जानिए, कौन हैं सैयद मुश्ताक अली? जिनके नाम पर खेली जाती है घरेलू टी-20 ट्रॉफी
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जानिए, कौन हैं सैयद मुश्ताक अली? जिनके नाम पर खेली जाती है घरेलू टी-20 ट्रॉफी

अली ने 11 टेस्ट की 20 पारियों में 32.21 की औसत से 612 रन बनाए थे, जिनमें दो शतक और एक अर्धशतक शामिल हैं. 1934 में इंग्लैंड के खिलाफ अपने करियर की शुरुआत करने वाले इंदौर के सैयद मुश्ताक अली ने 1952 में इंग्लैंड के ही खिलाफ अपना आखिरी टेस्ट मैच भी खेला था.

 विजय मर्चेंट (L), सैयद मुश्ताक अली (R)

इंदौरः 10 जनवरी 2021 से भारत में साल का पहला घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट शुरू हो रहा है, सैयद मुश्ताक अली T-20 ट्रॉफी. इसका फाइनल मुकाबला 31 जनवरी को अहमदाबाद के सरदार पटेल स्टेडियम में खेला जाएगा, इसमें कुल 38 टीमें हिस्सा ले रही हैं. लेकिन एक सवाल, जो दर्शकों के दिमाग में हमेशा रहता है कि टूर्नामेंट का नाम किस खिलाड़ी के नाम पर रखा गया और उनकी उपलब्धियां क्या थीं. आज हम आपको बता रहे हैं सैयद मुश्ताक अली के उन यादगार लम्हों के बारे में जिसकी वजह से भारत सरकार ने उन्हें साल 1964 में पद्मश्री से भी सम्मानित किया.

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इंदौर में जन्में क्रिकेटर ने गेंदबाज के रूप में शुरू किया था करियर
सैयद मुश्ताक अली का जन्म 17 दिसंबर 1914 को इंदौर में हुआ था. करियर की शुरुआत धीमी गति के गेंदबाज के रूप में करने वाले मुश्ताक ने अपने क्रिकेट करियर का अंत विस्फोटक सलामी बल्लेबाज के रूप में किया. सरकार से पद्मश्री पुरस्कार जीतने वाले मुश्ताक अली के सम्मान में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने साल 2009-10 में उनके नाम पर टी-20 ट्रॉफी की शुरुआत की. 

विदेशी धरती पर जड़ा था पहला शतक
सैयद मुश्ताक अली ने वैसे तो अपने करियर में 11 टेस्ट मैच खेलें, लेकिन इस छोटे से करियर में भी उनके नाम दो अद्भुत कारनामे दर्ज हैं. इंदौर के मैदानों में मैटिंग विकेट पर अपनी प्रतिभा को उभारने वाले इस क्रिकेटर ने 19 की उम्र में 1934 में इंग्लैंड के खिलाफ डेब्यू किया था. लेकिन उनका नाम चर्चा में तब आया जब ओल्ड ट्रैफर्ड के मैदान पर विजय मर्चेंट के साथ ओपनिंग करते हए उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ ताबड़तोड़ शतक जड़ा. उनकी 112 रन की पारी विदेशी धरती पर किसी भारतीय द्वारा पहली सेंचुरी थी. उसी पारी में उनके ओपनिंग साझेदार विजय मर्चेंट ने 114 रन बनाए थे, जो विदेशी ग्राउंड पर भारतीय क्रिकेटर द्वारा लगाया गया दूसरा शतक था.

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मुश्ताक का आखिरी टेस्ट बना भारत की पहली जीत
कोलकाता के मैदान में डेब्यू करने वाले अली ने अपना आखिरी टेस्ट मैच 1952 में इंग्लैंड के खिलाफ खेला. इस मैच में भारतीय टीम ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी. उन्होंने इस मैच में इंग्लैड को पारी और 8 रन से हराया था. इस मैच में वीनू मांकड़ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इस मैच के बाद मुश्ताक अली ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से सन्यास ले लिया. उन्होंने 11 टेस्ट की 20 पारियों में 32.21 की औसत से 612 रन बनाए, जिनमें दो शतक और एक अर्धशतक शामिल हैं.  

