हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्यप्रदेश सरकार से पूछा है कि सरकार ने पांच संतों को किस आधार पर राज्यमंत्री का दर्जा देने का निर्णय लिया है.
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इंदौर: मध्य प्रदेश सरकार ने वहां पर पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया है. सरकार के इस निर्णय पर हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्यप्रदेश सरकार से पूछा है कि सरकार ने इन पांच संतों को किस आधार पर राज्यमंत्री का दर्जा देने का निर्णय लिया है. सरकार को जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है.
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने इसी साल पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने की घोषणा की थी जिसके बाद याचिकाकर्ता रामबहादुर वर्मा ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी.
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याचिका में क्या लिखा है
याचिका में लिखा गया है कि मंत्री परिषद के गठन के बावजूद सरकार ने पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने का निर्णय लिया है. सरकार के इस निर्णय से जनता पर आर्थिक भार और बढ़ जाएगा, जबकि अभी प्रदेश के हर नागरिक पर औसतन 14 हजार रुपये का कर्ज है. यदि संतों को राज्यमंत्री बनाया गया तो उनके भत्ते व अन्य सुविधाओं का भार भी जनता पर ही आएगा. याचिका में इस बात का भी उल्लेख किया गया कि जिन संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने का निर्णय लिया गया, उनके चयन का आधार क्या था. इसमें से ज्यादातर संत सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले थे. कोर्ट ने यह चेतावनी भी दी कि दो सप्ताह में जवाब नहीं आया तो हर्जाना भी लगाया जा सकता है.
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जन जागरुकता विशेष समिति का गठन
सरकार ने नर्मदा किनारे के क्षेत्रों में पौधरोपण, जलसंरक्षण, विषयों पर जनजागरुकता का अभियान चलाने के लिए विशेष समिति का गठन किया है. समिति सदस्य नर्मदानंदजी, हरिहरानंदजी, कंप्यूटर बाबा, भय्यू महाराज और पं. योगेंद्र महंत को राज्यमंत्री स्तर का दर्जा दिया गया है. हाल ही में भय्यू महाराज ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी.
मंत्री बनने के बाद सरकारी सुविधाओं मिलेगा लाभ: सरकार की तरफ से राज्यमंत्री बनाए जानने के बाद संतों को इन सुविधाओं का लाभ मिलेगा.
- 7500 रुपये मासिक वेतन.
- गाड़ी और 1000 किमी का डीजल.
- 15000 रुपये मकान का किराया.
- 3000 रुपये सत्कार भत्ता.
- स्टाफ मिलेगा, अपना पीए रख सकेंगे.