Mission Chandrayaan 3: देश आज स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. वहीं सभी की नजरें चंद्रयान मिशन-3 पर लगी हुई है. इसरो ने हाल ही में ट्वीट कर लिखा कि चंद्रयान-3 ने कक्षा घटाए जाने का एक चरण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है.
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Mission Chandrayaan 3: इसरो का मिशन चंद्रयान-3 चांद के करीब पहुंच गया है. लॉचिंग के ठीक 1 महीने बाद सोमवार को चंद्रयान-3 की चांद के चौथे ऑर्बिट में एंट्री हो गई है, और अब 150 km x 177 km वाली कक्षा में चक्कर लगा रहा है. इसरो ने इसके संबंध में ट्वीट भी किया है.
16 अगस्त का दिन महत्वपूर्ण
इसरो ने ट्वीट कर लिखा कि चंद्रयान-3 ने कक्षा घटाए जाने का एक चरण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. अब 16 अगस्त को चंद्रय़ान चांद के एक दम करीब पहुंच जाएगा. लैंडिंग में कई इलेक्ट्रॉनिक और मैकेनिक पहलू हैं, जो सेफ और सॉफ्ट लैंडिंग को अंजाम देंग.
भारत बनेगा चौथा देश
गौरतलब है कि एक महीने पहले 14 जुलाई को श्री हरिकोटा से चंद्रयान लॉन्च किया था. चंद्रयान-3 मिशन के तीन महत्वपूर्ण सीक्वेंस है. पहला हिस्सा धरती, दूसरा चांद के रास्ते और तीसरा चांद पर पहुंचना. इन तीनों स्टेज के पूरा होते ही लैंडर प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाएगा. इसके बाद लैंडर चांद की सतह पर उतरने की प्रक्रिया शुरू करेगा. अब भारत इसमें कामयाब हुआ तो चांद की सतह पर उतरने वाला रुस, अमेरिका, और चीन के बाद चौथा देश होगा.
Chandrayaan-3 Mission:
Orbit circularisation phase commencesPrecise maneuvre performed today has achieved a near-circular orbit of 150 km x 177 km
The next operation is planned for August 16, 2023, around 0830 Hrs. IST pic.twitter.com/LlU6oCcOOb
— ISRO (@isro) August 14, 2023
चंद्रयान के साथ आखिरी पल में क्या होगा?
जब चंद्रयान-3 चांद के एक दम पास होगा तब उसकी जगह का अंदाजा लगाना थोड़ा जरूरी होगा. इसके बाद इसरो में बैठे वैज्ञानिक अपनी प्रक्रिया शुरू करेंगे और विक्रम लैंड होगा. अगर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग हो जाती है तो उसके बाद रोवर धीरे-धीरे चांद पर उतारा जाएगा.
14 दिन तक प्रयोग करेगा चंद्रयान 3
चंद्रयान-3 मिशन में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल शामिल हैं. लैंडर और रोवर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेंगे, जो 14 दिनों तक प्रयोग करेंगे. वहीं प्रोपल्शन मॉड्यूल चांद की कक्षा में रहकर चांद की सतह से आने वाले रेडिएशन का अध्ययन करेगा. इस मिशन के जरिए इसरो चांद पर पानी का पता लगाएगा और जानेगा कि चांद पर भूकंप कैसे आते हैं.