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पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करते समय रखें इन बातों का ध्यान, वरना पितर हो जाएंगे नाराज

Pitru Paksha 2024:  हर साल भाद्रपद माह में पितृ पक्ष मनाया जाता है. इस दौरान पितरों को याद किया जाता है और उनका तर्पण और पिंडदान किया जाता है. गरुड़ पुराण के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान किए गए कर्मों का हमारे जीवन पर सीधा असर पड़ता है. इस दौरान कुछ कामों को करने से बचना चाहिए. आइए जानते हैं श्राद्ध पूजा करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

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पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है. इस दौरान हर कोई अपने पितरों को प्रसन्न करना चाहता है. ऐसे में कुछ नियम हैं जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए. आइए पंडित सच्चिदानंद त्रिपाठी से जानते हैं.

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पंडित सच्चिदानंद त्रिपाठी बताते हैं कि शास्त्रों में पितरों के श्राद्ध के दौरान कुछ चीजों को वर्जित बताया गया है. पितरों का श्राद्ध करने से पहले दान करने से दोष लगता है. 

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 श्राद्ध पक्ष में लोहा वर्जित है. पितरों के श्राद्ध के दिन ब्राह्मण, गाय या देवहति को लोहे के बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए. 

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18 सितंबर को पहले श्राद्ध पर कुटुप मुहूर्त सुबह 11:50 से दोपहर 12:19 बजे तक रहेगा. इसके बाद दोपहर 12 बजे से रोहिन मुहूर्त शुरू होकर दोपहर 1:28 बजे तक रहेगा. इसके बाद दोपहर 1:28 बजे से अगले दिन दोपहर 3:55 बजे तक का मुहूर्त रहेगा.

श्राद्ध की पूजा करते वक्त इन बातों का ध्यान

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श्राद्ध की पूजा करते वक्त इन बातों का ध्यान

पितरों को जल अर्पित करने की रस्म प्रतिदिन परिवार के सबसे वरिष्ठ पुरुष सदस्य द्वारा की जाती है. यदि परिवार में कोई वरिष्ठ पुरुष सदस्य नहीं है, तो पौत्र या नाती यह अनुष्ठान कर सकते हैं.

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पितरों को जल अर्पित करते समय तेज सुगंध वाले फूलों का प्रयोग न करके हल्की सुगंध वाले फूलों का प्रयोग करना चाहिए.

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इसके अलावा पितृ पक्ष के दौरान गीता का पाठ करना भी शुभ माना जाता है. पितृ पक्ष के दौरान किसी से कर्ज लेकर श्राद्ध कर्म करना सही नहीं माना जाता है. किसी के दबाव में आकर पितरों का तर्पण या श्राद्ध नहीं करना चाहिए.