बीते 11 महीने में सिर्फ 2 दिन चला MP विधानसभा का सत्र, विधायकों को अपने 2000 प्रश्नों के उत्तर का इंतजार
विपक्ष का सीधा आरोप है कि विधायक अपने सवालों के उत्तर और इन पर होने वाली कार्रवाइयों का इंतजार कर रहे हैं. वे जनता के मुद्दे उठाते हैं पर इसका मौका भी उन्हें विधानसभा सत्र में लंबे समय से नहीं मिल पा रहा है.
भोपालः मध्य प्रदेश के विधायकों को बीते 11 माह से जनहित के मुद्दों पर विधानसभा से पूछे गए अपने 2000 से ज्यादा सवालों के जवाब का इंतजार है. कांग्रेसी विधायकों का कहना है कि जब उनके सवालों का जवाब समय से नहीं मिलेगा तो उत्तर का कोई औचित्य नहीं. उनका आरोप है कि जनहित के मुद्दों पर कांग्रेस के सवालों से शिवराज सरकार डर रही है. ऐसा पहली बार हुआ है जब 11 महीने में विधानसभा सत्र मात्र 2 दिन के लिए चला हो.
विपक्ष का सीधा आरोप है कि विधायक अपने सवालों के उत्तर और इन पर होने वाली कार्रवाइयों का इंतजार कर रहे हैं. वे जनता के मुद्दे उठाते हैं पर इसका मौका भी उन्हें विधानसभा सत्र में लंबे समय से नहीं मिल पा रहा है. कोरोना का बहाना बनाकर सरकार सदन नहीं चलाना चाहती. सदन में उठने वाले मुद्दों और आरोपों से बचना चाहती है.
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पिछले 11 महीने में सिर्फ 2 दिन चला है मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र
मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र मार्च 2020 में केवल 1 दिन के लिए आयोजित किया गया. तब कमलनाथ की अल्पमत की सरकार गिरी थी और सदन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी सरकार का बहुमत साबित किया था. इस एक दिन के सत्र का भी कांग्रेस में बहिष्कार किया था. इसके बाद सितंबर में भी मात्र एक दिन में निपट गया था. दिसम्बर में तीन दिवसीय सत्र कोरोना के चलते स्थगित कर दिया गया.
शिवराज सरकार मुद्दों से डरी हुई है, सवालों के जवाब नहीं देना चाहतीः डॉ. गोविंद सिंह
कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री डॉ. गोविंद सिंह का कहना है कि सवालों के जबाब नहीं दिए जा रहे. कोरोना की आड़ में सदन नही चलने दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि विधानसभा कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव नहीं थे. यह सरकार का षड्यंत्र था. सर्वदलीय बैठक में भरोसा दिलाया गया था कि विधायको के सवालों के जबाब दिए जाएंगे. लेकिन विधायक आज भी अपने सवालों के जवाब का इंतजार कर रहे.
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एक कमरे में 28 विधायकों की शपथ हो सकती है तो सत्र क्यों नहींः पीसी शर्मा
कमलनाथ सरकार में जनसंपर्क मंत्री रहे पीसी शर्मा ने कहा कि विधायकों का प्लेटफार्म विधानसभा होता है. जनहित से जुड़े मुद्दों पर पूछे गए सवालों का पिछले 11 माह से जवाब नहीं मिला. जनता की जो समस्याएं हैं उनका हल नहीं हो पा रहा है. सरकार जानकारी देने से डर रही है.कोरोना की वजह से सत्र स्थगित कर दिया. लेकिन 28 विधायकों को एक छोटे से कमरे में इकट्ठा कर शपथ दिला दी. यह दर्शाता है कि सरकार मुद्दों पर चर्चा करने से बच रही है.
कांग्रेस नही चाहती थी विधानसभा का सत्र होः मंत्री विश्वास सारंग
वहीं शिवराज कैबिनेट में मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि भाजपा सरकार पूरी तरह चाहती है कि हम विधानसभा के मंच का सदुपयोग करें. विधायकों द्वारा जो सवाल पूछे गए हैं हम उनके जवाब भी देना चाहते हैं. ताकि जनहित की योजनाओं में सुधार की जरूरत है तो सुधार हो सके. विधानसभा का सत्र नहीं होना चाहिए यह प्रस्ताव कांग्रेस लेकर आई. हम तो विधानसभा का सत्र कराना चाहते थे.
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बीजेपी विधायक यशपाल सिसोदिया भी प्रश्नों के उत्तर ना मिलने से चिंतित
वहीं बीजेपी विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया अपने प्रश्नों के उत्तर ना मिलने से चिंतित हैं.लेकिन कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि सदन ना चलाने में उसकी भी स्वीकृति है. इसलिए कांग्रेस का आरोप निराधार है. कोरोना संक्रमण के चलते सदन नहीं चल पा रहा है. उम्मीद है कि विधायकों के प्रश्नों का जल्द ही उत्तर मिलेगा या उन्हें दोबारा अपने प्रश्नों को सदन में रखने की अनुमति मिलेगी.
विधानसभा के अधिकारी ऑनलाइन जवाब नहीं दे रहेः सतीश सिकरवार
कांग्रेस विधायक डॉ. सतीश सिकरवार ने कहा कि सरकार चाहती ही नहीं सवालों के जवाब देना. विधानसभा के अधिकारी ऑनलाइन जवाब देने की बजाय कह रहे हैं कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. वहीं सरकार के मंत्री विधायकों के सवालों को लेकर इसे स्पीकर का विशेषाधिकार बता रहे हैं.
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प्रश्नों के उत्तर देना विधानसभा स्पीकर की जिम्मेदारीः उद्यानिकी मंत्री
उद्यानिकी मंत्री भारत सिंह कुशवाह का कहना है कि कोरोना के कारण ये हालात बने हैं. सत्र को निरस्त करने का निर्णय सर्वदलीय बैठक में हुआ था, जिसमें कांग्रेस के लोग भी शामिल थे. जहां तक प्रश्नों के उत्तर का सवाल है, ये जिम्मेदारी विधानसभा स्पीकर की है.
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