'नो मुश्ताक-नो टेस्ट'
सैयद मुश्ताक अली का एक और किस्सा क्रिकेट इतिहास में दर्ज है. ऑस्ट्रेलियन सर्विसेज के खिलाफ कोलकाता के ईडन गार्डन्स मैदान पर एक टेस्ट मैच खेला जाना था. इस टीम में मुश्ताक अली को जगह नहीं दी गई थी. दर्शकों को पता चलते ही उन्होंने स्टेडियम के बाहर हंगामा कर दिया और 'नो मुश्ताक-नो टेस्ट' के नारे लगाए. उनकी मांग थी, ''अगर मुश्ताक अली नहीं खेलेंगे तो टेस्ट मैच भी नहीं होगा.''

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फर्स्ट क्लास क्रिकेट में जड़े 30 शतक
भारतीय टीम में योगदान के अलावा सैयद मुश्ताक अली ने होलकर (अब मध्य प्रदेश) रणजी टीम को चैम्पियन बनाने में भी अहम योगदान दिया था. मुश्ताक अली के बारे में खास बात थी कि उन्होंने 40 अलग-अलग टीमों के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला. अपने 34 साल के फर्स्ट क्लास करियर में उन्होंने 226 मैच खेलें और 1963 में संन्यास ले लिया. जिनमें 384 पारियों में 35.9 के औसत से 13213 रन बनाए. इन पारियों में उनके 30 शतक और 61 अर्द्ध शतक भी शामिल है. गेंदबाजी से करियर शुरू करने वाले अली ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 162 विकेट भी अपने नाम किए. 

होलकर को 4 बार बनाया रणजी चैम्पियन
1934 में घरेलू टेस्ट टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी की शुरुआत के बाद सैयद मुश्ताक अली ने 1939-40 तक मध्य भारत के लिए क्रिकेट खेला. 1941 में होलकर टीम बनने के बाद मुश्ताक ने कर्नल सीके नायडू जैसे दिग्गज खिलाड़ी की कप्तानी में टीम को 4 बार रणजी चैम्पियन बनाया. 1944-45 से 1954-55 के दौरान होलकर टीम ने 10 बार रणजी ट्रॉफी का फाइनल खेला. 1950-51 में मध्य प्रदेश की टीम बनी और 1955 में होलकर और ग्वालियर की टीम को उसी टीम में शामिल कर लिया गया. आपको बता दें कि मध्य प्रदेश की टीम तब से केवल एक बार 1998-99 में रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पहुंची और वहां भी उन्हें कर्नाटक से हार झेलनी पड़ी और उपविजेता बन कर संतोष करना पड़ा. 

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2006-07 में पहला T-20 टूर्नामेंट, 2009 में बदला गया नाम
इस साल 12वीं बार शुरू हुए इस टूर्नामेंट का पहला संस्करण 2009-10 में खेला गया था. आपको बता दें कि देश में साल 2006-07 में पहली बार कोई राष्ट्रीय टी-20 टूर्नामेंट हुआ था, जिसमें राज्य की टीमों ने भाग लिया था. लेकिन इस टूर्नामेंट को साल 2009-10 में नए नाम (सैयद मुश्ताक अली T-20 ट्रॉफी) और नए स्वरूप के साथ फिर से शुरू किया गया था. तब से यह टूर्नामेंट हर साल खेला जा रहा है.

इस बार टूर्नामेंट में होंगे 169 मुकाबले
इस बार खेले जा रहे सैयद मुश्ताक अली T-20 टूर्नामेंट में 38 टीमों के बीच 169 मुकाबले खेले जाएंगे. 10 से 19 जनवरी तक इंदौर, मुंबई, वड़ोदरा, बेंगलुरु, कोलकाता और चेन्नई के बायो सिक्योर बबल में ग्रुप मैचे होंगे. इसके बाद टीमों को 7 दिन तक क्वारंटाइन में रखा जाएगा. फिर 26 से 31 जनवरी तक अहमदाबाद के सरदार पटेल स्टेडियम में नॉकआउट मुकाबले होंगे.

कर्नाटक ने जीता था पिछली बार का खिताब
38 टीमों को छह अलग-अलग ग्रुपों में बांटा गया है, इसमें 5 एलिट और एक प्लेट ग्रुप है. हर एलिट ग्रुप में छह टीमें हैं तो वहीं प्लेट ग्रुप में आठ टीमें हैं. सभी टीमें पांच-पांच मुकाबले खेलेंगी. जिसका फाइनल मुकाबला 31 जनवरी को अहमदाबाद में ही होगा. 2009 में महाराष्ट्र की टीम पहली चैंम्पियन बनी थीं, तो वहीं कर्नाटक पिछले 2 संस्करणों से इस टूर्नामेंट को जीत रही हैं. कर्नाटक की टीम इस बार अपने खिताब को बचाने के लिए मैदान में उतरी हैं.

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