मंगलवार को पड़ने वाले इस साल की अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन 50 वर्षों बाद ग्रहों का विशेष संयोग बन रहा है. अक्षय तृतीया के शुभ मुहुर्त यदि आप विधि विधान से देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करेंगे तो आपका भाग्योदय हो सकता है.
जानिए किस विधि से करें पूजा और कब है शुभ मुहूर्त ?
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शुभम शांडिल्य/नई दिल्लीः (Akshaya Tritiya 2022) हिंदू धर्म के सबसे पवित्र तिथियों में एक अक्षय तृतीया भी है. धार्मिक मान्यता अनुसार अक्षय तृतीया के दिन जो लोग सोने की खरीददारी करते हैं, उनकी किस्मत साल भर तक सोने की तरह चमकती है. अक्षय तृतीया वैशाख माह के शुक्ल पक्ष के तृतीया को पड़ती है. इस बार यह तिथि मंगलवार यानी 3 मई को है. ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन कोई भी कार्य शुरु करने पर जल्द ही संपन्न हो जाते हैं, क्योंकि इस दिन सर्वमान्य तिथि माना जाता है. इस बार की अक्षय तृतीया पर 50 वर्षों बाद ग्रहों का ऐसा विशेष मुहूर्त बन रहा हैं, जिसकी वजह से यदि आप अक्षय तृतीया के दिन विधि विधान से कलश पूजन करते हैं तो आपकी किस्मत पूरे साल सोने की तरह चमकेगी और आपकी सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी. आइए जानते हैं किस विधि से करे पूजन और क्यों है अक्षय तृतीया का इतना महत्व ?
इस विधि से करें पूजा तो होंगे मालामाल
यदि आप चाहते हैं कि आपके जीवन में हमेशा तरक्की हो और आपकी किस्मत हमेशा साथ दे तो अक्षय तृतीया के दिन यानी 3 मई को सूर्योदय से पहले स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें. इसके बाद घर के मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराकर गंगाजल से स्नान कराएं. इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा पर तुलसी और पीले फूलों की माला अर्पित करें. इसके बाद दीप और धूपबत्ती जलाकर पीले आसन पर बैठ जाएं और श्री विष्णुसहस्त्रनाम स्त्रोत्र और विष्णु चालीसा का पाठ करें. इसके बाद भगवान विष्णु जी की आरती करें. इस दिन धन प्राप्ति के लिए देवी लक्ष्मी के मंत्र - 'ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नौ लक्ष्मी प्रचोदयात्' का जप करें. अगर संभव हो तो देवी लक्ष्मी के प्रतिमा पर सोने के जेवर चढ़ावे. इस विधि से पूजा करने पर आपका भाग्य हमेशा साथ देगा और आपकी किस्मत सोने की तरह चमकेगी.
कलश स्थापना विधि
अक्षय तृतीया के दिन स्नान करने के पश्चात कलश में पानी भरें उसमें पंचपल्लव डालें जिसके बाद उसके ऊपर किसी पात्र में अनाज रख कर स्वास्तिक का चिन्हं बनाएं. इस दौरान कलश स्थापना मंत्र 'कलशस्य मुखे विष्णु कंठे रुद्र समाश्रिता: मूलेतस्य स्थितो ब्रह्मा मध्ये मात्र गणा स्मृता:' का जप करें. इस विधि से कलश पूजन करने से वर्ष भर संकट नहीं आती है और घर में खुशहाली रहती है.
ग्रहों का बन रहा विशेष संयोग
प्रत्येक वर्ष बैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को विशेष मुहूर्त होता है, इसे अक्षय तृतीया के नाम से भी जानते हैं. हिंदू धर्म में इस दिन कोई भी नया कार्य शुरू करने का विशेष मुहूर्त होता है. ज्योतिषों की मानें तो इस बार अक्षय तृतीया मंगलवार के दिन मनाया जाएगा. इस दिन रोहिणी नक्षत्र और शोभन योग की वजह से मंगल रोहिणी योग बन रहा है. इस योग में चार बड़े राशि अपने उच्च भाव में होंगे. इस दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ, शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में, शनि अपनी स्वराशि कुभं में जबकि बृहस्पति अपनी स्वराशि मीन में मोजूद होंगे. इस तरह के संयोग 50 वर्षों के बाद देखने को मिलेंगे जिसकी वजह से इस बार की अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है.
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क्यों है अक्षय तृतीया का महत्व
शास्तों की माने तो अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम का जन्म हुआ था. ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान कृष्ण की वजह से द्रौपदी को अक्षय कलश की प्राप्ति हुई थी. इतना ही नहीं इसी दिन सागर मंथन की शुरुआत भी हुई थी और उसमें से निकलने वाला अमृत कलश पात्र में भी भरा था. कहते हैं कि कलश में 33 हजार करोड़ देवी- देविताओं का वास होता है. इसलिए अक्षय तृतीया के दिन कलश पूजन का विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यता अनुसार अक्षय तृतीया के दिन सोने के आभूषण खरीदना बेहद शुभ माना जाता है, ऐसी मान्यता है कि इस दिन सोने के आभूषण खरीदने से पूरे साल धन-संपत्ति की कमी नहीं होती है.
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