सुषमा स्वराज के दिल में बसता था मध्य प्रदेश, भोपाल को दिलाई बड़ी सौगात, क्या आपको पता दिलचस्प किस्सा
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सुषमा स्वराज के दिल में बसता था मध्य प्रदेश, भोपाल को दिलाई बड़ी सौगात, क्या आपको पता दिलचस्प किस्सा

Sushma Swaraj Death Anniversary: मध्य प्रदेश सुषमा स्वराज के दिल में बसता था, उन्होंने अपना आखिरी चुनाव भी यही से लड़ा था, प्रदेश के लोग उन्हें दीदी के नाम से पुकारते थे. 

सुषमा स्वराज का मध्य प्रदेश से था गहरा नाता

Sushma Swaraj Madhya Pradesh Connection: जब भी देश की दिग्गज महिला नेता सुषमा स्वराज का जिक्र होता है तो मध्य प्रदेश से उनका नाता लोगों की जुबान पर आ ही जाता है. सुषमा स्वराज एक ऐसी दमदार राजनेता थीं जिनके मुरीद उनके विरोधी भी रहते थे. जब वह संसद में भाषण देती थी तो लोग उन्हें सुनना पसंद करते थे, कभी लोकतंत्र के मंदिर की सबसे बुलंद आवाज रही सुषमा स्वराज संसद में मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व करती थी, जिसके चलते मध्य प्रदेश के लोग आज भी उन्हें याद करते हैं. 2019 में सुषमा स्वराज भले ही देश को अलविदा कह गई हो लेकिन उनकी यादें आज भी उनके शानदार और दमदार व्यक्तित्व की गवाही देते हैं. 

मध्य प्रदेश से था गहरा नाता 

यूं तो सुषमा स्वराज का जन्म हरियाणा में हुआ था और वह दिल्ली की मुख्यमंत्री रही थी. लेकिन मध्य प्रदेश से सुषमा स्वराज का गहरा नाता था. वह दो बार मध्य प्रदेश की विदिशा लोकसभा सीट से सांसद चुनी गई थी, जबकि एक बार मध्य प्रदेश से राज्यसभा भी गई थी. अपने चार दशक से भी लंबे राजनीतिक करियर में सुषमा स्वराज कई अहम जिम्मेदारियां निभाई. लेकिन जब वह मध्य प्रदेश आई तो फिर यहां से उनका मोह कभी नहीं छूटा. एमपी के लोग उन्हें दीदी कहते थे, इसलिए सुषमा स्वराज मध्य प्रदेश के लोगों को अपना भाई-बहन मानती थी. मध्य प्रदेश में कोई उन्हें दीदी तो कोई ताई कहकर बुलाता था, विदिशा को उनका दूसरा घर कहा जाता था. 

दिलचस्प है एमपी आने का किस्सा 

सुषमा स्वराज के मध्य प्रदेश आने का किस्सा भी दिलचस्प है. पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहते हुए उन्होंने प्रदेश को कई सौगातें थी. 2006 में उन्हें पहली बार मध्य प्रदेश से राज्यसभा भेजा गया था, इसके बाद उनका मन मध्य प्रदेश की फिजा में लगने लगा. 2008 आते-आते राजधानी भोपाल का  प्रोफेसर कॉलोनी स्थित सरकारी बंगला उनका स्थायी ठिकाना बन गया. स्वराज दिल्ली से ज्यादा भोपाल में वक्त बिताने लगी थी. फिर आया 2009 का लोकसभा चुनाव जिसके बाद सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा तेज थी कि सुषमा स्वराज कहा से लोकसभा चुनाव लड़ेंगी. 

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चर्चा थी आडवाणी की नाम आया स्वराज का 

विदिशा और भोपाल सीट से यूं तो पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के नाम की चर्चा चल रही थी, राजनीतिक जानकार भी मानकर चल रहे थे कि आडवाणी एमपी से चुनाव लड़ेंगे. लेकिन अटकलों के दौर के बीच सुषमा स्वराज के नाम का ऐलान मध्य प्रदेश की विदिशा लोकसभा सीट से हुआ. राजनीतिक जानकार बताते हैं कि पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान न उन्हें इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए मनाया था, जिस पर खुद लालकृष्ण आडवाणी ने भी सहमति जताई थी. जिसके बाद उनके नाम का ऐलान हुआ था. दरअसल, इसी सीट से कभी अटल बिहारी वाजपेयी ने भी चुनाव जीता था, ऐसे में उन्हें बीजेपी ने अपनी एक बड़ी विरासत की जिम्मेदारी सौंपी थी. 2009 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद वह लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनी थी, जबकि 2014 में भी उन्होंने यहां से बड़ी जीत हासिल की थी और मोदी सरकार में विदेश मंत्री की जिम्मेदारी संभाली थी. 

भोपाल को दिलाई थी एम्स की सौगात 

राजधानी भोपाल के एम्स अस्पताल में आज लाखों लोगों का इलाज होता है, बड़े से बड़े ऑपरेशन यहां होते हैं जिससे लोगों को दूसरे शहरों में नहीं जाना पड़ता. भोपाल का यह एम्स सुषमा स्वराज की ही देन है. 2004 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए सुषमा स्वराज ने भोपाल में एम्स की नींव रखी थी. इसके बाद उन्होंने तेजी से एम्स का काम शुरू करवाया और जल्द ही भोपाल को एम्स की सौगात मिली थी. इसके अलावा भी उन्होंने मध्य प्रदेश को कई बड़ी सौगातें दी थी. रायसेन जिले में प्लास्टिक पार्क, विदिशा में करोड़ों की लागत से ऑडिटोरियम बनवाया, विदिशा और औबेदुल्लागंज के पुलों का काम जैसे कई अहम काम उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान किए थे. 

दीदी को याद था हर कार्यकर्ता का नाम 

मध्य प्रदेश में सुषमा स्वराज पूरी तरह से रच और बस गई थी. याददाश्त के मामले में भी सुषमा स्वराज का कोई सानी नहीं था. विदिशा संसदीय सीट पर उन्हें एक-एक बूथ और कार्यकर्ताओं के नाम मुंह जुबानी याद रहते थे. अचानक कोई उनके सामने आता था तो वह उन्हें नाम लेकर पुकारती थी, जिससे सामने वाला भी खुश हो जाता था. सुषमा स्वराज ने गिरते स्वास्थ्य के चलते 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था और इसी साल उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. लेकिन मध्य प्रदेश के लोग अपनी दीदी को आज भी याद करते हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी बेटी बांसुरी स्वराज नई दिल्ली लोकसभा सीट से सांसद चुनी गई हैं. 

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