Building New India MP: कोरोना कहर के बावजूद देश में हर दिन कैसे बनीं 38 किलोमीटर सड़कें, नितिन गडकरी ने बताया भविष्य का विजन
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Building New India MP: कोरोना कहर के बावजूद देश में हर दिन कैसे बनीं 38 किलोमीटर सड़कें, नितिन गडकरी ने बताया भविष्य का विजन

Building New India MP: ZEE मीडिया के Building New India कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से कई मुद्दों को लेकर  से विस्तार से चर्चा की गई...

Union minister nitin gadkari

Building New India MP: किसी भी देश के विकास के लिए जो सबसे अहम पैमाना होता है, वो है उस देश का इंफ्रास्ट्रक्चर. इसी इंफ्रास्ट्रक्चर की बदौलत देश विकास गाथा लिखता है. ZEE मीडिया के Building New India कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से विस्तार से चर्चा की गई और उनका विजन जानने का प्रयास किया गया. कार्यक्रम के दौरान Zeempcg छत्तीसगढ़ के एडिटर दिलीप तिवारी ने सेंट्रल मिनिस्टर नितिन गडकरी से खास बातचीत की है, तो आइए जानते हैं कि कार्यक्रम में क्या बोले नितिन गडकरी. 

दिलीप तिवारी- कई बार देश के हालात देखकर डर लगता था, 2 साल से हम रुके हुए थे लेकिन आपकी सड़कें बदस्तूर बन रहीं थी. आपको डर नहीं लगा?

नितिन गडकरीः जिसका जन्म हुआ, उसकी मृत्यु निश्चित है. कोरोना के समय कभी बेड नहीं मिल रहा था, कभी दवाई के बिना लोगों को मौत का सामना करना पड़ रहा था. उस परिस्थिति ने भी अनेक लोगों के मन को बदल दिया. अपने जान पहचान वालों को मैंने जाते देखा तो एहसास हुआ कि कब क्या हो कुछ कहा नहीं जा सकता. जिंदगी की डोर ऊपर वाले के हाथ में है, कौन कब और कैसे उठेगा, कोई नहीं बता सकता. एक बात जरूर है कि डर से आत्मविश्वास पैदा हुआ और एक पॉजिटिविटी क्रिएट हुई और हम सब उसे मात देकर आगे बढ़ रहे हैं. 

दिलीप तिवारीः इतनी बेबाकी से आप बोलते हैं तो ये बेबाकी कहां से आती है? ये नागपुर से आती है या महाराष्ट्र से?

नितिन गडकरीः मैं किसी को दुख पहुंचाने के लिए कुछ नही कहता लेकिन आप लोग एक वाक्य के 10 अर्थ निकाल लेते हैं. जैसे राजस्थान की विधानसभा का अभी जैसे जिक्र किया, उसमें मैंने पहले या बाद में क्या कहा वो चला गया और बीच वाला वाक्य चर्चा में आ गया. मैंने कहा कि ये सब चलता रहता है. वो बात मैंने किसी को लेकर नहीं कहा था. लेकिन मीडिया ने उसे किसी नेता से तो किसी दूसरे नेता से जोड़ दिया. मैंने कहा कि गरीब व्यक्ति का काम करो, ये सब चलता रहेगा. हमारे बोलने से किसी को दुख नहीं होना चाहिए. आप पूछते हो तो मुझे जवाब देना पड़ता है और उसमें से अर्थ निकलता है. 

दिलीप तिवारीः अक्सर राजनेता ज्योतिष पर विश्वास करते हैं लेकिन आपके बयान तो फिट हो जाते हैं, सुबह बोलते हैं शाम में फिट हो जाते हैं!

नितिन गडकरीः मैं सवालों के हिसाब से उनका जवाब देने की कोशिश करता हूं. आप भी होशियारी से सवाल पूछते हैं, जिसके जवाब से कुछ निकलता है, कुछ कंट्रोवर्सी होती है. लेकिन सवाल और जवाब पूरा दिखाना चाहिए. थोड़ा चला देते हैं जिससे विवाद होता है. 

दिलीप तिवारीः न्यू इंडिया तब बनेगा जब सड़कें, हाइवे बनेंगे. कहते हैं कि नितिन गडकरी के आने से पहले कोरोना नहीं था लेकिन विभाग में संकट वैसा ही था. लेकिन आप हर रोज 38 किलोमीटर सड़कें बनवा रहे हैं.

नितिन गडकरीः हमारे जीवन में समस्याएं, चुनौतियां हमारे साथ जुड़े रहते हैं. कभी क्लाइमेंट, कभी प्रैक्टिकल काम करते समय पैसे की या अन्य समस्याएं आती हैं. इस देश में कोई भी काम करते हुए चुनौतियों की कमी नहीं है. लेकिन हमें चुनौतियों को अवसरों में कन्वर्ट करना है, यही लीडरशिप है. लीडरशिप सिर्फ राजनीति नहीं है बल्कि ये हर फील्ड में है. कोरोना काल के मुश्किल हालात में वडोदरा में हमारे कॉन्ट्रैक्टर ने 24 घंटे में ढाई किलोमीटर रोड बनाया, जो गिनीज बुक में दर्ज हुआ. इसी तरह हमारे अधिकारियों, कॉन्ट्रैक्टर्स ने बेहतरीन काम किया. यही वजह है कि हम टीम के तौर पर हर रोज 38 किलोमीटर सड़कें बनाने में सफल हुए. 

