बेटियों को लेकर हुआ है कितना बदलाव! सीएम ने सुनाया अपने बचपन का किस्सा
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बेटियों को लेकर हुआ है कितना बदलाव! सीएम ने सुनाया अपने बचपन का किस्सा

सीएम शिवराज ने कहा कि केवल भाषण देने से परिवर्तन नहीं आएगा, जब तक बेटी को बोझ माना जाएगा, तब तक बेटा बेटी बराबर मानने की भावना नहीं आएगी. 

बेटियों को लेकर हुआ है कितना बदलाव! सीएम ने सुनाया अपने बचपन का किस्सा

ग्वालियरः मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज ग्वालियर-चंबल अंचल के दौरे पर थे, सीएम ने राष्ट्रीय बालिका दिवस पर ग्वालियर में आयोजित ''सशक्त बालिका-सशक्त समाज-सशक्त मध्यप्रदेश'' कार्यक्रम में भाग लिया. सीएम ने कई बड़ी घोषणाएं भी की. इस दौरान सीएम ने एक किस्सा सुनाया जिसमें उन्होंने बेटियों और बेटों में भेदभाव की बात बताई. 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पहले यह कार्यक्रम भोपाल में करने का मन था, लेकिन मुरैना दौरे के चलते ग्वालियर में ये कार्यक्रम करने का मन बनाया. सीएम ने जिला प्रशासन को बधाई भी दी, जिसने कम समय मे कार्यक्रम तय कर लिया. 

पहले होता था बेटों और बेटियों में भेदभाव 
मुख्यमंत्री ने बेटियों की तारीफ करते हुए कहा कि बेटियां किसी से कम नहीं होती है. उन्होंने अपने बचपन का किस्सा सुनाते हुए कहा कि ''मैंने बचपन में देखा है कि मेरे गांव में दादीमां भी बेटा-बेटी में भेदभाव करती थी, पहले मुझे खिलाया जाता फिर मेरी बहनों को पूछा जाता था. पहले गांव में बेटा होता तो ढोल बजते थे, लेकिन बेटी होने पर पिता का चेहरा उतर जाता था, महिलाएं दुख मनाती थी, ये बातें मुझे खलती थी, मैं बचपन से कहता था बेटा बेटी एक बराबर मानो.''

''एक सवाल मेरे मन में आता है कि राष्ट्रीय बालिका दिवस क्यों? क्या हर दिन बेटी का नहीं हो सकता? क्या हर पल बेटी का नहीं हो सकता? यह दिवस मनाने का मतलब क्या है? यह दिवस मनाने का मतलब है कि कहीं न कहीं आज भी मां, बहन और बेटियों को उचित स्थान नहीं मिला है.'' 

बेटियों को सशक्त बनाना मेरा उद्देश्य हैं 
सीएम शिवराज ने कहा कि ''केवल भाषण देने से परिवर्तन नहीं आएगा, जब तक बेटी को बोझ माना जाएगा, तब तक बेटा बेटी बराबर मानने की भावना नहीं आएगी. इसलिए अब बेटे और बेटी में भेदभाव नहीं होना चाहिए. मध्य प्रदेश में बेटियों की संख्या बढ़ रही है. परिवर्तन आ रहा है. भारत में हजारों साल पहले कहा गया था कि जहां नारी पूजी जाती है, वहां देवता बसते हैं. गंगा, गीता, गायत्री हैं बेटियां, सीता, सती, सावित्री हैं बेटियां, दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती हैं बेटियां, इनके बिना दुनिया नहीं चल सकती. मेरे जीवन का उद्देश्य बेटियों को हर क्षेत्र में सशक्त बनाना है. 

NSS की रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं, साल 2012 में ग्वालियर-चंबल में 1000 बेटों पर 912 बेटियां जन्म लेती थी, लेकिन लाडली लक्ष्मी योजना के बाद अब 1000 पर 956 बेटियां जन्म ले रही है. लाडली लक्ष्मी बेटियों के लिए MP सरकार अलग से एप बनाएगी. सीएम ने कहा कि जब बेटियां कॉलेज जाएगी तब 25 हजार रुपए उनके खाते में डाले जाएंगे,आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने कोरोना में जो सेवा दी है वो अविस्मरणीय है. 

सीएम ने कहा कि यह भी दुखद है कि ''आज भी महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार हो रही हैं, आज भी पुरुषवादी सोच बरकरार है, घरेलू हिंसा को रोकना सरकार की पहली प्राथमिकता है, इस लिए आर्थिक सहायता का प्रावधान किया है. हमने निर्णय लिया है कि घरेलू हिंसा की पीड़ित महिलाओं को शारीरिक क्षति पर 4 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी. महिलाओं को मदद पहुंचाने के उद्देश्य से प्रदेश में वन स्टॉप सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं. MP हिदुस्तान का अकेला राज्य है जहां पंचायत से लेकर नगरीय निकायों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है. हम बेटियों को उनका हक देने के लिए प्रतिबद्ध हैं. 

इस दौरान केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तारीफ करते हुए कहा कि शिवराज जी बेटियों और महिलाओं के लिए संवेदनशील है. शिवराज जी ने लाडली लक्ष्मी, कन्यादान, छात्राओं के लिए हितकारी योजनाएं चलाई हैं, इन योजनाओं से प्रदेश की बेटियों को लाभ मिल रहा है. 

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