बाबूलाल चौरसिया की कांग्रेस में एंट्री से पार्टी दो खेमों में बंट गई है. कलह थमने की बजाय बढ़ता जा रहा है. एक धड़ा पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव के साथ है, तो दूसरा धड़ा पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ.
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भोपाल: मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव नजदीक हैं, इस बीच कांग्रेस की अंतर्कलह एक बार फिर सार्वजनिक हो गई है. इस बार मामला गोडसे बनाम गांधी का है. दरअसल, ग्वालियर नगर निगम के वार्ड-44 से हिंदू महासभा के पार्षद बाबूलाल चौरसिया की कांग्रेस में एंट्री से पार्टी दो खेमों में बंट गई है. कलह थमने की बजाय बढ़ता जा रहा है. एक धड़ा पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव के साथ है, तो दूसरा धड़ा पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ.
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एक तरफ अरुण यादव गांधी की पार्टी में गोडसे भक्त की एंट्री को लेकर मोर्चा खोले हुए हैं. कांग्रेस नेता मानक अग्रवाल ने भी अरुण यादव के हां में हां मिलाई है. होशंगाबाद के जिला अध्यक्ष सत्येंद्र फौजदार ने पार्टी की राष्ट्रीय अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक को पत्र लिखकर मानक अग्रवाल को पार्टी से बाहर करने की मांग कर दी है. क्योंकि मानक अग्रवाल ने गोडसे भक्त बाबूलाल चौरसिया को कांग्रेस में शामिल किए जाने को लेकर सीधे कमलनाथ से सवाल पूछा लिया था.
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मानक अग्रवाल ने ट्वीट किया था, ''पीसीसी चीफ कमलनाथ को धोखे में रख बाबूलाल चौरसिया को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई गई. इस बारे में पार्टी को सोच-समझकर फैसला लेना चाहिए. महात्मा गांधी के हत्यारे की पूजा करने वालों की पार्टी में कोई जगह नहीं होनी चाहिए. प्रदेश अध्यक्ष को साफ करना चाहिए कि उनकी विचारधारा गांधी की है या गोडसे की.'' अरुण यादव, मानक अग्रवाल के अलावा सुभाष सोजतिया, मीनाक्षी नटराजन समेत कई नेता बाबूलाल को लेकर कमलनाथ के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं.
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अध्यक्ष अरुण यादव ने ट्विटर पर लिखा, ‘बापू हम शर्मिंदा हैं...’ लेकिन कमलनाथ खेमे के नेता इस कदम को सही ठहरा रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर उठाए जा रहे सवालों को लेकर प्रदेश नेतृत्व भी सख्ती के मूड में नजर आने लगी है. कांग्रेस के मीडिया इंचार्ज केके मिश्रा ने कहा है कि पार्टी प्रेसिडेंट को लेकर यदि कोई सवाल खड़े करता है तो वह अनुशासनहीनता की श्रेणी में आएगा. अनुशासन समिति इस मामले में कार्रवाई कर सकती है.
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