Rss On Muslim Population: मध्य प्रदेश में संघ के मुस्लिमों की जनसंख्या बढ़ने के दावे पर हंगामा हो रहा है. दिग्विजय सिंह ने इसे नफरत का एजेंडा बताया तो बीजेपी ने जमकर लताड़ दिया
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Controversy On RSS Muslim Population Statement: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मैगजीन ऑर्गेनाइजर वीकली ने मुस्लिमों की जनसंख्या बढ़ने का दावा किया तो एक नया राजनीतिक मुद्दा खड़ा हो गया. मध्य प्रदेश में भी वार पलटवार शुरू हो गया. कांग्रेस राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने इसे नफरत का एजेंडा बताया तो बीजेपी भी कहां चुप रहने वाली थी. उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने जवाब दिया और कहा दिग्गी खुद कांग्रेस के लिए हानिकारक हैं. पहले संघ को जाने क्या है.
2011 के बाद देश में सेंसेस नहीं हुआ
मध्य प्रदेश में आरएसएस के आंकड़ों पर सियासी आरपार शुरू हो गयी है. आरएसएस की पत्रिका में मुस्लिमो की आबादी बढ़ने के जिक्र पर दिग्विजय बोले इनके पास कोई एजेंडा नहीं है, केवल जनता में वैमनस्यता फैलाने का काम करते हैं. RSS की पत्रिका में मुस्लिम जनसंख्या को लेकर लिखे लेख पर दिग्विजय सिंह भड़के तो बोले कोई एजेंडा नहीं बचा तो सिर्फ नफरत फैलाना ही RSS का काम रह गया है. समाज के बीच में वैमनस्यता पैदा करना आरएसएस का काम है. बीजेपी और आरएसएस के पास कोई एजेंडा नहीं है. सिर्फ नफरत, झूठे को आंकड़े लेकर आते हैं. दिग्गी ने कहा 2011 के बाद देश में सेंसेस नहीं हुआ तो फिर कहाँ से आई ये रिपोर्ट. सरकार 2021 सेंसस के आंकड़े क्यों नहीं जारी करती है. सरकार जनगणना क्यों नहीं करवाती है और रिपोर्ट देती है. सरकार को जनगणना कर जातिगत आंकड़े जारी करना चाहिए.
दिग्गी खुद हानिकारक
संघ पर हमला हुआ, फिर बीजेपी वाली केंद्र सराकर पर हमाल हुआ तो मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल भड़के और सलाह दे डाली. शुक्ल ने पलटवार करते हुए कहा कि दिग्विजय सिंह लोकसभा, विधानसभा की हार नहीं भूले हैं. वो और कितना कांग्रेस का नुकसान कराएंगे. कांग्रेस के लिए दिग्गी खुद हानिकारक हैं. पहले दिग्गी आरएसएस और भाजपा को जानें.
क्या है आरएसएस का दावा
आरएसएस के मैग्जीन ऑर्गेनाइजर वीकली ने अपने संपादकीय में लिखा, 'राष्ट्रीय स्तर पर जनसंख्या स्थिर होने के बावजूद, यह सभी धर्मों और क्षेत्रों में समान नहीं है. कुछ क्षेत्रों, खासकर बॉर्डर एरिया में मुस्लिम आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है'. दावा किया गया कि पश्चिम बंगाल, बिहार, असम और उत्तराखंड जैसे सीमावर्ती राज्यों में सीमाओं पर अवैध विस्थापन की वजह से अप्राकृतिक तरीके से जनसंख्या बढ़ रही है. मैग्जीन दावा किया गया कि पश्चिम और दक्षिण के राज्य जनसंख्या नियंत्रण उपायों को लागू करने में अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें जनगणना के बाद आबादी में बदलाव होने पर संसद में कुछ सीट कम होने का डर है. ऐसे में हमें यह सुनिश्चित करने के लिए नीतियों की जरूरत है कि जनसंख्या वृद्धि से किसी एक धार्मिक समुदाय या क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़े.