खत्म हुई झंझट; अब नहीं जाना होगा दिल्ली; भोपाल एम्स में ही मिलेगी ये बड़ी सुविधा
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खत्म हुई झंझट; अब नहीं जाना होगा दिल्ली; भोपाल एम्स में ही मिलेगी ये बड़ी सुविधा

MP News: मध्य प्रदेश के भोपाल एम्स में अब हार्ट और लंग्स का भी ट्रांसप्लांट हो सकेगा. इससे पहले एम्स में  बोन मैरो और लिवर ट्रांसप्लांट हो रहे हैं. इस सुविधा के बाद अब मरीजों को दूसरे राज्यों में नहीं जाना पड़ेगा. 

खत्म हुई झंझट; अब नहीं जाना होगा दिल्ली; भोपाल एम्स में ही मिलेगी ये बड़ी सुविधा

Heart and Lung Transplant will be Done in Bhopal AIIMS: मध्य प्रदेश सरकार अस्पतालों में इलाज के लिए तरह- तरह की आधुनिक सुविधाएं कर रही है. प्रदेश के सरकारी और निजी अस्पतालों में किडनी, बोन मैरो और लिवर ट्रांसप्लांट हो रहे हैं. लेकिन हार्ट और लंग्स के दान के लिए डेड बॅाडी को दिल्ली जैसे राज्यों में भेजा जाता था. कई बार दूरी ज्यादा होने की वजह से ये अंग उपयोग में नहीं आ पाते हैं. हालांकि अब इसकी समस्या खत्म होने के कागार पर है, बता दें कि अब भोपाल एम्स में हार्ट और लंग्स का ट्रांसप्लांट हो सकेगा. 

एम्स में होगा ट्रांसप्लांट 
मिली जानकारी के अनुसार पता चला है कि एम्स के निदेशक डॅा. अजय सिंह ने अपने कार्यकाल के दो साल पूरे होने पर बताया है कि अब मध्य प्रदेश के जरूरत मंद मरीजों का एम्स भोपाल में हार्ट और लंग्स का ट्रांसप्लांट हो सकेगा. इसके अलावा उन्होंने एम्स की उपलब्धियों को भी गिनाया है. 

ये है सुविधा 
इस समय की बात करें तो प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में किडनी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट की व्यवस्था है. किडनी ट्रांसप्लांट राजधानी भोपाल में स्थित एम्स और हमीदिया अस्पताल कर रहे हैं. इसके अलावा इंदौर मेडिकल कॅालेज में भी अभी किडनी और बौन मैरो ट्रांसप्लांट की व्यवस्था की गई है. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बता दें कि भोपाल एम्स में अभी तक लगभग 13 बोन मैरो ट्रांसप्लांट हो चुके हैं. 

भोपाल एम्स 
भोपाल एम्स की बात करें तो एम्स ई कंसलटेंसी की मदद से प्रदेश के 50 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से जुड़ा हुआ है, साथ ही साथ बता दें कि टेली आईसीयू के तहत सतना और विदिशा के मेडिकल कॅालेज में भर्ती मरीजों का एम्स के डॅाक्टर इलाज मुहैय्या कर रहे हैं, इसके अलावा भोपाल एम्स में 200 वर्चुअल बेड का संचालन किया जा रहा है. एम्स में लगातार मरीजों की सुविधाओं का भी ध्यान रखा जा रहा है पिछले 2 साल पहले तीन नए विभाग मेडिकल जेनेटिक्स, रुमेटोलाजी और क्लिनिकल इम्यूनोलाजी व क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग स्थापित किए गए. ऐसे में अब हार्ट ट्रांसप्लांट की शुरूआत होने से अंगदान करने वालों के लिए एक अच्छी सुविधा हो जाएगी. 

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