रिचर्ड निक्सन का एक वाक्य है कि युद्ध भूमि पर हारकर कोई खत्म नहीं होता है. वो खत्म तब होता है जब वो युद्ध भूमि छोड़कर भाग जाता है. हर रोज 38 किलोमीटर सड़क बनाने का श्रेय सिर्फ मेरा नहीं है बल्कि पूरी टीम का श्रेय है. बिजनेस, राजनीति या किसी भी क्षेत्र में मानवीय रिश्ते बेहद अहम होते हैं. यही वजह है कि हम मुश्किल वक्त में अच्छा काम कर पाए. अभी दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे पर मैं गया था और वहां अच्छा काम करने वाले अधिकारियों को सम्मानित और प्रोत्साहित भी किया था. 

दिलीप तिवारीः अच्छा काम नहीं करने वाले आपसे डरते भी होंगे. आप हाइवे पर गाड़ी की स्पीड बढ़ाकर चाय का प्याला भी रख देते हैं और कहते हैं कि गिरना नहीं चाहिए.

नितिन गडकरीः एक कॉन्ट्रैक्टर ने कुछ निर्माण किया था जो मुझे पसंद नहीं आया तो मैंने उसे तुड़वा दिया था. इसलिए अब लोग समझते हैं कि कैसा काम होना चाहिए. महिला शौचालयों में फीडिंग रूम बनाए गए हैं. लोगों को सुविधा देनी चाहिए फिर भले उनसे कुछ पैसा ले लिया जाए लेकिन साफ-सफाई रहनी चाहिए. 

दिलीप तिवारीः नए नए आइडिया आपको कैसे आते हैं?

नितिन गडकरीः मैं आज भी मुंबई जाता हूं तो रात को सिक्योरिटी छोड़कर पानी पूरी खाने जाता हूं. आम लोगों के बीच जाता हूं तो उनकी समस्याएं पता चलती हैं और उससे ही आइडिया आते हैं.

दिलीप तिवारीः जब आप हाइवे पर स्पीड में गाड़ी चलाने और चाय पीने का अनुभव कैसा रहा चाय छलकी तो नहीं?

नितिन गडकरीः एक बार मैं मुंबई पुणे हाइवे का सेक्शन चेक करने गया था. मैंने उस सेक्शन की टेस्टिंग के समय एचसीसी कंपनी के लोगों से कहा कि मैं 120-130 की स्पीड पर कार में थरमस से चाय निकालकर पीऊंगा और अगर चाय गिरी तो छोड़ूंगा नहीं. इससे सब टेंशन में आ गए लेकिन मैंने चाय पी और चाय नहीं गिरी तो मुझे खुशी हुई की काम अच्छा हुआ है. अभी दिल्ली मुंबई हाइवे की टेस्टिंग के दौरान भी मैंने ड्राइवर को कहा कि स्पीड बढ़ाओ. 180 की स्पीड पर भी कोई दिक्कत नहीं हुई. तो मतलब काम बढ़िया किया है. 

दिलीप तिवारीः आपने स्पीड लिमिट बढ़ाने के लिए कहा है लेकिन जनता कितनी स्पीड पर चले कि दुर्घटना भी ना हो

नितिन गडकरीः दिल्ली से मेरठ अब 45 मिनट में जा सकते हैं. यमुना पार के लोग बोलते हैं कि आपने हमारे जीवन का एक-सवा घंटे बचाया है. हम दिल्ली से देहरादून, हरिद्वार और चंडीगढ़ के लिए रोड बना रहे हैं, जिससे इन जगहों पर दो घंटे में ही पहुंचा जा सकेगा. 

दिलीप तिवारीः जब हम बात करते हैं कि राजनेताओं का विजन नहीं होता है और वो सिर्फ राजनीति के लिए काम करते हैं. सिर्फ चुनाव पर फोकस करते हैं. लेकिन जब हम बिल्डिंग न्यू इंडिया की बात करते हैं तो आज से हम सोचें तो अगले 75 साल में हम कहां जाएंगे? आप एथेनॉल, क्लीन एनर्जी की सालों से बात कर रहे हैं लेकिन लोगों को आज समझ आ रहा है

नितिन गडकरीः आंखे दान की जा सकती है लेकिन विजन दान नहीं किया जा सकता. विजन की बात करें तो हमें आज अगले 50 साल का सोचना होगा. अभी दिल्ली में प्रदूषण कितना खतरनाक है. आज दिल्ली में इसी तरह प्रदूषण चलेगा तो जीवन 4-5 साल कम हो जाएगा. आज देश में 8 लाख करोड़ का पेट्रोलियम आयात है और आने वाले कुछ ही सालों में ये बढ़कर 25 लाख करोड़ तक बढ़ जाएगा. यही वजह है कि मैं क्लीन एनर्जी, एथेनॉल की बात कर रहा है. हमारा किसान अन्न दाता नहीं ऊर्जा दाता बने. कई गाड़ियां फ्लैक्स इंजन पर आ रही हैं. चीनी मिलों में एथेनॉल बनेगा. पेट्रोल डीजल को रिप्लेस करने के लिए एथेनॉल लेकर आए हैं. एथेनॉल ग्रीन फ्यूल है. प्रदूषण कम है. पेट्रोल आज 115 है और एथेनॉल 65 रुपए है. विभिन्न राज्यों के किसानों के पास शुगर सरप्लस है तो किसान अन्न दाता नहीं ऊर्जा दाता बनेगा. 

