पोस्ट कोविड मरीज में लिंफोसाइट काउंट कम हो जाता है. इससे इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और मरीज आसानी से सेकंडरी इंफेक्शन की चपेट में आ जाते हैं. अगर यह ब्रेन में पहुंच जाए तो जान पर भारी पड़ता है.
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कर्ण मिश्रा/जबलपुर: इंदौर, भोपाल के बाद अब जबलपुर में भी ब्लैक फंगस ने कदम रख दिया है. यहां भी ब्लैक फंगस के मामलों की पुष्टि हुई है. मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग द्वारा कोरोना से ठीक हो चुके कुछ मरीजों में इसके लक्षण देखे गए हैं. इससे एक मरीज की मौत भी हो गई है. डॉक्टरों का कहना है कि यह बीमारी कोरोना काल के पहले भी थी.
किनके लिए खतरा
डॉक्टर्स के मुताबिक कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के इलाज में स्टेरॉयड के इस्तेमाल के बाद शुगर बढ़ने से ब्लैक फंगल इन्फेक्शन होने के चांस बढ़ जाते हैं. ऐसे मरीजों को सतर्क रहने की जरूरत है जिन्हें लंबे समय से शुगर की बीमारी है.
ब्लैक फंगस की चपेट में ऐसे लोग सबसे ज्यादा आते हैं जो डायबिटिक हैं, या लंबे समय से स्टेरॉयड यूज कर रहे हों.
नहीं फैलता एक से दूसरे मरीज में
कोरोना से लोगों इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है. ऐसे लोगों में ब्लैक फंगस इन्फेक्शन फैलने की आशंका बढ़ जाती है. डॉक्टर के मुताबिक ये फंगस एक मरीज से दूसरे मरीज में नहीं फैलता, लेकिन ये कितना खतरनाक है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दिमाग में इसके पहुंचने पर मरीज की मौत होने के चांस 70 से 80 फीसदी तक हैं.
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क्या हैं इसके शुरुआती लक्षण
आमतौर पर इन्फेक्शन नाक से शुरू होकर, आंख और दिमाग तक पहुंचता है. अगर इसे शुरुआत में ही डिटेक्ट कर लिया जाए, तो मरीज ठीक हो सकता है. जिले के CMHO के अनुसार मरीजों को इससे बचाने के सभी आवश्यक निर्देश जारी किए गए हैं.
बोन डैमेज भी हो रहा
विशेषज्ञ का मानना है कि शुगर लेवल जब बढ़ जाता है तो ये फंगस को निमंत्रण देता है. डायबिटिक मरीज पोस्ट ऑर्गन ट्रांसप्लांट और एचआईवी पीड़ित मरीज रिस्क ग्रुप में माने जाते हैं. यह फंगस साइनस पर अटैक करता है. नाक के अंदर लाइन को डैमेज कर साइनस की बोन को डैमेज करता हुआ आंखों और फिर ब्रेन में चला जाता है. जिससे काफी नुकसान होता है.
ब्लैक फंगस से कैसे बचें
ये फंगस कम ऑक्सीजन में पनपता है. इसलिए नाक से सांस लें.
अपनी बॉडी में शुगर लेवल मेंटेन रखें.
एंटीसेप्टिक जैसे बीटाडीन का सॉल्यूशन बनाकर दो-तीन बूंद नाक में डालते रहें. यह अंदर फंगस के फैलाव को रोक देता है.
शुगर बढ़ रही है तो मॉनिटरिंग करके कंट्रोल करें.
आंख में सूजन हो या दर्द हो तो सलाह लें
साइनस में एयर रहती है.
फंगस से पस आ जाता है.
म्यूकर फास्ट स्प्रेडिंग फंगस है.
शरीर में साइनस के ऊपर ऑर्बिट होता है.उसके अंदर आई-बॉल होती है.
म्यूकर फैलने के कारण मरीजों की आंख में सूजन तेज दर्द होता है.
आंखों के नीचे वाला हिस्सा जिसे चीक कहते हैं उसमें दर्द शुरू होता है तो इसे गंभीरता से लें.
सेनसेशन आंखों के मूवमेंट में भी फर्क पड़ता है.
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पोस्ट कोविड मरीज में लिंफोसाइट काउंट कम हो जाता है. इससे इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और मरीज आसानी से सेकंडरी इंफेक्शन की चपेट में आ जाते हैं. अगर यह ब्रेन में पहुंच जाए तो जान पर भारी पड़ता है.
इलाज कितना लम्बा
इसका इलाज 15 से 20 दिन तक चलता है. एक दिन के इलाज की कीमत 15 से 20 हजार तक आती है.
डॉक्टर्स का मानना है कि शुरुआती लक्षणों के साथ ही बिना देर किए डॉक्टर के पास पहुंच जाएं तो इस बीमारी से बचा जा सकेगा.
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