kartik maas 2024: हिंदू धर्म में कार्तिक मास को विशेष महत्व दिया जाता है. यह महीना भगवान विष्णु को समर्पित है. मान्यता है कि कार्तिक मास में स्नान, दान और तुलसी पूजा जैसे धार्मिक अनुष्ठान करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है. आइए एस्ट्रोलॉजर रुचिका अरोड़ा से जानते हैं कार्तिक मास के नियम और महत्व.
हिंदू धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व है. यह चातुर्मास का आखिरी महीना होता है. इस महीने में भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं. देवोत्थान एकादशी या देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से बाहर आते हैं.
मान्यता है कि कार्तिक महीने में गंगा आदि नदियों में स्नान करने और दान करने से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है. इसके अलावा कार्तिक मास में माता तुलसी की पूजा करने से भी शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
इस वर्ष कार्तिक मास की प्रथम तिथि 17 अक्टूबर दिन गुरुवार को शाम 4 बजकर 56 मिनट पर प्रारंभ हो गई है. ऐसे में तिथि के अनुसार तो कार्तिक मास 17 अक्टूबर से प्रारंभ होगा, लेकिन उदयातिथि के अनुसार कार्तिक मास 18 अक्टूबर दिन शुक्रवार से प्रारंभ माना जाएगा.
कार्तिक मास में स्नान और दान करना बहुत शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस माह में स्नान और दान करने से कई गुना अधिक फल मिलता है.
कार्तिक माह में भगवान विष्णु की पूजा, भजन, पूजन और दान के साथ दीपदान करना भी अच्छा माना जाता है. इस माह दीपदान करने से देवी लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती हैं.
मान्यताओं के अनुसार नरक चतुर्दशी के अलावा पूरे कार्तिक माह में शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए. इसके अलावा कार्तिक माह में वाद-विवाद से बचना चाहिए.
कार्तिक मास में भगवान विष्णु लंबी निद्रा के बाद जागते हैं. ऐसी मान्यता है कि कार्तिक मास में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
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