आज ही सुबह मैंने टोयोटा कंपनी के लोग आए थे और मैंने कहा था कि मुझे ग्रीन हाइड्रोजन की गाड़ी चाहिए. मैं उस गाड़ी से घूमते हुए लोगों को जागरुक करूंगा कि यह पूरी तरह से सेफ है. बहुत सी अच्छी इलेक्ट्रिक गाड़ियां आ रही हैं. इलेक्ट्रिक गाड़ियों से पैसे की बचत भी होगी. ग्रीन हाइड्रोजन, एथेनॉल भविष्य के फ्यूल हैं. सभी सीमेंट फैक्ट्री, उद्योग आदि में ग्रीन हाइ़ड्रोजन के इस्तेमाल का विजन है. आईआईटी में काफी रिसर्च चल रही है. एक टन पराली से सीएनजी बनता है. तो इससे किसानों को भी फायदा मिलेगा. प्रदूषण भी कम होगा. जल्द ही इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर लॉन्च किया जाएगा. 

दिलीप तिवारीः आप मास्टर ऑफ ऑल हैं, आप राजनीति का बात भी करते हैं, इनोवेशन बिजनेस की बात भी करते हैं, तो आप कौन सा हेट पहनना पसंद करते हैं?

नितिन गडकरीः मैं इतना विद्वान और होशियार व्यक्ति नहीं हूं. मैं ये मानता हूं कि राजनीति, सामाजिक आर्थिक सुधारों का अहम इंस्ट्रूमेंट है. मैं देश, समाज के लिए कुछ करना चाहता हूं. हर कोई स्वार्थी होता है मैं भी अपने बारे में सोचता हूं लेकिन क्या मेरा पेट भरने के बाद मैं दूसरों का पेट भरने के बारे में भी कुछ कर रहा हूं. यही प्रेरणा जरूरी है. विदर्भ में हजारों किसानों ने आत्महत्या की. इसे रोकने के लिए मैं खेती को आर्थिक रूप से बेहतर बनाने के बारे में सोचा. हम पेट्रोल के आपके खर्चे को कम करने की दिशा में काम कर रहे हैं. 

जब मैंने स्कूटर खरीदा था, तब 28 किलोमीटर प्रति लीटर एवरेज था आज एवरेज 80 किलोमीटर प्रति लीटर तक है. 15 साल पुरानी गाड़ियां उतना प्रदूषण करती हैं, जितना 15 गाड़ियां प्रदूषण करती हैं. साथ ही एवरेज भी खराब है. इसलिए नई गाड़ियां लेने से एवरेज भी अच्छा मिलेगा और प्रदूषण भी कम करेगी तो ये सभी के लिए फायदेमंद बात होगी.  

दिलीप तिवारीः ऐसा कहा जाता है कि कुछ शीर्ष अधिकारियों ने देश का बेड़ा गर्क कर दिया है. तो ऐसा क्यों है? आप लोग इतनी मेहनत करते हैं तो फिर भी ये अधिकारी बदलते क्यों नहीं हैं?

नितिन गडकरीः एक ही एंगल से सभी की तरफ देखना ठीक नहीं है. वकील, डॉक्टर, पत्रकार, अलग-अलग हैं और हर किसी की नॉलेज स्वभाव आदि भी अलग हैं. आदमी बुरा नहीं होता परिस्थिति बुरी होती है. लीडरशिप की यही जिम्मेदारी है कि वह लोगों को प्रेरित करे. जिस तरह कई लोग काम करते हैं, उन्हीं में से बेहतर लोग निकलते हैं. समाज में हर लोग अच्छे हैं और सभी से अच्छा काम कराना ही लीडरशिप की सफलता है. अगर 38 किलोमीटर सड़कें बन रहीं हैं तो वो अधिकारियों ने ही बनवाई हैं. 

दिलीप तिवारीः आपके बारे में कहा जाता है कि आपने अपने ससुर तक को नहीं छोड़ते आपने उनके अतिक्रमण को ही हटा दिया. 

नितिन गडकरीः मैंने एक कार्यक्रम में कहा था कि जब मैं महाराष्ट्र में मंत्री था तो मेरी कुछ साल पहले ही शादी हुई थी. वहां एक रोड बड़ा होना था. कांग्रेस वाले आंदोलन कर रहे थे क्योंकि उन्हें लगा कि गडकरी ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि ससुर का मकान है लेकिन मैंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि जिसका भी मकान अतिक्रमण के दायरे में आता है उसे तोड़ दिया जाए. 

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