बांग्लादेशी को भारत में इसलिए सुनाई गई 7 साल की सजा, एयरपोर्ट पर हुआ था बड़ा खुलासा
Madhya Pradesh News: बांग्लादेश में शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से ही वहां हालात बिगड़ गए. हिंदुओं पर अत्याचार के कई मामले में सामने आए. इस बीच भारत में ऐसे बांग्लादेशी नागरिक को सजा सुनाई गई है, जो देश में फर्जी तरीके से रह रहा था. यही नहीं उसने फर्जी तरीके से ही कई पहचान पत्र, पासपोर्ट समेत कई जरूरी दस्तावेज बना लिये थे.
MP News: भारत में लंबे समय से बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर चिंता जाहिर की जा रही है तो इन घुसपैठियों को लेकर सरकार भी चिंतित है. वहीं पश्चिम बंगाल के साथ देश के दूसरे राज्यों में भी बड़े पैमाने पर बंगलादेशी नागरिक रह रहे हैं. एमपी के दमोह में एक ऐसे ही बंगलादेशी घुसपैठिये को कोर्ट ने सात साल की सजा सुनाई है. इस बांग्लादेशी नागरिक ने भारत मे रहते हुए भारत की नागरिकता सम्बन्धी तमाम दस्तावेज फर्जी तरीके से बनाएं और आराम से रह रहा था. बांग्लादेशी नागरिक उस वक्त पकड़ा गया जब उसने पासपोर्ट बनवाया और फिर उस पासपोर्ट पर बांग्लादेशी की यात्रा की कोशिश की. पुलिस ने बांग्लादेशी नागरिक की गिरफ्तार की भी खुलासा किया था.
दरअसल, दमोह जिले के तेजगढ़ थाने के तहत आने वाले झलोन गांव मे रहने वाली बंगाली डॉक्टर के घर पर विश्वजीत विश्वास नाम का शख्स कुछ सालों से रह रहा था. यहां पहले से बसे बंगाली ने उसे अपना भांजा बताया और वो भी गांव में रह रहा था. कुछ सालों में ही विश्वजीत ने राशन कार्ड निवास और जाति प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज तैयार करा लिये. इन तमाम दस्तावेजों को उसने फर्जी तरीके से बनवाया था. इन प्रमाण पत्रों के आधार पर उसने पासपोर्ट के लिए अप्लाई किया. उसका पासपोर्ट भी बन गया.
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इस तरह पकड़ा गया आरोपी
साल 2018 में बने पासपोर्ट के बाद वो बांग्लादेश की यात्रा करने दिल्ली पहुंचा तो एयरपोर्ट पर जांच अधिकारियों को उसके दस्तावेजों को लेकर शक हुआ. ये शक सही निकला. नागरिक उड्डयन विभाग और पासपोर्ट विभाग ने विश्वजीत को लेकर दमोह एसपी को पत्र लिखा और जांच के लिये कहा. तत्कालीन दमोह एसपी ने सम्बंधित तेजगढ़ पुलिस थाने को जांच के आदेश दिए और जब जांच हुई तो पाया गया कि विश्वजीत बांग्लादेश का नागरिक है उसकी प्रायमरी एजुकेशन बांग्लादेश में ही हुई.
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8 साल से भारत में था बांग्लादेशी
2016 में वो भारत आकर दमोह के झलोन गांव में बस गया. भारत में रहने के लिए जिन मूल प्रमाण पत्रों की उसे जरूरत थी वो उसने यहां बनवा लिए. पुलिस ने जांच में पाया कि तमाम दस्तावेज फर्जी तरीके से बनवाए गए थे. तेजगढ़ पुलिस ने जांच के बाद विश्वजीत पर आपराधिक मामला दर्ज किया और मामला दमोह कोर्ट में पहुंचा. इस मामले में कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद अब फैसला आया तो बांग्लादेशी नागरिक को कोर्ट ने सात साल की सजा सुनाई है वही उस पर जुर्माना भी लगाया गया है.
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