BJP सांसद केपी यादव को हाईकोर्ट से मिली बड़ी राहत, जाति प्रमाण पत्र मामले में मिला स्टे
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BJP सांसद केपी यादव को हाईकोर्ट से मिली बड़ी राहत, जाति प्रमाण पत्र मामले में मिला स्टे

23 दिसंबर की रात सांसद केपी यादव और उनके बेटे के खिलाफ धोखाधड़ी सहित कई अन्य धाराओं में मामला भी दर्ज किया गया था. 

(फाइल फोटो)

शैलेंद्र सिंह भदौरिया/ग्वालियर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने गुना शिवपुरी सांसद केपी यादव और उनके बेटे के जाति प्रमाण पत्र के मामले में बड़ी राहत देते हुए इस मामले पर स्थगन का आदेश जारी किया है. इसके साथ ही उन्होंने अशोकनगर जिला प्रशासन से पूछा है कि आखिर किस आधार पर केपी यादव और उनके बेटे का जाति प्रमाण पत्र रद्द किया गया है. उन तथ्यों को हाईकोर्ट को अवगत कराएं. दरअसल, 5 दिसंबर 2019 को मुंगावली विधायक ने शिकायत दर्ज कराई थी कि सांसद के बेटे को जो जाति प्रमाण पत्र जारी हुआ है, उसमें उनके द्वारा गलत आय दर्शाई गई है. जिसकी मुंगावली एसडीएम बीवी श्रीवास्तव द्वारा जांच की गई और 13 दिसंबर को केपी यादव और उनके बेटे का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया.

इसके बाद 23 दिसंबर की रात सांसद केपी यादव और उनके बेटे के खिलाफ धोखाधड़ी सहित कई अन्य धाराओं में मामला भी दर्ज किया गया. सांसद केपी यादव ने हाईकोर्ट के वकील एमपीएस रघुवंशी के जरिये एक याचिका पेश की, जिसमें उन्होंने बताया कि उनके उनके बेटे के द्वारा एसडीएम द्वारा जारी प्रमाण पत्र के माध्यम से किसी भी तरह के आरक्षण का लाभ नहीं लिया गया है. खुद सामान्य सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं. इसके साथ ही उनके वकील एमपीएस रघुवंशी ने हाईकोर्ट में दलील दी कि जाति प्रमाण पत्र को रद्द करने का अधिकार स्टेट लेवल की कास्ट सर्टिफिकेट कमेटी को है. एसडीएम ने नियम के विपरीत उनका जाति प्रमाण पत्र निरस्त किया है.

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उनके बेटे के द्वारा जो जाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन दिया गया था, वह 2014 में किया गया था. तब उनकी आय कुछ अलग थी और आज 2019 में जब केपी यादव ने चुनाव लड़ा, तब उनकी आय अलग है. ऐसे में 2019 में प्रस्तुत किए गए आय संबंधी दस्तावेज के आधार पर 2014 में बनाया गया जाति प्रमाण पत्र रद्द नहीं किया जा सकता है.

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