तक कितने केस dial 100 के द्वारा दर्ज किए गए
जब हमने इसके आंकड़े निकालने mpdial100.in पर गए तो वेबसाइट पर गए तो जानकारी मिली. हालांकि जानकारी अंग्रेजी में मिली. शायद शिवराज को लगता है कि प्रदेश की जनता अंग्रेजीदा है. खैर, इस पोर्टल पर हमें अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (दूरसंचार) संजय कुमार झा का वीडियो संदेश मिला है. इसमें उन्होंने विगत साढ़े चार साल की डायल 100 की कामयाबी की के आंकड़े गिनाए.
पिछले साढ़े चार साल में दर्ज शिकायत
4 करोड़ 85 लाख मामले दर्ज किए गए
93 लाख लोगों को अतिआवश्यक और आकस्मिक सेवाएं पहुंचाई गईं
25-30 हजारा रोजाना शिकायत मिलती हैं
इसमें 6-7 हजार लोगों को तत्काल लोगों की शिकायतों का निवारण किया जाता है
70 हजार लोगों में सिर्फ एक डायल 100
अब इसी से सवाल उठता है कि प्रदेश की 7 करोड़ से ज्यादा की आबादी के बीच सिर्फ 1000 हजार डायल 100 की गाड़ियां हैं. यानी 70 हजार लोगों के बीच सिर्फ एक डायल 100 है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था कितनी दुरुस्त है. ये तो आंकड़ेबाजी है.
पीड़िता के जख्मों पर 20 हजार का मरहम
अब बात फिर से खरगोन की पीड़िता करते हैं. हालांकि पुलिस आरोपियों तक तो नहीं पहुंच सकी, प्रशासन ने पीड़िता को 20 हजार का चेक देकर उसके जख्मों पर मरहम लगाने का कोशिश की है. यह राशि का चेक अपर कलेक्टर ने पीड़िता के भाई को घर जाकर सौंपा है. क्या आपको लगता है कि इस 20 हजार में पीड़िता के घाव भर जाएंगे. क्या लगता है कि पुलिस व्यवस्था पर लोगों का विश्वास बना रहेगा या फिर ऐसे ही बहू-बेटियों की अस्मत लुटती जाएगी और सरकारें राहत के नाम पर ऐसा छलावा करती रहेंगी.
(ददन विश्वकर्मा)
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