'भारत जोड़ों यात्रा' के जवाब में BJP की रथयात्रा! आदिवासी वोटबैंक पर नजर
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'भारत जोड़ों यात्रा' के जवाब में BJP की रथयात्रा! आदिवासी वोटबैंक पर नजर

BJP Rath Yatra: एमपी बीजेपी ऐसे समय में रथयात्रा निकालने की तैयारी कर रही है, जब कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा जल्द ही एमपी में एंट्री करने जा रही है.

'भारत जोड़ों यात्रा' के जवाब में BJP की रथयात्रा! आदिवासी वोटबैंक पर नजर

प्रमोद शर्मा/भोपालः मध्य प्रदेश में आदिवासी वोटबैंक सत्ता पाने के लिए निर्णायक माने जाते हैं. यही वजह है कि सभी राजनीतिक पार्टियां इस वोटबैंक को अपने पक्ष में करने की जुगत भिड़ाती रहती हैं. इसी कड़ी में अब बीजेपी ने 2023 के चुनाव को देखते हुए जनजातीय बाहुल्य विधानसभाओं और लोकसभा सीटों पर रथयात्रा निकालने का फैसला किया है. रथयात्रा के दौरान जनजातीय गौरव दिवस पर शहडोल में और टंट्या मामा बलिदान दिवस पर इंदौर में बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. 

सरकारी योजनाओं का करेगी प्रचार
रथयात्रा के दौरान बीजेपी, सरकार द्वारा आदिवासियों के लिए चलाई जा रहीं योजनाओं का प्रचार करेगी. इस रथयात्रा का समापन 4 दिसंबर को इंदौर में होगा और इस दौरान एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. बता दें कि 4 दिसंबर को महान आदिवासी क्रांतिकारी टंट्या मामा का बलिदान दिवस है. रथयात्रा के दौरान 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के मौके पर भी बीजेपी शहडोल में बड़े कार्यक्रम का आयोजन करेगी. 

एमपी बीजेपी ऐसे समय में रथयात्रा निकालने की तैयारी कर रही है, जब कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा जल्द ही एमपी में एंट्री करने जा रही है. भारत जोड़ो यात्रा एमपी में 13 दिन रहेगी और इस दौरान वह विभिन्न विधानसभाओं और लोकसभा सीटों से होकर गुजरेगी. माना जा रहा है कि राहुल गांधी की इस यात्रा के जवाब में ही बीजेपी ने भी आदिवासी बहुल इलाकों में रथयात्रा निकालने की योजना बनाई है. 

जयस को काउंटर करने की तैयारी
भाजपा ने आगामी चुनाव में जयस के प्रभाव को कम करने के लिए अपनी पार्टी के आदिवासी नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है. बता दें कि आदिवासी संगठन जयस ने आगामी विधानसभा चुनाव में आदिवासियों के प्रभाव वाली 80 विधानसभा सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारने का ऐलान कर दिया है. इसे कांग्रेस के साथ ही बीजेपी के लिए भी झटका माना जा रहा है. ऐसे में बीजेपी जयस को काउंटर करने की रणनीति बना रही है. 

बता दें कि मध्य प्रदेश विधानसभा की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं. साथ ही 80 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर आदिवासियों का बड़ा प्रभाव है. यही वजह है कि एमपी में आदिवासी वोटबैंक का समर्थन बेहद अहम माना जाता है. 

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